3/06/2021

रजिया के शासन काल की घटनाएं, पतन के कारण

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रजिया सुल्तान इल्तुतमिश की बहुत बुद्धिमान बेटी थी। इल्तुतमिश की मृत्यु के पश्चात् उसके सरदारों और अक्तादारों ने रजिया को सुल्तान न बनाकर इल्तुतमिश के ज्येष्ठ पुत्र रूकनद्दीन फिरोज को सुल्तान बनाया। कुछ ही महीनों में रूकनुद्दीन की विलासता और उसकी मां शाह तुर्कान के कुचक्रो से सरदार और सुबेदार अंसतुष्ट होने लगे। उसने रजिया की हत्या की कोशिश भी की। फिरोज जब विद्रोही सूबेदारों का सामना करने के लिए दिल्ली से बाहर गया हुआ था; रजिया ने उसका लाभ उठाया। रजिया शुक्रवार के दिन, जब लोग मध्याह् की नमाज के लिए एकत्रित थे, सहसा लाल वस्त्र धारण कर जनता के सामने खड़े हुई। उसने न्याय की मांग की। उसने इल्तुतमिश की इच्छा को याद कराया और शाह तुर्कान के अत्याचारों के विरूद्ध जनता से सहायता मांगी। रजिया की ओजस्विनी वाणी और उच्च कोटि की वाकपटुता का प्रभाव जनता पर पड़ा। फिरोज के दिल्ली लौटने पर उसके पूर्व ही रजिया को सुल्तान बना दिया गया। शाह तुर्कान जेल में डाल दी गई। फिरोज को पकड़ कर कत्ल कर दिया गया।

रजिया के शासन काल की प्रमुख घटनांए

रजिया ने 1236 ई. से 1240 ई. तक शासन किया था। उसके शासनकाल की प्रमुख घटनांए निम्न है--
1. विद्रोह
रजिया को दिल्ली सल्तनत की शासिका बनते ही उसके निकटवर्ती प्रदेशों में रह करमत तथा मुजाहित संप्रदायों के लोगों ने विद्रोेह किया। रजिया ने शक्तिशाली सेना भेजकर इस विद्रोह का दमन-किया। सैकड़ों को मौत के घाट उतार दिया गया। इस विद्रोह का दमन करने के कारण रजिया के यश में वृद्धि हुई।
2. राजपूतों से संघर्ष
रजिया को राजपूतों से लाहा लेना पड़ा। रणथम्भौर के राजपूतों ने मुसलमान सेना को घेर रखा था। रजिया ने सेना भेजकर मुसलमान सेना को मुक्त करवाया था। इससे पता चलता है कि इल्तुतमिश के बाद राजपूत पुनः शक्तिशाली बन गये थे।
3. राजपक्ष का सुदृढ़ीकरण
अपने विपक्षियों पर विजय प्राप्त करने के बाद रजिया के राजपक्ष के मजबूतीकरण का कार्य प्रारम्भ किया। राजपद और अपनी प्रतिष्ठा को सुदृढ़ करने के लिए उसने अपने पक्ष के एंव विश्वासपात्र सरदारों को विभिन्न पदो पर नियुक्त किया। ख्वाजा मुहज्जबउद्दीन को वजीर के पद पर नियुक्त किया। पहले मलिक सैफुद्दीन को और उसके बाद मलिक कुतुबुद्दीन हसन गोरी को सेना का प्रधान नियुक्त किया गया। दो अन्य महत्वपूर्ण नियुक्तियां थीं। इख्तियारूद्दीन एतगीन को ‘अमीर-ए-हाजिब‘ का पद दिया गया। अल्तुनिया को भटिण्डा का सूबेदार नियुक्त किया गया। उसने एक गेैर तुर्की अमीर अबीसीनियन हब्शी जमालुद्दीन को ‘अमीरे-आखूर‘ नियुक्त किया।
4. मंगोल समस्या
इसी समय में गजनी के सूबेदार मलिक हसन कार्तुग ने मंगोलो के विरूद्ध रजिया से सहातय मांगी। रजिया से उससे सहानुभूति प्रकट करते हुए बरन की आय उसे देने का बादा किया लेकिन सैनिक सहायता नहीं दी। इस प्रकार इल्तुतमिश की भांति उसने मंगोलो के संभावित झंझटसे अपने राज्य को बचाया।

