गिरवी का अर्थ
गिरवी निक्षेप का ही एक प्रकार है। अंतर केवल इतना है कि निक्षेप मे वस्तुओं की सुपुर्दगी किसी भी उद्देश्य से की जा सकती है जबकि गिरवी मे वस्तुओं की सुपुर्दगी किसी ऋण के भुगतान या वचन के निष्पादन की प्रतिभूति के बदले मे की जाती है।
भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 172 के अनुसार," किसी ऋण के भुगतान अथवा किसी वचन को पूरा करने के लिए जमानत के रूप मे माल के निक्षेप को गिरवी रखना कहते है"
इसमे दो पक्षकार होते है--
1. जो व्यक्ति माल को गिरवी रखता है उसे "गिरवी रखने वाला" कहते है और
2. जिसके पास यह माल गिरवी रखा जाता है उसे गिरवी रख लेने वाला कहते है।
उदाहरण के लिए, मान लिजिए की मुकेश अपनी मोटरसाइकिल की जमानत पर राकेश से दस हजार रूपये का ऋण लेता है, तो हम कहेंगे की मुकेश ने अपनी मोटरसाइकिल राकेश के पास गिरवी रखी है। मुकेश गिरवी रखने वाला है और गिरवी रख लेने वाला राकेश है।
वैध गिरवी के लक्षण
वैध गिरवी के लक्षण इस प्रकार है--
1. केवल चल संपत्ति को ही गिरवी रखा जा सकता है
इसके अंतर्गत केवल चल संपत्तियों को ही गिरवी रखा जा सकता है। जैसे-- सोना, चांदी के जेवर, दस्तावेज, कंपनी के शेयर, सरकारी प्रतिभूतियां, अन्य बहुमूल्य वस्तुएं आदि।
2. माल का हस्तांतरण होना चाहिए
इसके अंतर्गत माल का वास्तविक या रचनात्मक तरीके से हस्तांतरण होना जरूरी है।
3. वैधानिक अधिकार
गिरवी रखे गऐ माल पर केवल अधिकार नही बल्कि वैधानिक अधिकार होना चाहिए। वैधानिक अधिकार वाले माल को ही गिरवी रखा जा सकता है।
4. ऋण के भुगतान पर माल वापस
जब गिरवी रखने वाला ऋण का भुगतान कर देता है तो गरिवी रख लेने वाले को माल वापस करना होगा।
गिरवी रखने वाले के अधिकार
गिरवी रखने वाले के अधिकार इस प्रकार है--
1. माल वापस पाने का अधिकार
गिरवी रखने वाले को यह अधिकार है कि ऋण का भुगतान करने के बाद गिरवी रखा गया माल वापस प्राप्त करे। यह माल उसी दशा मे प्राप्त होना चाहिए जिस दिशा मे यह रखा गया था।
2. वृद्धि या लाभ सहित माल पाना
यदि गिरवी रखे माल मे कुछ वृद्धि या लाभ होता है तो उसे गिरवी रखने वाला पाने का अधिकारी है।
3. क्षतिपूर्ति का अधिकार
यदि गिरवीदार ने गिरवी रखे गये माल के संबंध मे कोई त्रुटि की है तो गिरवी रखने वाले को अधिकार है कि वह क्षतिपूर्ति प्राप्त करे।
4. अधिक्य प्राप्त करने का अधिकार
यदि विशेष दशा मे जब गिरवी रखने वाला ऋण का भुगतान नही कर पाता और गिरवीदार माल विक्रय कर देता है तो गिरवी रखने वाले को अधिकार है कि लिये गये ऋण, ब्याज व व्ययों के अतिरिक्त गिरवीदार को मिली रकम प्राप्त कर ले।
गिरवी रखने वाले के उत्तरदायित्व व कर्तव्य
गिरवी रखने वाले निम्न कर्तव्य है--
1. माल के दोष प्रकट करने का कर्तव्य
गिरवी रखनें वाले का कर्तव्य है कि यदि गिरवी रखी गई वस्तु या माल मे कोई दोष अथवा जोखिम हो तो उसे गिरवीदार को प्रकट कर दे।
2. ऋण चुकाने का कर्तव्य
वस्तु गिरवी रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य होता है कि वह अनुबंध मे निर्धारित अवधि के अंदर ही गिरवीदार के ऋण को चुका दे और गिरवी रखी वस्तु को वापस ले ले।
3. व्ययों का भुगतान
यदि गिरवीदार ने कोई साधारण या असाधारण गिरवी रखी गई वस्तु के संबंध मे व्यय किये है तो उनका भुगतान करें।
4. हानि पर क्षतिपूर्ति
