2/10/2021

समष्टि अर्थशास्त्र क्या है? परिभाषा, विशेषताएं, क्षेत्र

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समष्टि अर्थशास्‍त्र का अर्थ (samasti arthashastra kya hai)

samasti arthashastra arth paribhasha visheshta kshera;अंग्रेजी शब्‍द  '' मेको-इकानामिक्‍स'' (समष्टि  अर्थशास्‍त्र) की उत्‍पत्ति ग्रीक शब्‍द ' मेक्रोज से हुई है जिसका का अर्थ होता है ' वृहद् ' अर्थशास्‍त्र का वह भाग जो बड़े समूहों तथा औसतों के  संबंधों  पर विचार करता है समष्टि अर्थशास्‍त्र कहलाता है। उदाहरणार्थ किसी देश की समस्‍त राष्‍ट्रीय आय, समस्‍त राष्‍ट्रीय उपभोग, समस्‍त राष्‍ट्रीय उत्‍पादन, समस्‍त मांग, समस्‍त पूँर्ति वृहत मूल्‍य स्‍तर आदि का निर्माण कैसे होता है और किन कारणों से इसमें घटत-बढ़त होती है इसका का अध्‍ययन  वृहत अर्थशास्‍त्र के अन्‍तर्गत किया जाता है। दूसरे शब्‍दों में समष्टि अर्थशास्‍त्र कृषक, उद्यमियों, व्‍यापारियों, श्रमिकों, कर्मचारियों, आदि सभी के बारें में सामूहिक रूप से अध्‍ययन किया जाता है।

समष्टि अर्थशास्त्र की परिभाषा (samasti arthashastra ki paribhasha)

प्रो. स्‍टेनले के अनुसार,'' समष्टि अर्थशास्‍त्र का संबंध समूह के योगों के आर्थिक व्‍यवहार को समझने से है।''

प्रो. गार्डनर एक्‍लें के शब्‍दों में,'' वृहत अर्थशास्‍त्र का संबंध एक अर्थव्‍यवस्‍ता के उत्‍पादन की  कुल मात्रा जैसे चरों से इनके प्रसाधनों से प्रयोग की सीमा से राष्‍ट्रीय आय  के आधार एवं सामान्‍य मूल स्‍तर से है।''

प्रो. के.ई बोल्डिंग के अनुसार,'' वृहत अर्थशास्‍त्र विषक का वह भाग है शाखा है जो वृहत के प्रमुख योगों और औसतों का, न इसकी विशेष मदों का अध्‍ययन करता  है और इन योगों की एक उपयोगी ढ़ंग से परिभाषा देने तथा यह पता लगाने का  प्रयास करता  है  कि ये आपस में किस प्रोस से सम्‍बन्धित  है और किस प्रकार  निर्धारित होते है।''

प्रो. जे.एल हैन्‍सन के अनुसार,'' वृहत अर्थशास्‍त्र अर्थशास्‍त्र की  वह शाखा है जो वृहत योगो जैसे कि रोजगार, कुल आय एवं बचत, राष्‍ट्रीय आय एवं व्‍यय के पारस्‍परिक संबंध पर विचार करता है।''

प्रो. के.के.डेविड के अनुसार,'' समष्टि अर्थशास्‍त्र को आय सिद्धांत से भी सम्‍बोधित किया जा सकता है जो कि समस्‍त उत्‍पादन के स्‍तर को बताता है तथा यह भी स्‍पष्‍ट करता है कि यह स्‍तर क्‍यों बढ़ता एवं घटता रहता है।''

समष्टि अर्थशास्‍त्र की विशेषताएं (samasti arthashastra ki visheshta)

समष्टि अर्थशास्‍त्र की विशेषताएं इस प्रकार है--

1. अन्‍तर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार 

अन्‍तर्राष्‍टीय व्‍यापार क्षेत्र में समष्टि अर्थशास्‍त्र निर्यातों- आयातों की समस्‍याओं, भुगतान संतुलन एवं विदेशी समस्‍याओं का अध्‍ययन करता है।

2. मौद्रिक क्षेत्र 

समष्टि अर्थशास्‍त्र मुद्रा के परिणाम  सिद्धांत, मुद्रा स्‍फीति उवं मुद्रा विस्‍फीति आादि  का  सामान्‍य मूल्‍य स्‍तर पर पड़ने वाले प्रभावों का  अध्‍ययन करती है। 

3. व्‍यापार चक्र 

व्‍यावसायिक चक्रों के क्षेत्र में समष्टि अर्थशास्‍त्र, समग्र एवं समग्र रोजगार पर पड़ने वाले विनियोग के प्रभाव को विश्‍लेषण प्रदान करता है।

4. परिवर्तनशील समष्टि इकाइयां 

समष्टिगत अर्थशास्‍त्र में समष्टि इकाइयां जैसे राष्‍ट्रीय, आय कुल उत्‍पादन, कुल रोजगार, सामान्‍य कीमत स्‍तर आदि को परिवर्तनशील माना जाता है।

5. विकास 

अंत में समष्टि अर्थशास्‍त्र ऐसे कारकों का अध्‍ययन  करता है  जो आर्थिक विकास को बाधा  पहुंचाते है।

6. परस्‍पर निर्भरता

व्‍यक्तिगत साम्‍य स्‍तर के परिवर्तन का प्रभाव  अन्‍य इकाइयों पर नही पड़ता, जबकि समष्टिगत मात्रायें परस्‍पर इतनी समबद्ध होती है कि एक में परिवर्तन करने पर अन्‍य मात्राओं के साम्‍य स्‍तर पर भी परिवर्तन होगें।

