3/28/2022

महानगर किसे कहते हैं? विशेषताएं

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महानगर किसे कहते हैं? (mahanagar kya hote hain)

महानगर से आशय सामान्यतः ऐसे नगरों से लगाया जाता है जो एक ओर तो विशाल भूमि तथा जनसंख्या को अपने में समेटे हुए होते हैं, वहीं दूसरी ओर ये बड़े व्यावसायिक एवं वाणिज्यिक केंद्र भी होते हैं। इन स्थानों पर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यों का जमाव होता हैं। 

वर्तमान में जिन नगरों को महानगरों के नाम से जाना जाता है वहाँ की जनसंख्या कम से कम दस लाख या इससे ऊपर होती है तथा यहाँ विभिन्न प्रकार के कार्य होते हैं और ये न केवल राष्ट्रीय, अपितु अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के केन्द्र होते हैं। इनकी अपनी एक पहचान होती हैं। 

'महानगर' शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा से हुई है जिसका अभिप्राय होता है मातृ नगर। ग्रीक नगरों का विकास इसी भावना से हुआ हैं। प्रारंभ में ये नगर छोटी-छोटी निवास व्यवस्था में संगठित थे। इनकी अपनक पृथक विशेषताएँ थी। बाद में उच्च राष्ट्रीयता के आधार पर इन नगरों में विशिष्टताएँ विकसित हो गयी। वर्तमान में जिन नगरों में जनसंख्या दस लाख या इससे ऊपर होती है, उन्हें महानगर की श्रेणी में रखा जाता हैं। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के कार्य होते हैं। ये अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के नगर होते हैं। 

एक नगर, महानगर तब बनता है जब वहाँ पर प्रादेशिक स्तर के कार्यों का जमाव हो जाता हैं। यहाँ पर व्यापार व वाणिज्य संबंधी कार्य अधिक विकसित हो जाते हैं। यहाँ से सभी प्रकार की उत्पादक वस्तुएँ व समग्री समीपवर्ती क्षेत्र को वितरित की जाती हैं। यह क्षेत्र नगर द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त करता है। उससे वह वस्तुओं का आदान-प्रदान करता हैं। 

महानगर आस-पास के नगरों से अधिक जनसंख्या रखते हैं। यह व्यापार का स्वतंत्र क्षेत्र होता हैं। यहाँ पर अनेक प्रकार के उद्योग, विस्तृत थोक व्यापार विकसित हो जाते हैं। यह वित्तीय, सांस्कृतिक तथा प्रशासकीय गतिविधियों का केंद्र होता है। इन नगरों में केंद्रीय व्यापार क्षेत्र की बनावट स्पष्ट नजर आती है। नगर का यह भाग कोर (Core), दि सिटी (The City) डाउन टाउन (Down Town) आदि नामों से पुकारा हैं। यहाँ पर विविधि प्रकार की इमारतों का जमाव, विशेष वस्तु की बिक्री वाली दुकानों की प्रधानता, कार्यालय, सार्वजनिक इमारतें देखने को मिलती हैं। रात्रि में यह क्षेत्र मृतप्राय हो जाता है। यह चारों ओर से रिहाइशी इमारतों द्वारा घिरा होता है, जहाँ से लोग इस व्यापारिक क्षेत्र में काम करने आते हैं। 

एन.बी.ग्रास नामक अमेरिकी अर्थशास्त्री ने महानगर की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए लिखा हैं कि," महानगरीय अर्थव्यवस्था उत्पादकों व उपभोक्ताओं का संगठन होती हैं जो एक-दूसरे पर माल व सेवाओं के लिए निर्भर करती हैं। माल व सेवाएँ जो कि महानगर में पायी जाती हैं, लोगों की आवश्यकताओं को विनिमय के आधार पर पूरा करती हैं। महानगर न केवल स्थानीय व्यापार का केंद्र होता है बल्कि वह बाहरी क्षेत्रों से आर्थिक संबंध स्थापित करता है तथा उन्हें बनाये रखता हैं।" 

एक अन्य विद्वान का कहना है कि महानगर में विविध प्रकार के प्रादेशिक उद्योगों का जमाव पाया जाता हैं। इन उद्योगों का तीव्र विकास महानगर के विकास में सहायक होता हैं। जैसे-जैसे यह विकसित होता जाता हैं, वैसे-वैसे अन्य केन्द्रों की निर्भरता इस महानगर पर बढ़ती जाती हैं।  

महानगर की विशेषताएं (mahanagar ki visheshta)

सिमेल महोदय के मतानुसार महानगर में निम्नलिखित विशेषताएं पायी जाती है-- 

1. संबंधित क्षेत्र में जनसंख्या का प्रति किलोमीटर अधिक घनत्व अर्थात् आबादी का घना बसा होना। 

2. एक निश्चित सीमा रेखा में, जिसे महानगरीय सीमा कहा जा सकता हैं, विशेष वस्तुओं का उत्पादन होना। 

3. किसी विशेष वस्तु के उत्पादन के नाम से उक्त महानगर द्वारा अपनी पहचान या अस्तित्व बनाये रखना। 

4. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर महानगर की अपनी पहचान या प्रतिबद्धता होना। 

इसके अतिरिक्त जार्ज सिमेल ने महानगर की विशेषताओं में उन सभी बातों को भी स्वीकार किया हैं, जो किसी भी बड़े नगर में देखी जाती हैं, जैसे--

1. जनसंख्या के घनत्व में निरन्तर वृद्धि होना। 

2. संबंधित क्षेत्र में उच्च-राष्ट्रीय तत्वों का नियमन होना।

3. बहुउद्देशीय कार्यों का केन्द्रस्थल होना। 

4. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कार्यों का केंद्र स्थल। 

5. आवागमन तथा संदेशवाहन के प्रचुर और अच्छे साधनों की व्यवस्था होना। 

6. विशाल औद्योगिक और व्यावसातिक केंद्र होना।

7. कला, साहित्य, विज्ञान, चिकित्सा, तकनीकी ज्ञान की वैज्ञानिक संस्थाओं का केंद्र। 

8. मनोरंजन की विशिष्ट व्यवस्था होना। 

9. महानगरों में जनसंख्या की भौतिकवादी एवं व्यक्तिवादी मनोवृत्तियों की प्रमुख विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली बातें देखी जा सकती हैं। 

10. वस्तुओं का द्वैतियक उत्पादन से संबंधित होना। 

11. महानगरों में जनसंख्या की पृथक मानसिक विशेषता एवं जीवन-शैली देखी जाती है।

12. परम्परागत विचारों के स्थान पर आधुनिक संस्कृति का बोलबाला यहाँ देखा जा सकता हैं। 

13. नैतिक पतन संबंधी तत्व भी काफी मात्रा में यहाँ देखे जा सकते हैं।

यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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