12/21/2020

व्यष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र, महत्व, सीमाएं

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 व्यष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र 

vyasti arthashastra ka kshetra;ऐक्ले के शब्दों मे," कीमत और मूल्य सिद्धांत, परिवार, फर्म एवं उद्योग का सिद्धांत, अधिकतम उत्पादन और कल्याण सिद्धांत व्यष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र है। व्यष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र तथा आवश्यकता इस प्रकार है--

1. उपभोग 

उपभोग के अधिकांश नियमों का विश्लेषण व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत आता है, जैसे-- ह्रासमान तुष्टिगुण नियम, सम-सीमान्त तुष्टिगुण नियम, उपभोक्ता की बेशी का सिद्धांत आदि सीमान्त विश्लेषण पर आधारित है। सीमान्त विश्लेषण व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्वपूर्ण अंग है और इसका अध्ययन इसके अंतर्गत होता है।

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2. उत्पादन संरचना का अध्ययन 

व्यष्टि अर्थशास्त्र राष्ट्र के कुल उत्पादन का नही बल्कि उत्पादन की संरचना का अध्ययन करता है। 

3. कुल आय का वितरण 

व्यष्टि अर्थशास्त्र कुल आय का अध्ययन नही करता है बल्कि यह कुल आय के वितरण का अध्ययन करता है। विभिन्न उत्पादन साधनो का आय मे हिस्सा निर्धारित करने, फर्मो तथा उद्योगो मे आय निर्धारित करने आदि का अध्ययन आर्थिक व्यष्टि अर्थशास्त्र मे किया जाता है।

4. विनिमय 

किसी वस्तु या सेवा विशेष की कीमत का निर्धारण और उसका अध्ययन व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है। किसी फर्म विशेष की लागत, कुशलता और इसमे उत्पादित वस्तु की कीमत का संतुलन भी इस पर निर्भर करता है।

5. आर्थिक कल्याण का क्षेत्र 

व्यष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग कल्याण की दशाओं की जांच के लिए किया जाता है। इसका आश्य है कि व्यक्तियों को वस्तुओं तथा सेवाओं से प्राप्त सन्तुष्टियों का अध्ययन व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है।

6. विशिष्ट इकाईयों का क्षेत्र 

यह विभिन्न विशिष्ट इकाईयों, यथा- एक व्यक्ति, एक परिवार, एक फर्म एक उद्योग इत्यादि से सम्बंधित व्यय, उपभोग, बचत, विनियोग, आय के स्रोतों इत्यादि का विश्लेषणात्मक अध्ययन करता है। 

7. आर्थिक व्यवहार 

विशिष्ट इकाईयों को अपने-अपने क्षेत्र मे आर्थिक व्यवहार या आर्थिक समस्याओं के संबंध मे निर्णय लेने मे व्यष्टि अर्थशास्त्र सहयोग करता है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्व (vyasti arthashastra ka mahatva)

व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्व इस प्रकार से है-- 

1. अर्थव्यवस्था की कार्य-प्रणाली को समझना 

प्रो. वाटसन के अनुसार," व्यष्टि अर्थशास्त्र के विभिन्न उपयोग है। इनमे सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि इसमे हम स्वतंत्र निजी उद्यन अर्थशास्त्र के कार्य-चालन को भली प्रकार से समझ सकते है।" 

चूंकि व्यक्तिगत आर्थिक इकाइयां ही परस्पर मिलकर एक अर्थव्यवस्था का निर्माण करती है और उन इकाइयों के आर्थिक व्यवहार का सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव भी पड़ता है, इसलिए सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को समझने के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि विभिन्न आर्थिक इकाइयों का व्यक्तिगत रूप से विश्लेषण किया जाये।

2. आर्थिक नीतियों का सुझाव 

व्यष्टि अर्थशास्त्र का कार्य आदर्शवादी भी है व्यष्टिगत आर्थिक सिद्धांत केवल अर्थव्यवस्था के वास्तविक कार्य चालन का ही वर्णन नही करता है। यह उन नीतियों का भी सुझाव देता है जिससे व्यक्तियों के कल्याण या सन्तुष्टि को अधिकतम करने के लिए आर्थिक व्यवस्था मे अकार्यकुशलता को दूर किया जा सके।

यह राज्य की आर्थिक नीतियों का मूल्यांकन करने के लिए विश्लेषणात्मक उपकरण भी प्रदान करता है। कीमत या मूल्य प्रणाली एक उपकरण है जो कार्य मे सहायता देता है। 

3. आर्थिक कल्याण 

व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक कल्याण की दशाओं का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। यह आदर्शात्मक अर्थशास्त्र का मुख्य विषय है। व्यष्टि अर्थशास्त्र इस बात का सुझाव देता है कि आर्थिक कल्याण के आर्दश को कैसे प्राप्त किया जा सकता है।

4. मानसिक व्यायाम 

व्यष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन मानसिक व्यायाम का कार्य करता है। इससे मनुष्य के मस्तिष्क की सभी प्रकार की शक्तियों को पूर्ण अभ्यास मिलता है, इससे वे स्वस्थ बनती है।

