2/25/2021

अनुबंध और ठहराव मे अंतर

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अनुबंध और ठहराव मे अंतर

अनुबंध और ठहराव मे अंतर इस प्रकार है--

1. अनुबंध एक ऐसा ठहराव है जिसे राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय कराया जा सकता है, जबकि प्रत्येक वचन तथा वचनों का समूह जिसमे एक वचन एक-दूसरे के लिए प्रतिफल होते है, ठहराव कहलाता है।

2. अनुबंध की प्रकृति वैधानिक होती है, जबकि ठहराव की प्रकृति वैधानिक और अवैधानिक दोनों ही प्रकार की होती है।

3. अनुबंध की परिभाषा धारा 2 (H) मे दी गई है।  ठहराव की परिभाषा धारा 2 (E) मे दी गई है। 

4. अनुबंध का क्षेत्र सीमित होता है। जबकि ठहराव का क्षेत्र विस्तृत एवं व्यापक है।

5. अनुबंध का निर्माण ठहराव और पवर्तनीय से मिलकर होता है। जबकि ठहराव का निर्माण प्रस्ताव एवं स्वीकृति मे मिलकर होता है।

6. अनुबंध की आधारशिला ठहराव होती है। जबकि ठहराव की आधारशिला प्रस्ताव और स्वीकृति है।

7. चूंकि प्रत्येक अनुबंध की उत्पत्ति ठहराव से होती है इसलिए सभी अनुबंध ठहराव होते है। जबकि ठहराव की उत्पत्ति अनुबंध से नही होती, इसलिए सभी ठहराव का अनुबंध होना जरूरी नही है। केवल वैध ठहराव अनुबंध होते है।

8. अनुबंध को राजनियम द्वारा लागू कराया जा सकता है। जबकि ठहराव को राजनियम द्वारा लागू नही कराया जा सकता।

9. एक वैध अनुबंध के लिए कई बातों का होना जरूरी होता है; जैसे-- प्रस्ताव व स्वीकृति, पक्षकारों की अनुबंध करने की क्षमता, स्वतंत्र सहमति, वैधानिक प्रतिफल एवं उद्देश्य इत्यादि। जबकि ठहराव के लिए केवल प्रस्ताव व स्वीकृति का होना ही पर्याप्त होता है।

10.  अनुबंध मे दोनों पक्षकारों के बीच वैधानिक दायित्व उत्पन्न होने पर उन्हें पूरा करना जरूरी है। जबकि ठहराव जब तक वैध नही हो जाता है, तब तक उससे किसी भी पक्षकार पर दायित्व उत्पन्न नही होता है।

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