रजिया के पतन के कारण 

लगभग साढ़े तीन वर्ष के शासन काल के पश्चात् रजिया का पतन हो गया। रजिया की असफलता या उसके शासन के पतन के कारण निम्न प्रकार थे--
1. तुर्की सरदारों की महत्वाकांक्षा-रजिया की स्वेच्छाचारिता
रजिया ने अपने विरोधी पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् निरंकुश और स्वेच्छाचारी शासन स्थापित करना चाहा। इन दिनों तुर्की सरदारों की क्षमता और प्रभाव इतना था कि उनका विरोध करके शासन करना एक दुष्कार कार्य था। रजिया को प्रतिद्वन्द्वी दल संगठित करने का पर्याप्त समय भी न मिल सका। अंत में प्रभावशाली अमीरों ने रजिया की स्वेच्छाचारिता की समाप्त करके ही दम लिया। रजिया की स्वेच्छाचारिता के अतिरिक्त उन्हें गैर तुर्की सरदारों का प्रभाव सहन नहीं था।
2. रजिया का नारी होना
पर्दा त्यागकर रजिया का पुरूषों वाले वस्त्र पहनना और पर्दे के त्याग से प्रतिक्रियावादी और कट्टार मुसलमान वर्ग अवश्य ही नाराज हुआ होगा। इसी प्रकार कुछ बड़े अमीरो को एक नारी के शासन के अधीन रहना भी गवारा नहीं होता होगा। इन तत्वों ने रजिया के पतन में योगदान अवश्य दिया होगा परन्तु प्रधान कारण तुर्की अमीरों और सरदारों के स्वार्थ और सत्ता की महत्वकांक्षाएं ही थी।
3. रजिया और याकूत के सम्बन्ध
रजिया के समकालीन लेखक फरिश्ता का कथन है कि याकूब को रजिया की विशेष कृपा प्राप्त थी। रजिया जब घोड़े पर चढ़ती थी तब वह उसे सहारा देकर घोड़े पर बिठाता था। इस कारण कुछ इतिहासकारों ने रजिया का याकूत के साथ प्रेम सम्बन्ध होने का आरोप लगाया है। इस संबंध में विद्वानों ने विरोधी मत प्रकट किये है। सच जो भी हो लेकिन इतना अवश्य है कि इस लोकापवाद ने रजिया के पतन के मे अवश्य ही कुछ योगदान दिया होगा।
4. इल्तुतमिश के वयस्क पुत्रों का जीवित होना
इल्तुतमिश केे वयस्क पुत्रों का जीवित होना भी रजिया की असफलता का एक कारण बताया जाता है। इन पुत्रों से षड्यंत्रकारी सरदारों को बड़ा सम्बल प्राप्त हुआ। वे इनकी आड़ में रजिया पर प्रहार करने लगे।

मूल्यांकन

रजिया के सारे गुणों की चर्चा करते हुए अन्त में मिन्हान सिराज कहता है ‘‘सभी श्रेष्ठ गुण से उसके किस काम के थे।‘‘ सिराज का संकेत संभवत; यह है कि रजिया का स्त्री होना उसकी दुर्बलता थी। स्त्री होने के भी उसके पतन का कारण हो सकता है लेकिन उसकी असफलता का वास्तविक कारण तुर्की गुलाम अमीरो की महत्वाकांक्षांए थीं जिनकी शक्ति को दुर्बल कर वह सुल्तान की शक्ति और प्रतिष्ठा को बढ़ाना चाहती थी। निस्संदेह वह ना केवल दिल्ली की एकमात्र महिला सुल्तान थी, बल्कि ‘‘इल्तुतमिश के उत्तराधिकारी में सबसे श्रेष्ठा भी थी।''
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