विपणन वातावरण (पर्यावरण) का अर्थ (vipnan vatavaran kise kahte hai)
vipnan vatavaran kya hai, vipnan vatavaran ke prakar;विपणन पर्यावरण से आशय उन बाहरी तत्वों व शक्तियों से है जो फर्म की विपणन नीतियों को प्रभावित करती है। पर्यावरण की उन शक्तियों, दशाओं तथा तत्वों से है, जो विपणन क्रियाओं की प्रभावशीलता एवं कुशलता को प्रभावित करते है एवं जिन पर विपणन प्रबंधकों का विपणन विभाग का कोई नियंत्रण नही होता है विपणन वातावरण में फर्म के विपणन प्रबन्धक कार्य के बाहरी तत्तों व शक्तियां सम्मिलित है। जो लक्षित ग्राहकों के साथ सफल व्यवहारों का विकास करने एवं उन्हे बानये रखने की विपणन प्रबन्ध की योग्यता को आगे बढाती है।
विपणन वातावरण के प्रकार (vipnan vatavaran ke prakar)
विपणन पर्यावरण या वातावरण के प्रकार इस प्रकार है-
1. आंतरिक या नियंत्रण योग्य वातावरण
आंतरिक नियंत्रण में किसी संस्था के भीतर विराजित सभी शक्तियों/घटकों का सम्मिलित किया गया है जो इस विभाग की विपणन प्रबंध को प्रभावित करता है हर संस्था का एक निजी संगठन विभाग होता है जिसमें बहुत विभाग होतें है पूरी संस्था उन विभागों के माध्यम से कार्य करती है इसलिए इसका आंतरिक वातावरण इस विभाग की आंतरिक संरचना तथा प्रबंध व्यवस्था से तो प्रभावित होता ही है संपूर्ण संस्था का औपचारिक ही नही वरन् अनौपचारिक वातावरण भी विपणन विभाग को प्रभावित करता है।
2. बाहृा अथवा अनियंत्रण
बाहृा या अनियंत्रण विपणन वातावरण से आभिप्राय उसके संपूर्ण बाहृा विपणन संसार से है इसमें वे सभी परिस्थितियां समूह घटक आदि सम्मिलित है जो किसी संस्था के विपणन निर्णयों कर्यकलापों तथा उनकी सफलता को प्रभावित करते है इसमें सभी राजनीतिक आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक तकनीकी तथा बाजार घटक शामिल किये जाते है जो कसी भी संस्था के विपणन विभाग की कार्य सफलता प्रणाली को प्रभावित करती है।
विपणन वातावरण या विपणन पर्यावरण का महत्व
विपणन वातावरण का महत्व इस प्रकार से है-
1. प्रभावकारी निर्णयन
विपणन पर्यावरण में प्रभावकारी तथा ठोस निर्णय वे होते है जो पर्यावरण की अपेक्षाओं एवं आवश्यकताओं के अनुरूप हों लेकिन ऐसे अच्छे निर्णय वातावरण का अध्ययन किये बिना नही लिये जा सकते है।
2. अनिश्चितताओं व जोखिमों का मापन
विपणन संसार गतिशील होता है इसमें अनिश्चितताओं अथवा जोखिम अंतर्निहत है इन अनिश्चितताओं को समझने के लिए वातावरण का विशलेषण व अध्ययन अतिअवश्यक है।
3. घटकों के पारस्परिक प्रभाव का अध्ययन
विपणन पर्यावरण में केई घटक है वे सब आपस में एक-दूसरे को प्रभावित करते है इसमें एक घटक के परिवर्तन का दूसरे घटकों पर क्या प्रभाव पढता है। इसका प्रभाव देखने के लिए हमें संपूर्ण पयार्वरण का अध्ययन करना आवश्यक है।
4. कार्य योजनाओं का निर्माण
पर्यावरण के अनुरूप विपणन नियोजन कर लेने से ही नियोजन के अनुरूप कार्य नही हो जाता है विपणन नियोजन कर क्रियान्वयन करने के लिए कार्य-योजना का निर्माण करना पड़ता है कार्य-योजना का निर्माण करते समय भी पर्यावरण के घटकों से संबंधित सुचनाओं को ध्यान में रखना होता है कार्य योजना के क्रियान्वयन के लिए विपणन पर्यावरण का अध्ययन आवश्यक है।
5. परिवर्तनों का ज्ञान
विपणन कार्य को एक गतिशील पर्यावरण में संपन्न किया जाता है जिसमें हमेशा परिवर्तन होते रहते है उपभोक्ता की रूचि, प्रतिस्पर्द्धार तकनीक, रंग, आकार, गुण, आराम तथा अन्य विलासिता की वस्तुओं में परिवर्तन होता रहता है इन सभी बातों की जानकारी के लिए हमें विपणन पर्यावरण के अध्ययन करना जरूरी है।
6. उच्चावचनों का ज्ञान
विपणन पर्यावरण के अध्ययन में हर घटक में उच्चावचन आते है तथा पर्यावरण गतिशील बना रहता है पर उच्चावचनों की दर समान नही रहती है कभी यह दर कम तो कभी ज्यादा उदाहरणार्थ के लिए वर्तमान में इलेक्ट्रांनिक्स व्यवसाय के विपणन पर्यावरण के तकनीकी तथा प्रतिस्पर्द्धा घटकों में यह दर अधिक पायी जायी है जबकि सीमेंट, स्टील, चीनी उच्चावचनों की दर बहुत सामान्य है। विपणन पर्यावरण में इन सब का अध्ययन के लिए पर्यावरण का अध्ययन परमावश्यक है।
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TNX SIR
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