7. समग्र स्‍वरूप 

जब हम सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍ता का विश्‍लेषण करते है तो यह समष्टि आर्थिक अध्‍ययन होता है यह सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍ता को एक ही दृष्टि से देखता है।

8. समष्टिगत मात्रायें

समष्टि अर्थशास्‍त्र में समष्टिगत मात्रायें, व्‍यष्टिगत मात्राओं का योग नही है और इसी प्रकार समष्टिगत मात्रा में व्‍यक्तिगत इकाइयों की कुल संख्‍या  का भाग देने पर व्‍यष्टिगत मात्रा प्राप्‍त नही की जा सकती, क्‍यो‍कि दोनो प्रकार की मात्राओं का अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है।

9. बेरोजगारी 

समष्टि अर्थशास्‍त्र देश की बेरोजगारी की समस्‍याओं से संबंधित होता है। इसके भीतर बेरोजगारी व निर्धारक तत्‍वों का अध्‍ययन किया जाता है।

10. सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍ता से संबंधित

समष्टि अर्थशास्‍त्र में सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍ता से संबंधित नीतियों का अध्‍ययन किया जाता है। इसके साथ-साथ इन समष्टि नीतियों का प्रभाव किसी एक व्‍यक्तिगत इकाई पर नही देखा जाता, सम्‍पूर्ण समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्‍लेषण ही समष्टि अर्थशास्‍त्र के अन्‍तर्गत ही  किया जाता  है। 

समष्टि अर्थशास्‍त्र का क्षेत्र 

समष्टि/व्यापक अर्थशास्त्र का क्षेत्र अत्यन्त ही विस्तृत है। इसमे कुल उत्पादन राष्ट्रीय आय, रोजगार, मूल्य स्तर, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, विदेशी विनिमय आदि का अध्ययन किया जाता है।

समष्टि अर्थशास्‍त्र  का क्षेत्र इस प्रकार है--

1. व्‍यापार चक्र

अर्थव्‍यवस्‍ता का विकास लगातार एक ही दिशा में नही होता है, इसमें उत्‍थान एवं पतन, उन्‍नति के एवं मंदी की स्थिति आती रहती है ऐसे पतन अर्थात् व्‍यापार चक्र के कारणों की जांच समष्टि अर्थशास्‍त्र का एक प्रमुख विषय है।

2. रोजगार एवं आय 

समष्टि अर्थशास्‍त्र का दूसरा नाम रोजगार व आय का सिद्धांत है। केन्‍स  ने अपनी प्रसिद्ध पुस्‍तक का नाम (General Theory of Employment Interest and  money) रखा है। इससे यह पता चलता है की रोजगार के सिद्धांत को उन्‍होने सबसें ऊपर रखा है रोजगार और आय का निर्धारण एक साथ होता है। रोजगार में वृद्धि  होने पर राष्‍ट्रीय आय में भी वृद्धि होती है तथा इसमें कमी होने पर राष्‍ट्रीय आय में भी कमी होती है समष्टि अर्थशास्‍त्र का सबसे महत्‍वपूर्ण विषय यही है आय के साथ साथ इसमें वृद्धि दर का भी अध्‍ययन किया जाता है।

3. अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार 

समष्टि अर्थशास्‍त्र में विभिन्‍न देशों के बीच होने वाले व्‍यापार का भी अध्‍ययन किया जाता है। अन्‍तर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार के सिद्धांत, टैरिफ संरक्षण आदि समस्‍यों के अध्‍ययन का समष्टि अर्थशास्‍त्र में काफी महत्‍व है।

4. सामान्‍य कीमत स्‍तर 

समष्टि अर्थशास्‍त्र में  मुद्रा स्‍फीति या कीमतों में होने  वाली  सामान्‍य वृद्धि तथा मुद्रा  संकुचन अर्थात कीमतों में होने  वाली सामान्‍य कमी  से संबंधित समस्‍यों का भी अध्‍ययन किया जाता है।

5.  समष्टि आर्थिक नीति

ऊपर  जिन विषयों की चर्चा की गई है इनका संबंध समष्टि आर्थिक सिद्धांत से है। इन सिद्धांतों को व्‍यवहारिक रूप देने के लिए  आर्थिक नीतियों की जरूरत होती है इन समष्टि आर्थिक नीतियों  का अध्‍ययन भी समष्टि अर्थशास्‍त्र का ही एक प्रमुख है इसके अन्‍दर मुख्‍य रूप से मौद्रिक एवं राजकोषिय नीतियों का विश्‍लेषण किया जाता है।

6. वितरण का समष्टिगत सिद्धांत 

प्राचानी अर्थशास्त्र माक्र्स व रिकार्डों आदि ने इस बात पर बल दिया था कि भूस्वामी, श्रमिक व पूंजीपति मे राष्ट्रीय आय का उचित वितरण होना चाहिए। बाद मे प्रो. कालडोर एवं कलेस्की ने इस बात पर पुनः बल दिया। कालडोर के अनुसार मजदूरी व लाभो का सापेक्ष हिस्सा अर्थव्यवस्था मे उपभोग प्रवृत्ति व विनिमय पर निर्भर है, जबकि कलेस्की का कहना था कि मजदूरी व लाभों का सापेक्ष हिस्सा एकाधिकार की मात्रा पर निर्भर करता है। 

संक्षेप मे, समष्टिगत आर्थिक सिद्धांत मे आय व रोजगार, सामान्य मूल्यस्तर, आर्थिक विकास तथा मजदूरी व लाभों से संबंधित क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।

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