वायु प्रदूषण नियंत्रण
vayu pradushan rokne ke upay;वायु प्रदूषण की समस्या सारे विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या बन गई है। बढ़ती जनसंख्या, आवश्यकताएं व औद्योगिक, वन विनाश इत्यादि के कारण यह समस्या दिन-प्रतिदिन जटिल होती जा रही है। अतः शीघ्र ही हमे इस समस्या की ओर ध्यान देकर वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना होगा। सर्वप्रथम नये उद्योगों को स्थापित करने से पहले जांच-पड़ताल व योजना बनाई जानी चाहिए जिसे उन उद्योगों से उत्पादन तो लिया जाये, साथ ही वातावरण को हानि न हो। उपयोग मे लाये जाने वाले यंत्र संरचना व क्षमता वाले हो। साथ ही वायु प्रदूषक नियंत्रण उपकरण का प्रयोग करना चाहिए।
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वायु प्रदूषण रोकने के उपाय अथवा सुझाव
वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय निम्न प्रकार है--
1. घरो मे धुआं रहित ईधनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। लकड़ी कोयला इत्यादि पारम्परिक ईधनों के स्थान पर विद्युत हीटर, कुकिंग गैस, कुकिंग रेंज इत्यादि का प्रयोग निश्चचत ही घरेलू स्त्रोतों से होने वाले वायु प्रदूषण के नियंत्रण मे सहायक हो सकता है।
2. स्वचालित वाहनों से उत्पन्न धुएं को निर्वात नाल पर छन्ना तथा पश्चज्वलक इत्यादि लगा कर कम किया जा सकता है।
3. डीजल ईधन मे संयोजी पदार्थों को मिलाकर तथा पेट्रोल से लेड तथा सल्फर को निकालकर इनके कारण होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
4. वाहनों के आन्तरिक दहन इंजिनों की संरचना मे निर्माताओं को कुछ ऐसे सुधार करना चाहिए जिससे ईधन का सम्पूर्ण दहन हो तथा प्रदूषण पदार्थ कम मात्रा मे उत्पन्न हो।
5. स्वचालित वाहनों से उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषक पदार्थों की मात्रा उनकी कार्यहीनता त्वरण, मंदन इत्यादि पर निर्भर करती है। अतः इन सबसे समुचित वाहनों का उपयोग सीमित किया जाना चाहिए। वाहनों मे लेड रहित पेट्रोल का उपयोग किया जाना चाहिए। नियंत्रण द्वारा ये वांछति उद्देश्य प्राप्त किये जा सकते है।
6. अत्यधिक वायु प्रदूषणकारी पुराने वाहनो के मुख्य मार्गों पर चलने पर पाबंदी तथा अन्य वाहनों से उत्पन्न धुएं को निश्चित स्तर से अधिक होने देने से संबंधित कानूनी नियम बनाना उपयोगी होगा।
7. कोयले से चालित इंजिनो के स्थान पर विद्युत इंजिनो का रेल यातायात मे प्रयोग किया जाना चाहिए।
8. कल कारखानों की चिमनियों की ऊँचाई समुचित होनी चाहिये जिससे प्रदूषक गैसो से आसपास के स्थानों मे कम से कम प्रदूषण हो।
9. चिमनियों मे स्थिर विद्युत अवेक्षपण के प्रयोग द्वारा गैसों से प्रदूषक पदार्थों को पृथक किया जाना चाहिए।
10. उद्योगों मे चक्रवात निस्यंदक तथा मर्जकों इत्यादि प्रदूषण नियंत्रक उपकरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
11. उद्योगों मे कम प्रदूषणकारी प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।
12. उद्योगों मे कच्चे माल की क्रियाविधियों एवं सिस्टम कंट्रोल मे समुचित परिवर्तन कर वायुमण्डल मे फैलने वाले प्रदूषको के उत्सर्जन मे कमी लायी जा सकती है।
13. प्रदूषण फैलाने वाले मुख्य स्त्रोत का पता लगाना चाहिए।
14. कोई भी कारखाना स्थापित करने से पहले उसका डिजाइन इस तरीके से तैयार करना पड़े कि कारखाने से उत्पन्न होने वाले हानिकारक उपजातों को वायुमंडल मे छोड़ने से पहले उपचारित किया जाए। इस संबंध मे कठोर कानून बनाए जाने चाहिए।
15. सड़क के किनारे, घरों की बाड़ मे, कारखानों के निकट तथा खाली स्थानो पर पेड़ लगाने चाहिए।
16. परमाणु बमों के परीक्षण बंद कर देने चाहिए एवं परमाणु बिजली घरों मे रेडियोधर्मी विकिरणों को बाहर जाने से रोकने के उपाय किये जाने चाहिए।
17. सड़ी-गली वस्तुओं और मृत पशुओं को भलीभांति शीघ्र ही ठिकाने लगा देना चाहिए।
18. गंदे-नालों की नियमित रूप से सफाई की जानी चाहिए।
19. सौर आधारित ऊर्जा का उपयोग किया जाना चाहिए। जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को कम किया जाना चाहिए।
20. विद्युत शवदाह गृहों का उपयोग किया जाना चाहिए।
21. रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का संतुलित उपयोग होना चाहिए।
22. नये परिवहन नेटवर्क एवं नगरों को नवीन योजना द्वारा बसाना।
23. भूमि एवं पूंजी का पुनः वितरण।
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