2/26/2021

प्रतिफल क्या है? परिभाषा, लक्षण/वैधानिक नियम

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प्रतिफल का अर्थ (pratifal kya hai)

pratifal arth paribhasha lakshana;साधारण बोलचाल की भाषा मे प्रतिफल से तात्पर्य उस मूल्य या प्राप्ति से होता है जो वचनदाता के वचन के बदले वचनगृहीता द्वारा दिया जाता है। 

दूसरे शब्दों मे," प्रत्येक अनुबंध के दो भाग होते है-- एक वचन और दूसरे वचन के लिये प्रतिफल। प्रत्येक व्यक्ति किसी काम को करने या न करने के लिए तभी वचन देता है जबकी उसको ऐसा करने के बदले मे कुछ प्राप्त होता है। यह जो कुछ प्राप्त होता है उसी को प्रतिफल कहते है।

प्रतिफल की परिभाषा (pratifal ki paribhasha)

ब्लैकस्टोन के अनुसार," प्रतिफल एक ऐसी क्षतिपूर्ति है जो वचनदाता को उसके वचन के बदले मे दूसरे पक्षकार के द्वारा दिया जाता है।" 

पोलक के अनुसार," प्रतिफल वह कीमत है जिसके बदले दूसरे व्यक्ति का वचन खरीदा जाता है और इस कीमत के बदले मे प्राप्त वचन को प्रवर्तनीय कराया जा सकता है।" 

चेशायर तथा फिफूट के अनुसार," प्रतिफल वचन का मूल्य है।" 

भूतपूर्व न्यायाधीश श्री हिदायतुल्ला के अनुसार," प्रतिफल वह वस्तु है जिसका कानून की दृष्टि मे कुछ मूल्य है।" 

भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 2 (D) के अनुसार," जब वचनदाता की इच्छा पर, वचन गृहीता या अन्य व्यक्ति ने--

1. कुछ कार्य किया है या 

2. कुछ कार्य करता है

3. कुछ कार्य करने का वचन देता है तो ऐसा कार्य या वचन दूसरे वचन का प्रतिफल होता है।" 

उपरोक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है कि सभी परिस्थितियों मे यह जरूरी नही होता कि वचनदाता को प्राप्त होने वाला लाभ ही प्रतिफल कहलायेगा। वचनगृहीता द्वारा उठायी गई हानि अथवा लिया गया उत्तरदायित्व वचनदाता के लिए वचन को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रतिफल माना जा सकता है।

प्रतिफल के लक्षण अथवा प्रतिफल संबंधित वैधानिक नियम 

प्रतिफल के लक्षण या विशेषताएं इस प्रकार है--

1. प्रतिफल वचनदाता की इच्छा पर होना चाहिए 

प्रतिफल वचनदाता की प्रार्थना पर ही मान्य होता है एवं अगर कोई तीसरा पक्ष कोई काम करता है तो वह भी प्रतिफल नही होगा। 

2. प्रतिफल वचनगृहीता अथवा किसी अन्य व्यक्ति की ओर से हो सकता है

प्रतिफल वचनगृहीता अथवा किसी अन्य व्यक्ति की ओर से हो सकता है। इस नियम को " रचनात्मक प्रतिफल का सिद्धांत " भी कहते है। इसके विपरीत, अंग्रेजी राजियम मे प्रतिफल वचनगृहीता की ही ओर से होना जरूरी होता है। 

3. प्रतिफल अवैधानिक नही हो 

प्रतिफल अवैधानिक होने पर ठहराव को वैधानिक रूप मे प्रवर्तनीय नही कराया जा सकता एवं अनुसंधान भंग होने पर हर्जाने के लिए वाद भी नही चलाया जा सकता।

4. प्रतिफल वास्तविक होना चाहिए 

प्रतिफल वास्तविक होना चाहिए। अतएव यदि प्रतिफल अस्पष्ट, अनिश्चित, छलपूर्ण, असंभव, भ्रामक अथवा कपटपूर्ण होगा तो वह प्रतिफल नही माना जायेगा।

5. कुछ प्रतिफल अवश्य होना चाहिए 

कानून की दृष्टि से प्रतिफल का कुछ मूल्य होना चाहिए एवं काल्पनिक प्रतिफल को मान्यता नही है, प्रतिफल वास्तविक ही होना चाहिए। प्रतिफल न होने की स्थिति मे अनुबंध व्यर्थ माना जावेगा।

6. प्रतिफल वर्तमान, भूत व भावी हो सकता है

प्रतिफल की परिभाषा मे प्रतिफल भूत, वर्तमान तथा भविष्य तीनों तरह से बताया है, इंग्लैंड मे भूतकालीन प्रतिफल मान्य नही है।

7. प्रत्येक अनुबंध के लिए पृथक प्रतिफल होना चाहिए 

यह भी जरूरी है कि अलग-अलग अनुबंधों के लिए अलग-अलग प्रतिफल होना चाहिए। यदि कोई दो अनुबंध किसी पक्षकार के साथ किये जाये तो प्रत्येक अनुबंध का प्रतिफल निश्चित होना चाहिए।