5. प्रबन्ध सम्बन्धी निर्णय 

व्यावसायिक फर्में व्यष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग प्रबंध सम्बन्धी निर्णय लेने के लिए करती है। इस संबंध मे लागतों तथा मांग के विश्लेषण द्वारा बनायी गयी नीतियों का बहुत महत्व है।

6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मे सहयोग 

व्यष्टिगत अर्थशास्त्र के द्वारा अंतराष्ट्रीय व्यापार की समस्याओं, जैसे- व्यापार-शेष असन्तुलन, विदेशी विनिमय दर आदि को समझा जा सकता है। 

7. जीवन स्तर सुधारने मे सहायक 

जिवन स्तर हमारे उपभोग पर निर्भर करता है। हम जितनी अधिक कार्यकुशलता पूर्वक कार्य करेंगे उतना ही अधिक उत्पादन होगा। आर्थिक प्रणाली के कुशलतापूर्वक संचालन हेतु उसे समझना आवश्यक है, और यह व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन द्वारा ही संभव होता है। इस प्रकार आर्थिक सिद्धांत हमारे जीवन स्तर को सुधारने मे सहायक होते है। 

8. वास्तविक आर्थिक घटनाओं के लिए माॅडलों का निर्माण एवं प्रयोग

व्यष्टिगत अर्थशास्त्र वास्तविक आर्थिक घटनाओं को समझने के लिए माॅडलों का निर्माण करता है और उनका प्रयोग कराता है। प्रो. लर्नर के शब्दों मे," व्यष्टिगत अर्थशास्त्र यह समझने की सुविधा देता है कि बूरी तरह से जटिल अस्त-व्यस्त असंख्य तथ्यों के लिए व्यवहार के माॅडल बनकर जो काफी हद तक वास्तविक घटनाओं के समान होते है, उनके समझने मे सहायक होगा।" 

9. व्यक्तिगत इकाइयों के आर्थिक निर्णय मे सहायक 

व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तियों, परिवारों, फर्मों आदि को अपने-अपने आर्थिक व्यवहार के संबंध मे उचित निर्णय लेने की क्षमता उपलब्ध कराता है, जैसे -- प्रत्येक उपभोक्ता सीमित साधनों से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करना चाहता है। आज तो प्रत्येक फर्म माँग विश्लेषण तथा रेखीय प्रोग्रामिंग का उपयोग करके, अधिकतम लाभ प्राप्त करने का प्रयत्न करती है। इन सब बातों का अध्ययन व्यष्टि अर्थशास्त्र मे ही संभव है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएं या दोष (vyasti arthashastra ki simaye)

व्यष्टि अर्थशास्त्र का प्रयोग प्राचीन काल से ही होता आया है और इसे आर्थिक समस्याओं के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण शाखा के रूप मे स्वीकार किया जाता रहा है, तथापि व्यष्टि अर्थशास्त्र के कुछ सीमाएं या दोष है जो इस प्रकार से है-- 

1. सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को समझने मे असमर्थ 

व्यष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को समझने मे असमर्थ है, क्योंकि इसमे केवल व्यक्तिगत इकाइयों का ही अध्ययन किया जाता है। इसमे सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को महत्व नही दिया जाता है। 

2. विश्लेषण अवास्तविक मान्यताओं पर आधारित 

व्यष्टिगत आर्थिक विश्लेषण कुछ ऐसी अवास्तविक मान्यताओ पर आधारित है जो वास्तविक जीवन मे कदापि देखने मे नही आती, जैसे-- पूर्ण रोजगार, पूर्ण प्रतियोगिता आदि।

3. सीमति प्रयोग 

कुछ समस्याओं के विश्लेषण मे इसका प्रयोग नही किया जा सकता। जैसे-- धन का न्यायपूर्ण वितरण या तटकर लगाना आदि। अतः सीमित क्षेत्र मे ही इसके द्वारा अध्ययन किया जा सकता है। इससे सूक्ष्य या व्यष्टिगत आर्थिक प्रणाली का महत्व कम हो गया है। 

4. पूर्ण रोजगार संभव नही 

यह विश्लेषण पूर्ण रोजगार वाली अर्थव्यवस्था मे ही लागू होता है, जबकि जीवन मे पूर्ण रोजगार वाली अर्थव्यवस्था का होना लगभग असंभव है। 

5. कुछ आर्थिक समस्याओं के अध्ययन के लिए अनुपयुक्त 

अनेक आर्थिक समस्याएं राष्ट्रीय स्तर की होती है। व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण से इनका अध्ययन नही किया जा सकता। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय आय एवं रोजगार, प्रशुल्क नीति, आय व साधन का वितरण, मौद्रिक नीति, औद्योगिकरण, आयात-निर्यात तथा आर्थिक नियोजन सम्बन्धि समस्याओं का व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत अध्ययन नही किया जा सकता। इन सबका अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र मे ही किया जा सकता है व्यष्टि अर्थशास्त्र मे नही। 

6. निष्कर्ष सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था की दृष्टि से ठीक नही होते 

व्यष्टि अर्थशास्त्र के निष्कर्ष सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नही होते इस पर आधारित निष्कर्ष या निर्णय किसी व्यक्ति विशेष या फर्म के लिए तो सही हो सकते है लेकिन ऐसा जरूरी नही है कि ये समस्त अर्थव्यवस्था के लिए भी ठीक हो।

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