कीमत निर्णय का अर्थ
विपणन प्रबन्ध के निर्णयों में कीमत निर्णय अपना प्रमुख स्थान रखते है क्योंकि कीमत निर्णय व्यावसायिक उपक्रम की प्रतियोगिता स्थिति तथा उसके बाजार अंश को प्रभावित करते है। कीमत निर्णय से ही व्यावसायिक उपक्रम के कुल आगम और शुद्ध लाभ होते है। कीमत निर्णय से विक्रय एवं विज्ञापन संवर्धन कार्यक्रम प्रभावित होते है। अत: विपणन प्रबन्ध को उतपाद की कीमत का निर्णय काफी सोच-विचार करके लेना चाहिए।
कीमत निर्णय की परिभाषा
कनर्वस के शब्दों में,'' एक निश्चित अवधि के लिए कीमत संबंधी निर्णयों को ही कीमत नीति कहा जाता है।
कीमत निर्णयों के उद्देश्य
कीमत निर्णय के उद्धेश्य इस प्रकार है--
1.कीमत स्थिरता
वस्तुओं की कीमत का निर्णय इस प्रकार लेना चाहिये जिससे कीमतों में स्थिरता हो जाये। वस्तुओं की कीमत में स्थिरता लाने से उपभोक्ता का विश्वास प्राप्त हो सकता है।
2. स्थिर लाभ सीमा
व्यावसायिक उपक्रम की कीमत नीति इस तरह निर्धारित की जा सकती है जिससे कि उपक्रम को निश्चित दर से लाभ प्राप्त होते रहें।
3. विनियोग पर उचित प्रत्यय
व्यावसायिक उपक्रम का मुख्य उद्धेश्य अपने विनियोग पर उचित प्रत्यय प्राप्त करना होता है।
4. लाभों को अधिकतम करना
हर व्यावसायिक का उपक्रम का मुख्य उद्धेश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना है इस उद्धेश्य की पूर्ति काफी हद तक कीमत निर्णयों पर निर्भर करती है।
5. प्रतिस्पर्धा का सामना
नीति निर्णय का एक उद्धेश्य यह भी होता है कि विभिन्न प्रतियोगी वस्तुओं को ध्यान में रखकर कीमत निर्णय लिये जायें जिससे की प्रतिस्पर्धा का तैयारी से सामना किया जा सकें।
6. ग्राहकों की देय क्षमता के अनुसार कीमत वसूल करना
बहुत व्यावसायिक उपक्रमों का मुख्य उद्धेश्य ग्राहकों के दय क्षमता के अनुसार कीमत निर्णय लेना होता है।
कीमत निर्णय का महत्व
कीमत निर्णय का महत्व इस प्रकार है--
1. किसी नवीन वस्तु के विक्रय की स्थिति में
पहली बार बाजार में जब कोई वस्तु लाई जाती है तो उस वस्तु की कीमत तय करना एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है कीमत संबंधी निर्णय अनेक बातों पर विचार विमश करने के बाद लिया जाता है।
2. वस्तओं की कीमत
वस्तु का मूल्य- मजदूरों, किराया, लाभ, ब्याज आदि को प्रभावित करता है यह आर्थिक साधनों को भी प्रभावित करता है।
3. व्यावसायिक जगत में वस्तु या सेवा की कीमत बहुत ही महत्वपूर्ण है कीमत वस्तु की मांग को निर्धारण करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है। कीमत संस्था की प्रतियोगी स्थिति बाजार कों प्रभावित करता है इस से ही संस्था के कुल आगम, शुद्ध लाभ प्रभावित होते है।
4. प्रतियोगिता की दशा में
हर बार अपनी कीमत नीति पर दोबारा विचार विमश इस लिए करना पड़ता है क्योंकि प्रतिस्पर्धा में सफल होना है प्रतिस्पर्धा में उत्पादकों ने अपनी वस्तुओं की कीमत कम कर दी है।
5. आदेश पर उत्पादन करने की स्थिति में
जब कोई संस्था आदेश मिलने पर वसतुओं का उत्पादन करती है तो उसे हर आदेश पर कीमत तय करनी पड़ती है यदि वस्तुओं की कीमत उचित नही होगी तो कम्पनी (संस्था) को टेण्डर नही मिलेगा।
6. कीमत पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए कानून
सभी देशों में कीमत पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए कुछ कानून होते है जिसके करण संस्था की कीमत व रणनीतियां प्रभावित होती है इस प्रकार कानून वितरण, विज्ञापन, पैकिंग के सम्बन्ध में होते है। इन सभी करणों के कारण कोई भी उत्पादक अपनी मूल्य नीति को बताने में सकोच करता है।
कीमत निर्धारण के घटक/तत्व
कीमत निर्धारण के तत्व इस प्रकार है--
1. व्यवसाय का उद्धेश्य
व्यवसाय के विभिन्न उद्धेश्य हो सकते है जैसे विनियोजित धन पर सही दर से आय प्राप्त करना प्रतियोगी बाजार में अधिक बाजार प्राप्त करना आदि साथ ही व्यवसाय के उद्धेश्यों को ध्यान में रखकर कीमत निर्णय लेने चाहियें।
2. सम्भावित बाजार पर परिणाम
यदि बाजार का आकार बडा है तो विक्रय बड़ने की सम्भावना के कारण निर्माताओं की भौतिक वितरण, यातायात आदि विपणन लागतों में कमी होने की सम्भावना होती है।
3. निर्माता का उद्धेश्य
उत्पाद की कीमत निर्धारण उत्पादक के उद्धेश्यों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। एक उत्पादक के जैसे उद्धेश्य होगे उसकी कीमत नीति भी उसी तरह होगी। यदि निर्माता का उद्धेश्य बाजार को हथियाना है तो उत्पाद का मूल्य कम रखना होगा। इसके विपरीत निर्माता का उद्धेश्य ज्यादा लाभ प्राप्त करना है तो शुरू में कीमत अधिक रखी जाये।
4. विज्ञापन प्रयास
निर्माताओं व व्यवसायियों द्वारा किये जाने वाले विज्ञापन प्रयास भी उत्पाद की कीमत को प्रभावित करती है राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन करने पर वस्तु की कीमत अधिक रखी जाती है। इससे स्पष्ट होता है कि विज्ञापन प्रयासों के प्रकार का सीधा सम्बन्ध निर्माता के कीमत निर्धारण से होता है।
5. उत्पाद विभक्तीकरण
वस्तुओं का बाजार उसकी कीमत के स्थान पर उत्पादक की विभिन्नताओं पर अधिक निर्भर करता है ऐसी स्थिति में उत्पाद रंग, रूप, आकार, वैकल्पिक प्रयोग आदि विभिन्न्तायें उत्पन्न कर दी जाती है जिससे की ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित किया जा सकें। ऐसे ग्राहक जिनके लिए कीमत अधिक महत्वपूर्ण, क्रय निर्धारण तत्व नही होता है वे वस्तु की कीमत के स्थान पर फैसन, स्टाइल, टिकाउपन, गुण उत्पाद सेवा को प्राथमिकता देते है।
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