भारत में राष्ट्रीय आय के कम होने के कारण
भारत में राष्ट्रीय आय कम होने के कारण इस प्रकार है—
1.पूँजी की कमी
भारत में पूँजी की कमी है तथा पूँजी शर्मीली भी है। लोग अपनी बचत को कंपनी आदि में लगाने की बजाय सोना-चांदी भूमि भवन तथा अचल सम्पत्ति में प्रयुक्त करते है।
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2. कृषि की परम्परागत प्रणाली
भारत में कृषि आज भी पुराने ढ़ंग से की जाती है और देशों की तुलना में प्रति हैक्टर में काफी कम है जहां आधुनिक तकनीक अपनाई जाती है।
3. बचत एवं विनियोग की नीची दर
भारत में लगभग दो तिहाई लोग आज भी गॉव में रहते है जो अनुत्पादक कार्यों में (शादी-विवाह मृत्युभोज तथा सामाजिक रीति-रिवाज आदि) में अपनी बचत का अधिकांश भाग खर्च कर देते है इसी वजह से अन्य देशों की तुलना में भारत में बचत एवं विनियोग दर काफी कम है।
4. यातायात तथा संचार के साधनों का अपर्याप्त विदोहन
भारत में रेल सड़क तथा वायु यातायात के साधनों की आज भी कमी है तथा संचार के साधनों का भी पर्याप्त विकास नही हो पाया है। विशेषत: ग्रामीण क्षेत्रों में इनका अत्यधिक अभाव है। इसलिए व्यापार व्यवसाय और विकास वांछित सीमा तक नही हो पाया है इस वजह से राष्ट्रीय आय कम होती है।
5. साहस की कमी
भारत में साहस की कमी है। कपंनीयों में जोखिम उठाने को तत्पर रहने की कमी है सत्ता में बार-बार परिवर्तन से स्थायी एवं सुदृढ़ आर्थिक विकास की रणनीति नही अपनाई जाती है।
6. जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि
भारत में प्रति-व्यक्ति आय कम हाने का मुख्य कारण राष्ट्रीय आय की तुलना में जनसंख्या में तेज गति से वृद्धि होना है।
7. निम्न उत्पादकता
देश के सभी उत्पादक क्षेत्रों में कृषि व कंपनीयों में श्रम की उत्पादकता तुलनात्मक रूप से काफी कम है कम उत्पादको की वजह से देश की राष्ट्रीय आय का कम होना स्वाभाविक है।
8. प्राकृतिक साधनों का समुचित ज्ञान और प्रयोग न होना
भारत निर्धन निवासियों का धनी देश कहलाता है अन्य देशों की तुलना में भारत में प्राकृतिक साधन पर्याप्त मात्रा में लेकिन उनका सही ढ़ंग से उपयोग नही हो पा रहा है यह राष्ट्रीय आय का कम होना का एक कारण है।
राष्ट्रीय आय में वृद्धि हेतु सुझाव
राष्ट्रीय आय में वृद्धि हेतु सुझाव इस प्रकार है--
1. राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण
भारत में चरित्र संकट तथा पारदर्शिता का अभाव सबसे बड़ी समस्या है।
2. कृषि में वैज्ञानिक तथा आधुनिक तकनीक का उपयोग
परम्परागत कृषि प्रणाली के स्थान पर वैज्ञानिक एवं आधुनिक तकनीक पर आधारित प्रणाली अपनाई जानी चाहिए, ताकी प्रति हैक्टर उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि हो सके और राष्ट्रीय आय में वृद्धि सके।
3. औद्योगिकरण को प्रोत्साहन
राष्ट्रीय आय बढ़ाने हेतु भारतीय अर्थव्यवस्था को कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था बनाना हेागा और औद्योगिकरण उत्पादन में तेजी वृद्धि करनी होगी। औद्योगिक उत्पादन बढ़ने से निर्यात बढ़ेंगे और देशकी आय में वृद्धि होगी।
4. लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास
स्थानी संसाधनों को ध्यान में रखकर लघु और कुटीर उद्योगों का देश भर में जाल बिछाया जाना चाहिए, ताकी एक तरफ तो रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके तथा दूसरी और राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो सके। ऐसे उद्योंगों को सरकार की तरफ से प्रारम्भिक अवस्था में संरक्षण दिया जाना चाहिए।
5. धन का समान वितरण
वर्तमान में भारत में धन तथा आय की विषमता चरम सीमा पर है सुस्पष्ट करारोपण नीति अपनाकर धन की तथा आय की विषमता को काफी सीमा जक दूर किया जा सकता है।
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