1/15/2021

चालू अंकेक्षण क्या है, परिभाषा, लाभ, हानियां

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चालू अंकेक्षण क्या है? (chalu ankekshan ka arth)

chalu ankekshan arth paribhasha labh haniya;जब अंकेक्षण अपने स्‍टाफ की सहायता से सारे वर्ष भर का निश्चित समय का अंतर देकर हिसाब-किताब की जांच निरन्‍तर करता है तो उसे चालू अंकेक्षण कहते है।

चालू अंकेक्षण की परिभाषा (chalu ankekshan ki paribhasha)

स्‍पाइसर एवं पैगलर के शब्‍दों में,'' चालू एवं सतत्  अंकेक्षण वह है जहां वर्ष भर का खातों पर निरन्‍तर व्‍यस्‍त रहते है। अथवा जहा अंकेक्षण निश्चित अथवा समयान्तरों पर वित्‍तीय वर्ष के दौरान आता है और वर्तमान के हिसाब-किताबों का अंकेक्षण कहते है।''

चालू अंकेक्षण के लाभ (chalu ankekshan ke labha)

चालू अंकेक्षण के लाभ इस प्रकार है--

1. अंकेक्षण कार्य में सुविधा

अंकेक्षक अपने पूरे कार्य को सही प्रकार से बांट कर अपने स्‍टाफ से अधिक सहायता एवं सहयोग  प्राप्‍त कर सकता है यह अंकेक्षण के लिए सुविधाजनक  है।

2. अंकेक्षण के द्वारा उपयुक्‍त सलाह व्‍यापार संस्‍था की जानकरी अंकेक्षण को प्राप्‍त हो जाती है जिसके कारण कोई भी महत्‍वपूर्ण बात छुटने की संभावना कम होती है व्‍यापार के संबन्‍ध में अंकेक्षण अपनी ठीक राय दे सकता है।

3. अंतिम खातों की शीघ्र तैयारी 

अंकेक्ष‍ित अंतिम खातें व्‍यापारिक वर्ष के समाप्‍त होते ही तुरन्‍त प्रस्‍तुत किया जा सकता है। जिससें एक कम्‍पनी अपने लाभ की घोषणा जल्‍दी कर सकती है।

4. विस्‍तृत एवं गहन जांच

इस पद्धति के कारण अंकेक्षण का कार्य  वर्ष भर चलता रहता है इसके चलते हिसाब-किताब की विस्‍तृत एवं गहन जांच हो जाती है।

5. कर्मचारियों पर नैतिक प्रभाव 

संस्‍था में वर्ष पर्यन्‍त आते रहने से अंकेक्षण कर्मचारियों  पर नैतिक  प्रभाव पड़ता है। इस तरह से उनकी कार्यक्षमता, सर्तकता, ईमानदारी में वृद्धि होती है।

6. त्रुटियों एवं गबन का शीघ्र सुधार 

अंकेक्षण में गलतियों को जल्‍दी ही सुधारा जा सकता  है क्‍योकि सौदों की प्रविष्टियों के होन के एकदम बाद ही उनकी  जांच हो जाती है यदि कोई छल-कपट किया भी गया  हो तो उसको बढ़ने से पहले ही पकड़ लिया जाता है।

7. अद्यावत खातें  

खातें सदैव तिथि तक ही पूर्ण रहते है।

चालू अंकेक्षण की  हानियां (chalu ankekshan ki haniya)

चालू अंकेक्षण की हानियां इस प्रकार है--

1. अधिक खर्चीला 

चालू अंकेक्षण बड़ा ही खर्चीला होता है छोटी-छोटी संस्‍थाओं के लिए यह उपयेगी नही होता है।

2. अनैतिक प्रभाव

कर्मचारियों के नैतिक प्रभाव में कमी होने के कारण आशंका रहती है अंकेक्षक के बार-बार आनें पर  कर्मचारी अपनें मित्रता का दुरूपयोग कर सकते है। अंकेक्षक में कर्मचारियों की मित्रता साठ-गाठ सामान्‍य रूप से संस्‍था के अहित में होती है। 

3. अंकों में परिवर्तन

अंकेक्षण को हिसाब-किताब के अंको को धोखे की भावना से बदला जा  सकता है।

4. यंत्रवत कार्य 

चालू अंकेक्षण में अंकेक्षक का कार्य यंत्रवत् हो जाता है और उनके बार-बार आने से उसकी रूचि कार्य करने में कम पड़ जाती है।

5. कार्य में बाधा 

चालू अंकेक्षण में वर्ष के बार बार आने से संस्‍था का दैनिक क्रम बिगड़ जाता है। जिसके कारण कर्मचारियों की गति रूकती है तथा काम में बाधा पड़ती है।

6. कार्य का ताता टूटने का डर 

अंकेक्षण वर्ष के बीच बहुत बार आता है और अपना कार्य करता है इस तरह बीच में आने-जाने से कार्य का तांता टूटता है साथ ही किसी भी कार्य की  जांच अधूरी रह सकती है।

शायद यह जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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