3/28/2022

नगर और महानगर में अंतर

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 नगर तथा महानगर में अंतर 

nagar or mahanagar me antar;पिछले लेख में हम नगर तथा महानगर को काफी अच्छी तरह से समझ चुके जिससे यही स्पष्ट है कि जनसंख्या के आकार, आर्थिक क्रियाओं, सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन, प्रवास, नियोजन और विकास के आधार पर नगर और महानगर इन दोनों की प्रकृति काफी पृथक-पृथक हैं। नगर तथा महानगर के बीच निम्नलिखित अंतर हैं--

1. नगर से आशय एक बड़े और स्थायी व्यवस्थापन से हैं जो कि किसी विशिष्ट क्षेत्र को कवर करता है। वहीं महानगर एक ऐसा व्यवस्थापन है जो कि पूरे शहर के साथ साथ आसपास के उपनगरों को भी समा लेता है। नगरों की तुलना में महानगरों का आकार काफी विशाल होता हैं। 

2. नगर की आर्थिक क्रियाओं का स्तर सामान्य प्रकृति का होता है तथा विभिन्न नगरों के निवासी अपने पास के किसी महानगर के माध्यम से आर्थिक क्रियाओं का संचालन करते है। इसके फलस्वरूप छोटे नगरों के आर्थिक संसाधन धीरे-धीरे महानगर में केन्द्रित होने लगते हैं। फलस्वरूप कस्बों तथा छोटे नगरों का आर्थिक जीवन सामान्य प्रकृति का बना रहता हैं, जबकि महानगर चूषक नगर का रूप लेने लगते हैं। इसका तात्पर्य है कि महानगरों का विकास उन पर सामान्य नगरों की निर्भरता का ही परिणाम होता हैं। 

3. महानगरों की तुलना में नगरों का सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन तुलनात्मक रूप से कम परिवर्तनशील होता हैं। दूसरी और महानगर आधुनिक संस्कृति का केंद्र होते है तथा आधुनिकता के लक्षणों का प्रसार महानगर से नगरों की ओर होता हैं। 

4. क्षेत्र, राज्य तथा राष्ट्र स्तर की राजनीति में उन लोगों का अधिक प्रभुत्व होता है जो नगरों की अपेक्षा महानगरों से निर्वाचित होते है। इसका कारण यह है कि महानगर से निर्वाचित होने वाले जनप्रतिनिधियों को एक बड़े क्षेत्र से संबंधित होने के कारण उन्हें अधिक प्रभावपूर्ण मान लिया जाता हैं। 

5. नगर और महानगर को प्रकृति की दृष्टि से देखे तो वह पृथक-पृथक नगर में गाँवो और कस्बों से प्रवास करके बसने वाले लोगों की दर उतनी नहीं होती जितनी नगरों से महानगरों की ओर प्रवास करने वाले लोगों की होती हैं। इसका कारण महानगरों का भौतिक आकर्षण तथा वे नागरिक सुविधाएं हैं, जो साधारणतया नगरों में उपलब्ध नहीं हो पाती। 

6. नगरों की अपेक्षा महानगरों में नियोजन तथा विकास की प्रक्रिया बहुत तेजी से होती हैं, इसका मुख्य कारण यह कि सरकार द्वारा महानगरों को अधिक वित्तीय साधन उपलब्ध कराने के साथ ही अनेक ऐसे उपक्रम स्थापित किए जाते हैं जो महानगरों में विकास की गति को तीव्र कर सकें।

यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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