3/28/2022

नगरों के विकास के कारण

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नगरों के विकास के कारण 

nagro ke vikas ke karan;नगरों की उत्पत्ति कब और कहाँ हुई, यह सुनिश्चित रूप से बता वाना कठिन हैं। नगरो के विकास में बढ़ती हुई जनसंख्या, नदी और समुद्रतट के स्थान, उपजाऊ भूमि, सैनिकों के शिवर, उद्योग और व्यापार महत्वपूर्ण पोषक कारक रहें हैं किन्तु समय-समय पर अनेक कारकों ने नगर की उत्पत्ति में अपनी महान भूमिका अभिनीत की हैं। नगरों के विकास कुछ मुख्य उत्तरदायी कारण निम्नलिखित हैं-- 

1. भारत में धर्म का स्थान सर्वोपरि हैं। प्रत्येक धर्म को यहाँ सम्मान दिया जाता है। इसलिए धार्मिक स्थानों पर नगर बस गए। हरिद्वार, मथूर, काशी, बनारस इसके उत्तम उदाहरण हैं। 

2. प्राचीन काल में सैकड़ों छोटी-छोटी रियासतें और राज्य थे। इनकी अपनी सेनायें थीं जो किलों में रहती हैं। इन बड़े-बड़े किलो और सैनिक छावनियों के स्थानों पर भी नगर बस गए क्योंकि सैनिकों की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यापारी और शिल्पकार वहाँ एकत्रित होने लगे। झाँसी, ग्वालियर अनेक नगर सैनिक नगर कहलाते हैं। 

3. कृषि के लिए अच्छी और उपजाऊ भूमि, सिंचाई की सुविधा, अनुकूल मौसम जिस स्थान पर भी व्यक्ति को प्राप्त हुए वहाँ नगर बस गए। 

4. संसार के महानगर समुद्र और नदी के किनारे आज भी देखे जा सकते हैं। भौगोलिक सुविधाओं के कारण व्यक्ति एक स्थान पर बस गए। जहाँ अच्छी और उपजाऊ भूमि, पर्याप्त वर्षा, सर्दीं और गर्मी का मौसम, सिंचाई के साधन थे वहाँ छोटे-बड़े नगर बस गए। 

5. प्राचीन काल में आवागमन की सुविधायें कम थीं इसलिए परिवहन की दृष्टि से जो नगर महत्वपूर्ण हुए वही जनसंख्या बसती चली गयी। 

6. शिक्षा केन्द्र प्राचीन काल में अनेक स्थल भारत में ऐसे थे जो शिक्षा के लिये विश्व प्रसिद्ध थे। देश और विदेश के विद्यार्थी और विद्या अर्जन के जिज्ञासु व्यक्ति यहाँ अध्ययन करने आते थें। भारत में नालन्दा और तक्षशिला ऐसे ही शिक्षा के केंद्र थे। 

7. विभिन्न देशों में कुछ ऐसे क्षेत्र होते हैं जो अपनी कलाकारी और शिल्प के लिए प्रसिद्ध होते हैं। इन स्थानों पर विशेष प्रकार का शिल्प विकसित होता हैं और कालांतर में ये स्थान अपनी पहचान बना लेता हैं। धीरे-धीरे ये क्षेत्र नगर बन गए। 

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आधुनिक युग में नगरों का विकास 

प्रत्येक युग अपने साथ कुछ नये सिद्धांत को लेकर आता हैं। इसलिए परिवर्तित समाज कभी भी पीछ़े मुड़कर भूतकाल नहीं देखता। वह निरन्तर विकास और प्रगति की कड़ी में कुछ नया जोड़ता जाता हैं। इसलिए समाज के संपूर्ण ढ़ांचे में परिवर्तन होते है जो समाज को गति भी देते है और नये आयाम भी। आधुनिक युग में जो नगर बसे उनके निम्नलिखित कारण थे-- 

1. औद्योगिक क्रांति 

नगरों के विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका औद्योगिक क्रांति की रही हैं। नगरों में फैक्ट्री, मिल, कारखानों आदि की स्थापना से नगर बढ़ते चले गए। औद्योगिक क्रांति ने नगरों में नौकरी के असंख्य अवसर प्रस्तुत किये हैं। जिस स्थान पर भी बड़े कारखाने खुलते है वह कालांतर में एक नगर बन जाता हैं क्योंकि इनमें हजारों लाखों व्यक्ति कार्य करते हैं। 

2. जनसंख्या में वृद्धि

किसी भी स्थान पर जनसंख्या वृद्धि किन्हीं कारणों से जब होती है तब वे क्षेत्र सरलता से नगर का रूप धारण कर लेते हैं। आज गाँव कस्बे और नगर महानगर होते जा रहे है क्योंकि जनसंख्या वृद्धि से अनेक छोटे-बड़े उद्योगों की स्थापना होती है। 

3. नगरीय सुविधाओं के केंद्र 

वे स्थान जहाँ नागरिक को अनेक प्रकार की सुविधायें सहज ही प्राप्त होती हैं वे भी नगर बन जाते हैं। इन सुविधाओं में उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा की सुविधा, जीवन की अधिकतम आवश्यकताओं की पूर्ति जिन स्थानों पर होती हैं वे बड़े नगर बन जाते हैं। 

4. आवागमन के साधनों में विकास 

आवागमन के साधन एक क्षेत्र को दूसरे क्षेत्र से जोड़ने का कार्य करते हैं। आज रेल, बसें, ट्रक, पानी के जहाज, हवाई जहाज आदि ऐसे साधन हैं जो माल को लाने और ले जाने का कार्य करते हैं। उनमें माल लाने और ले जाने में समय भी कम लगता है और व्यय भी कम होता हैं। इसलिए जो क्षेत्र सीधे आवागमन की सुविधाओं से जुड़ जाते हैं वे नगर में परिणत हो जाते हैं। 

5. राजनैतिक कारण 

संसार के सभी देशों की राजधानियाँ विशाल, सुंदर और आकर्षण नगर और महानगर बन गए हैं। राजधानियाँ किसी भी देश की छवि को बनाती हैं। उसके विकास की गति को दर्शाती हैं। दिल्ली, न्यूयार्क, टोकियों, लन्दन इसके उदाहरण हैं। 

6. आर्थिक आकर्षण 

नगर आर्थिक आकर्षण के केंद्र हैं। यहाँ की शान, चमक-दमक, रहन-सहन का स्तर, बड़े-बड़े महल, होटल, रेस्ट्राँ, माॅल्स, सिनेमाघर, जगमगाता बाजार, फैशन में डूबे हुए लोग, ये सब कुछ ऐसा हैं जो लाखों व्यक्तियों को नगर में काम करने और बसने का निमंत्रण देता हैं। 

7. सुरक्षा की भावना 

गाँव की अपेक्षा नगरों में जीवन अधिक सुरक्षित हैं। पुलिस व्यवस्था छोटे-बड़े, निर्धन-धनी, सभी की जान-माल की समान रूप से रक्षा करती हैं। 

8. शिक्षा के केंद्र 

उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के केंद्र नगर में परिवर्तित हो जाते हैं। क्योंकि इन स्थानों पर देश-विदेश के विद्यार्थी विद्या अर्जन करने आते हैं। इन केन्द्रों के आस-पास बाजार स्थापित हो जाते हैं और मनोरंजन के केंद्र भी जैसे-- क्लब, सिनेमाघर, खेल-मैदान आदि।

यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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