विपणन एवं विक्रय में अंतर
vipnan or vikray me antar;विपणन का तात्पर्य है वस्तु का उपभोक्ता की जरूरत के अनुसार उत्पादन करके उपभोग के लिए समर्पित करना है जिससे कि लोगो के रहन-सहन के स्तर मे वृद्धि हो और उपभोक्ता को संतुष्टि देते हुए लाभ प्राप्त हो। इस तरह यह कहा जा सकता है कि विपणन के संबंध मे विचार-विमर्श वस्तु का निर्माण कार्य शुरू होने से पहले शुरू हो जाता है तथा उपभोक्ता के पास वस्तु पहुंचाने पर भी तब तक विपणन का कार्य खत्म नही होता जब तक कि उपभोक्ता को पूरी तरह से संतुष्टि न मिल जाये।
विक्रय से आशय विक्रय का तात्पर्य है किसी वस्तु के भावी क्रेताओं की खोज करके उनको वस्तु के बारे मे ज्ञान कराने तथा वस्तु को खरीदने के लिए तैयार करने से है। विपणन प्रबंध मे विक्रय पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाता है।
यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या विपणन, विक्रय एवं वितरण मे कोई भिन्नता है? या नही? अनेक विद्वानो ने इसमे कोई अंतर नही किया है। अतः उनका प्रयोग पर्यायवाची शब्दों के रूप मे करते है। यह उचित नही कहा जा सकता है क्योंकि इन तीनों शब्दों के अर्थ सर्वथा अलग-अलग है। हालांकि यह तीनों एक दूसरे के पूरक जरूर है एवं तीनों ही अलग-अलग होकर कार्य ही नही कर सकते। इन तीनों मे विपणन का कार्यक्षेत्र व्यापक है एवं विक्रय तथा वितरण दोनों इसके अभिन्न अंग है।
विपणन एवं विक्रय मे इस प्रकार से अंतर है--
1. विपणन क्रिया का अंतिम उद्देश्य क्रेता को संतुष्ट करना होता है जबकि विक्रय की क्रिया बिक्री की मात्रा पर ध्यान केन्द्रित करती है।
2. विपणन का अर्थ उपभोक्ता की जरूरतों की सन्तुष्टि करना है। बिक्री या विक्रय का अर्थ भौतिक हस्तांतरण से है।
3. विपणन का कार्य क्योंकि उत्पादन से पहले शुरू होता है इसलिए इसका क्षेत्र व्यापक है। जबकि विक्रय का कार्य बिक्री तक ही सीमित होता है इसलिए इसका क्षेत्र सीमित होता है।
4. विपणन का उद्देश्य ग्राहकों को प्राप्त करना है। विक्रय का उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं को ग्राहकों तक प्रवाहित करना होता है।
5. संबंधित समस्याओं का समाधान विपणन प्रबंधक द्वारा होता है। विक्रय संबंधित समस्याओं का समाधान विक्रय प्रबंधक द्वारा होता है।
6. विपणन गतिविधि मे सर्वाधिक प्राथमिकता ग्राहक सन्तुष्टि, अधिकाधिक विक्रय तथा बाजार के अधिकांश भाग पर नियंत्रण को दी जाती है। इसके विपरीत विक्रय के अंतर्गत सर्वोच्च प्राथमिकता विक्रय की मात्रा वृद्धि तथा लाभ वृद्धि को ही दी जाती है।
7. विपणन क्रेता की आवश्यकता की ओर ध्यान केन्द्रित करता है। इसके विपरीत विक्रय उत्पाद तथा विक्रता की आवश्यकता की ओर ध्यान केन्द्रित करता है।
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