अंकेक्षण क्या है? (ankekshan ka arth)
ankekshan arth paribhasha visheshta;अंकेक्षण शब्द लैटिन भाषा के ऑडायर शब्द से बना है जिसका अर्थ है सुनना। अर्थात् किसी कार्य का वितरण सुनकर उसकी सत्यता को प्रमाणित करना।
अंकेक्षण से तात्पर्य लेखो की सत्यता की जांच करने से होता है, जिससे यह स्पष्ट हो सके की वे सही रूप से संबंधित सौदे के लिए किए गए है या नही!
प्राचीन काल में सार्वजनिक खातों के निरीक्षण की विभिन्न विधियां प्रचालित थी। मध्ययुग में व्यापार के स्वामी अपने खातों की सत्यता जानने के लिए अनुभवी तथा निष्पक्ष व्यक्तियों द्वारा उनका निरीक्षण कराते थे। इसे ही व्यक्ति जिन्हें खातों की जांच पड़ताल करने के लिए नियुक्त किया जाता था। अंकेक्षण कहलाते है।
लेखापाल से बहीखाता रखने का पूर्ण वितरण प्राप्त करते है उनके द्वारा दिये गये समाधानों को न्यायाधीश की भांती सुनकर उस पर अपनी टीका टिप्पणी करते थे परन्तु वर्तमान के समय में जहां व्यक्ति के पास समय का अभाव है, गलाकाट प्रतियोगिता है वैश्वीकरण का दौर है ऐसे में लेखा-पुस्तकों के प्रति आश्वस्त होना की वे प्रमाणित है या नही, अंकेक्षण अनिवार्य हो जाता है।
अंकेक्षण की परिभाषा (ankekshan ki paribhasha)
आर.जी.विलियम्स के शब्दों में ,'' अंकेक्षण से आशय व्यापार की पुस्तकों खातों तथा प्रगाणकों की जांच से है, ताकी यह पता लगाया जा सके कि व्यवसाय का सही उचित चित्र प्रस्तुत करने हेतु चिट्ठा नियमनुकूल बनाया गया है या नही।''
ए.डब्लू.हेन्सन के अनुसार,'' सम्पूर्ण लेखों की ऐसी जांच को अंकेक्षण कहते है। जिससे की उन पर तथा उनके द्वारा बताये हुये विवरणों पर विश्वास किया जा सकें।
लारेन्स आर.डिक्सी के अनुसार,'' अंकेक्षण हिसाब-किताब के लाखों की जांच है, जिससे यह स्पष्ट हो सके, कि वे पूर्णरूपेण एवं सही रूप से सम्बन्धित सौदों के लिए किये गये है। इसके साथ-साथ यह निश्चित हो सके कि सभी सौदे अधिकृत रूप से किये गये है।''
अंकेक्षण की विशेषताएं (ankekshan ki visheshtaye)
अंकेक्षण की विशेषताएं इस प्रकार है--
1. विस्तृत क्षेत्र
आज के युग में अंकेक्षण का क्षेत्र सिर्फ व्यापारिक संस्थाओं तक ही सिमित नही है बल्कि गैर-व्यापारिक सरकारी निजी, शिक्षा संस्थाओं अस्पताल आदि जैसे क्षेत्रों में विस्तृत हो गया है।
2. विज्ञान तथा कला
अंकेक्षण के विभिन्न रूप बहुआयामी उपयोग होना। इसको विज्ञान एवं कला होना दोनों सिध्द करता है।
3. जांच का उद्धेश्य
अंकेक्षण से पता चलता है कि संस्था की स्थिति वित्तीय वितरण स्थिति और लाभ हानि खाता और संस्था का लाभ हानि का उचित चित्र लेखा पुस्तक के द्वारा करता है या नही।
4. अवधि
अंकेक्षण के द्वारा निश्चित समय में लाखों की जांच की जाती है ज्यादातर वे अवधि लेखाबर्ष या वित्तीय बर्ष होती है इससे अधिक लम्बी अवधि के परिक्षण को अनुसंधान कहा जाता है।
5. जांच का स्वरूप तथा माध्यम
अंकेक्षण के उद्धेश्य की पूर्ति के लिए स्वरूप, व्यावहारिक, विवेचनात्मक तथा निष्पक्ष विवेकपूर्ण होनी चाहिए। यह प्रमाणन अंकेक्षण तथा सत्यापन के द्वारा किया जाता है।
6. विवेचनात्मक स्वरूप
अंकेक्षण लेखा पुस्तकों की गणितीय शुद्धता की जांच मात्र नही है बल्कि इसमें लेखों की तकनीकी शुद्धता, पूर्णता तथा नियमानुकूलता की जांच की जाती है। अंकेक्षण से यह पता चल जाता है कि लेखा पुस्तको का लेखाकंन मान सिद्धान्तों तथा सम्बन्धित वयावसायिक संगठन की नियमावली के अनुरूप है या नही। इससें व्यापार की सच्ची व सही तस्वीर स्पष्ट होती है।
7. विषय क्षेत्र
लेखाकर्म की पुस्तकों की जांच के साथ अंकेक्षण के व्यापार से सम्बन्धित पुस्तको जैसे अंश हस्तान्तरण, कारवाई पुस्तक, आदि की जांच भी होती है।
8. परीक्षा
अंकेक्षण लेखा पुस्तको की परीक्षा है परीक्षा व्यवहार से प्रपत्रों सम्बन्धित तथा साक्ष्यों की मदद से की जाती है।
9. लेखा परीक्षा अथवा अंकेक्षण
लेखा पुस्तकों की जांच करने वाले व्यक्ति को लेखा परीक्षक या अंकेक्षण कहते है। अंकेक्षक स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष व्यक्ति होता है। जो सिर्फ एक परीक्षक होने के कारण लेखापुस्तको के निर्माण से सम्बन्धित नही होता।
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Oditing ir jach k bich ka anyar batao
जवाब देंहटाएंलोक उद्यम में अंकेक्षण की भूमिका को विस्तार में समझाइए
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