8. प्रतिफल मूल्यवान होना चाहिए

एन्सन के अनुसार," प्रतिफल का राजनियम की दृष्टि मे कुछ मूल्य अवश्य होना चाहिए। यदि प्रतिफल का कुछ भी मूल्य नही होगा तो वह ठहराव वैध नही होगा।" उदाहरण के लिए, 'अ' अपने धर्मगुरू 'ब' के पास जाता है और उनका आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए उन्हें 10,000 रूपये देना स्वीकृति करता है। यहाँ पर मूल्यवान प्रतिफल का अभाव है। 

9. प्रतिफल उचित होना चाहिए 

प्रतिफल उचित होना चाहिए। अनिश्चित, अस्पष्ट, कपटपूर्ण एवं छलपूर्ण प्रतिफल, उचित प्रतिफल नही होगे। प्रतिफल सदैव उचित तथा वास्तविक होना चाहिए।

10. कार्य करने अथवा नही करने के लिए प्रतिफल 

प्रतिफल किसी कार्य को करने अथवा न करने दोनों के लिए हो सकता है। उदाहरण के लिए आशा ने किरण को 50/- देने का वचन दिया है, अगर आशा किरण पर 6 माह मे वाद पेश नही करे। 

प्रतिफल की अवैधानिकता 

धारा 23 के अनुसार निम्न दशाओं मे प्रतिफल अवैधानिक माना जाता है--

1. अगर वह कानून द्वारा वर्जित है 

किसी ऐसे कार्य के लिए अनुबंध जो शुरू से ही गैर-कानूनी है या राजनियम ऐसे कार्य को नही करने देता है तो ऐसा अनुबंध एक अवैध अनुबंध होता है। जैसे-- किसी अवयस्क की शादी के लिए ऋण देना जो "बाल विवाह" निषेध अधिनियम के अंतर्गत आता है।

2. ऐसा अनुबंध जिसे पूरा करने की अनुमति दे देने से वह किसी राजनियम की व्यवस्थाओं को निष्फल कर दे

हर कानून जनता के हित तथा रक्षा के लिए है। अतः ऐसा अनुबंध जिसका उद्देश्य तथा प्रतिफल ऐसा है जिसे अगर पूर्ण किया जावे तो वह किसी राजनियम की व्यवस्थाओं को निष्फल  बना दे तो वह अनुबंध अवैधानिक अनुबंध होगा।

3. धोखा देने के उद्देश्य से किया गया अनुबंध 

आगर ऐसा अनुबंध जिसका एक पक्षकार दूसरे पक्षकार को धोखा देने के उद्देश्य से ठहराव करता है तो वह एक अवैधानिक ठहराव माना जाएगा। जैसे-- राम अपनी घड़ी श्याम को बेचना चाहता है, जो यह कहकर बेचता है कि यह घड़ी टिटोनी घड़ी है जबकि उसकी मशीन किसी अन्य घड़ी की है, श्याम उस घड़ी को खरीद लेता है। मालूम पड़ने पर श्याम ठहराव को अवैधानिक घोषित करवा सकता है क्योंकि राम ने धोखा दिया है।

4. अगर किसी अनुबंध को करने से अन्य व्यक्ति को हानि पहुंचती है 

अगर कोई भी ऐसा अनुबंध किया जाता है जिसके करने से किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति अथवा शरीर को हानि पहुंचती है तो ऐसा ठहराव एक अवैध ठहराव होगा। जैसे-- राम एक एडिटर है, श्याम जो एक अन्य व्यक्ति के लिए अपमानजनक खबर छपवाने का अनुबंध करता है जिसके लिए वह पैसे देने का वचन देता है। राम उसकी खबर छाप देता है बाद मे श्याम उसे पैसे देने से इंकार कर देता है। राम क्षतिपूर्ति के लिए श्याम को बाध्य नही कर सकता है क्योंकि यह एक व्यर्थ समझौता है। इसके कारण अन्य पक्ष को व्यक्तिगत हानि होती है।

5. लोक नीति के विरूद्ध अनुबंध 

अगर कोई भी व्यक्ति ऐसा अनुबंध करता है जो कि वास्तव मे समाज के कानून के बाहर है अथवा जो लोक नीति के विरूद्ध है तो ऐसा अनुबंध अवैध या व्यर्थ अनुबंध कहलाता है या ऐसे अनुबंध जिन्हें समाज तथा न्यायालय दोनों ही अनैतिक समझते है व्यर्थ अनुबंध कहलाते है, जैसे-- कोई लड़की अपने शरीर को किराये पर बेचती है या कोई व्यक्ति किसी लड़की को वेश्यावृत्ति करने के लिये प्रेरित करने के उद्देश्य से अनुबंध करता है।

शायद यह आपके लिए काफी उपयोगी जानकारी सिद्ध होगी

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