नगर नियोजन के उद्देश्य अथवा लक्ष्य
nagar niyojan ke uddeshya;नगर नियोजन नगर वासियों की सुविधाओं, नगर सौन्दर्यीकरण तथा स्वस्थ पर्यावरण निर्माण के लिये किया जाता हैं। पैट्रिक एवरक्राम्बी नामक विद्वान ने नगर नियोजन के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए व्यक्त किया हैं कि सौन्दर्य, स्वास्थ्य और सुविधायें अर्थात् उपलब्ध संसाधनों के आधार पर नगर का विकास इस रूप में करना चाहिए कि वह देखने में आकर्षक लगे तथा ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि उसका सौन्दर्य बना रहे। ऐसा जरूरी न हो कि सिर्फ निर्माण से नगर का सौन्दर्य नहीं बना रह सकता, उसके सौन्दर्य को बनाये रखने का प्रावधान होना चाहिए। इसी प्रकार ऐसे प्रयास किए जाए जिससे नगर में रहने वालों का जीवन तथा स्वास्थ्य सही बना रहें। नगर मे जल प्रदूषण व वायु प्रदूषण आदि से नगरवासियों का स्वास्थ्य खराब हो सकता हैं। इसलिए नगरों मे खुली हवा मे जीवन बिताने के लिए नगर नियोजन आवश्यक हैं। यह उपलब्ध भूमि का अच्छे से अच्छा उपयोग करने की अनुमति देता हैं। यह सभी अमीर व गरीब के लिये एक सुन्दर प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रस्तुत करता हैं। यह नागरिकों के रहने, खेलपे, खेलने, मनोरंजन तथा सामाजिक व आर्थिक स्तर को ऊँचा उठाने के लिए प्रयास करता हैं। नगर नियोजन नगर का विकास इस दृष्टि से करता हैं कि नगर नगरवासियों की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ उसके समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों की आवश्यकताओं की भी पूर्ति करे। नगर नियोजन के निम्नलिखित तीन महत्वपूर्ण उद्देश्य अथवा लक्ष्य होते हैं--
1. आकर्षण
नगर नियोजन उपलब्ध संसाधनों के आधार पर नगर को अधिक से अधिक सुंदर बनाने, नगर को उसकी धरातलीय बनावट के अनुसार सुंदर रूप देने का प्रयास करता हैं। वह नगर में व्यापारिक, औद्योगिक व वाणिज्यक कार्यों की स्थापना को प्रोत्साहन देता हैं जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार मिल सके और नगर के वैभव में बढ़ोतरी हो सके। नगर के आकर्षण बनाए रखने हेतु नगर में सफाई, प्रकाश आदि व्यवस्थाओं का समुचित प्रबंध होना चाहिए जिससे नगर का आकर्षण नष्ट न हो पाये।
2. स्वास्थ्य
नगरवासियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी परिस्थितियों उपलब्ध करना, उनके रहने व काम करने के लिये उपयुक्त वातावरण प्रदान करना तथा भूमि का उचित रूप से उपयोग नगर नियोजन का प्रमुख लक्ष्य होता हैं।
3. सुविधायें
नगर नियोजन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य प्रदेश के निवासियों को सुविधायें देना भी होता हैं। वह नगर नियोजन युक्तिसंगत नहीं होता जिसमें नगर के आकर्षण एवं स्वास्थ्य के लक्ष्यों की पूर्ति तो होती हैं, लेकिन असुविधा अधिक बढ़ जाती हो। यदि नगर के एक भाग में आवासीय क्षेत्र और दूसरे भाग में औद्योगिक पेटी है तो नगर में वायु प्रदूषण व गन्दगी नहीं होगी, परन्तु कारखानों में काम करने वालों को यदि आने-जाने में 1 से 2 घंटे लगे जाते हैं तो नियोजन के द्वारा असुविधा बढ़ जायेगी। यदि नगर नियोजन में दोनों पेटियों को परिवहन की सुविधा प्रदान की गई है तब यह दूरी किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं बनेगीं।
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