ध्वनि (शोर) प्रदूषण क्या है? (dhwani pradushan kise kahte hai)
dhwani pradushan arth karan prabhav;वर्तमान समय मे मशोनों, यंत्रो तथा वहनो का उपयोग बेतहाशा बढ़ता जा रहा है। उद्योगों मे, यातायात मे, घरो मे, सुख-सुविधा के साधनो मे। इससे वातावरण मे शोर स्वीकृत सीमा से काफी बढ़ गया है। इस ध्वनि-प्रदूषण के कारण न सिर्फ बहारापन, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, अनिद्रा, रक्तचाप तथा ह्रदय रोग के मरीजो की संख्या मे लगातार वृद्धि हो रही है, बल्कि मानव का मानसिक तनाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है।
पचलित परिभाषा के अनुसार," शोर एक अवांछित ध्वनि है। कोई भी ध्वनि जो अवांछनीय हो उसे शोर कहना उचित होगा। तात्पर्य यह है कि कोई भी ध्वनि जब मानसिक क्रियाओं मे विघ्न पैदा करने लगती है तो शोर के अंतर्गत आ जाती है। वस्तुतः शोर एवं ध्वनि मे मुख्य अंतर तीव्रता का ही होता है।"
ध्वनि (शोर) प्रदूषण के कारण अथवा स्त्रोत (dhwani pradushan ke karan)
1. प्राकृतिक स्त्रोत
इसके अंतर्गत बादलो की गड़गड़ाहट, बिजली की कड़क, तुफानी हवाये, ऊँचे पर्वतो से तेजी से गिरते जल ध्वनि, भूकंप व ज्वालामुखियों के फट पड़ने से उत्पन्न ध्वनियां तथा वन्य जीवो की आवाजे शामिल की जा सकती है। प्राकृतिक स्त्रोतों से उत्पन्न ध्वनि-शोर क्षणिक तथा यदा-कदा वाला होता है। इसका प्रभाव भी क्षणिक होता है। इसमे प्रकृति स्वयं संतुलन स्थापित कर लेती है।
2. कृत्रिम स्त्रोत अथवा कारण
औद्योगिकरण एवं शहरीकरण के साथ-साथ हमारे जीवन मे कृत्रिमता आयी है। मानव निर्मित ध्वनि के स्त्रोतो के अंतर्गत निम्न ध्वनि आती है--
(अ) औद्योगिक ध्वनि
विभिन्न तरह के औद्योगिक प्रतिष्ठानों द्वारा उच्च तीव्रता की ध्वनि का उत्पादन किया जाता है। उद्योगो मे लगे हुए विभिन्न प्रकार के उपकरण जैसे मिलिंग मशीने, लेथ मशीने, कंप्रेशर, बाॅयलर, कटिंग मशीन, मोल्डिंग मशीन, जेट उपकरण, वायु-दाब से चलने वाले उपकरण, टरबाइन, ब्लास्ट मशीनें, पाइप लाइनें, क्रेन, बुलडोजर बृहद आकार के डम्फर, केशर इत्यादि अधिकांशतः ऐसे औद्योगिक स्त्रोत है जो उच्च तीव्रता की कर्णभेदी ध्वनि पैदा करते है। अलग-अलग तरह के लघु तथा वृहद औद्योगिक प्रतिष्ठानों द्वारा अलग-अलग तीव्रता की ध्वनि का उत्पादन किया जाता है। शहरी क्षेत्रों व रहवासी क्षेत्रों के आसपास उपस्थित लकड़ी के टाल, मोटर रिपेयरिंग सेंटर, रेडियो, टी. वी. रिपेयरिंग सेंटर, टक, बस बाॅडी बनाने के लघु उद्योगों द्वारा भी उच्च तीव्रता की ध्वनि का उत्पादन किया जाता है।
(ब) यातायात के साधन
उद्योगो द्वारा बने माल, कच्चे माल को लाने के लिए उपयोग मे आने वाले ट्रक, जल-जहाज वायुयान, जेट विमान, माल गाड़ियां परिवहन के साधन, जैसे रेलगाड़ियाँ, बस, कार, दुपहिया वाहन इत्यादि तीव्र ध्वनि पैदा करते है।
(स) शहरी या घरेलू ध्वनि
शहर के अंदर लोगों से भरे हुए व्यापारिक तथा उत्पादक क्षेत्र, कार्यालय, तेज आवाज मे बजते हुए लाउडस्पीकर, त्यौहारों के अवसरो पर उत्पन्न भीड़भाड़ व उससे उत्पन्न ध्वनि, घरो मे फ्रिज, मिक्सी व अन्य विद्युत उपकरणों द्वारा पैदा ध्वनि, कार्यालयों की भीड़भाड़ व लोगो की आवाज, टाइपराइटर की टिकटिक, शादी-विवाह के अवसरो मे ध्वनि उत्पादक यंत्रो का प्रयोग मुख्य ध्वनि स्त्रोत है।
हमारे देश मे धार्मिक तथा सामाजिक उत्सवों के अवसर पर लाउड-स्पीकरो द्वारा तेज आवाज मे संगीत एवं भजन प्रसारित करना बहुत प्रचलित है। इसके अतिरिक्त दीपावली, दशहरा जैसे त्यौहारों तथा शादी-ब्याह के समय पटाखे फोड़े जाते है तो बहुत ही तीव्र कष्टकारक शोर-पैदा करते है।
ध्वनि (शोर) प्रदूषण के दुष्प्रभाव (dhwani pradushan ke prabhav)
शोर मानव जीवन को विभिन्न रूपो मे प्रभावित करता है। शोर जहां एक तरफ मानव स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है, वहां दूसरी तरफ उसकी कार्य क्षमता भी घटाता है। शोर मानवीय क्रियाकलापों मे मुख्यतः तीन तरह से बाधक होता है--
1. ध्वनि श्रवण स्तर पर
शोर सामान्य ध्वनि के श्रवण तथा फलस्वरूप वार्तालाप की प्रक्रिया मे बाधक होता है।
2. प्राणी कार्यकीय स्तर पर
शोर शरीर की सामान्य कार्यकीय को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है।
3. मानव आचरण के स्तर पर
शोर मनुष्य के सामान्य सामाजिक आचरण को प्रभावित करता है।
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