जब गिरवी रखने वाला अपने ऋण का भुगतान करने या वचन के निष्पादन मे कोई त्रुटि करता है, जिसके परिणामस्वरूप गिरवीदार को कोई हानि होती है तो ऐसी दशा मे गिरवी रखने वाले व्यक्ति को उसकी क्षतिपूर्ति करनी चाहिए।
5. हित की सीमा तक दायित्व
जब गिरवी रखने वाले का गिरवी रखी वस्तु मे सीमित हित होता है तो ऐसी दशा मे वह वस्तु उस वस्तु के संबंध मे केवल उस सीमा तक ही दायी होगा।
गिरवीदार या गिरवी रख लेने वाले के अधिकार
1. माल को रोक रखने का अधिकार
गिरवी रख लेने वाले को अधिकार है कि वह माल को तब तक रोककर रखे जब तक कि उसके द्वारा दिये गये ऋण तथा ब्याज का भुगतान न किया जाये। किन्तु माल उसी ऋण के लिए रोका जा सकता है जिसके लिए ऋण दिया गया है।
2. असाधारण व्यय पाने का अधिकार
गिरवी रख लेने वाले को उन समस्त असाधारण व्ययों को भी पाने का अधिकार है जो उसके द्वारा माल की देखभाल करने मे किये गये तथा इन्हें वसूल करने के लिए वह वाद भी चला सकता है।
3. अनुबंध का निष्पादन न होने की दशा मे अधिकार
यदि गिरवी रखने वाला ऋण नही चुकाता है या वचन का निष्पादन नही करता है तो गिरवी रख कर रखने वाले को अधिकार है कि--
1. निष्पादन न होने तक माल को रोके रखे व वाद प्रस्तुत करे
2. उचित सूचना देकर माल बेच दे तथा
3. बेचने पर अधिक रकम प्राप्त होने पर वापस करे, कम रकम प्राप्त होने पर शेष रकम की मांग करे।
4. माल पर स्वत्वाधिकार
यदि गिरवी रखने वाले के पास कोई माल व्यर्थहीन अनुबंध के अंतर्गत रखा है तथा ऐसे माल को गिरवी रख लेने वाला सावधानी व सद् विश्वास से गिरवी रखता है, तो गिरवी रखने वाले के अधिकार खराब होने पर भी गिरवी रख लेने वाले का माल पर स्वत्वाधिकार होगा।
गिरवीदार या गिरवीग्राही के कर्तव्य या उत्तरदायित्व
गिरवी रख लेने वाले के निम्न कर्तव्य है--
1. माल की उचित देखभाल
गिरवीदार का कर्तव्य है कि वह गिरवी रखे माल की उचित देखभाल करे तथा गिरवी रखे माल का अनुचित प्रयोग अपने लिये न करे।
2. माल को अलग रखना
गिरवीदार का कर्तव्य है कि वह गिरवी रखे माल को अपने माल से तथा अन्य किसी व्यक्ति के माल से अलग रखे।
3. वस्तु को दूसरे ऋण के लिये न रोके
वस्तु को उसी पर ऋण दिया गया है। किन्तु, विपरीत ठहराव की स्थिति मे वस्तु को रोका जा सकता है।
4. माल को वापस करना
ऋण का भुगतान अथवा वचनों का निष्पादन हो जाने पर कर्तव्य है कि वह गिरवी रखे माल को लौटा दे। त्रुटि की दशा मे होने वाली किसी भी हानि के लिये दायी होगा। उसका यह कर्तव्य है कि वह माल को अपने माल की तरह संभालकर अच्छे से रखे व उसकी उचित देखभाल करे।
5. वृद्धि या लाभ देना
गिरवी रखी गई वस्तु मे किसी प्रकार की कोई वृद्धि होती है या वस्तु से कोई लाभ प्राप्त होता है, तो गिरवीदार का यह कर्तव्य है कि वह उस वृद्धि या लाभ को गिरवी रखने वाले को दे देवे।
6. प्राप्त आधिक्य लौटाना
यदि वस्तु का विक्रय करने पर अधिक धनराशि प्राप्त होती है तो आधीक्य की राशि गिरवी रखने वाले को लौटा देनी चाहिये।
7. स्वयं क्रय न करे
गिरवीदार का यह भी कर्तव्य है कि वह गिरवी रखी वस्तु को स्वयं ही न खरीदें।
8. शर्तों के विपरीत कार्य न करना
गिरवीदार को अनुबंध की शर्तों के विपरीत को भी काम नही करना चाहिए।
9. असामान्य व्ययों के लिये वस्तु न रोकें
गिरवीदार का यह कर्तव्य भी है कि वह गिरवी रखी वस्तु पर किये गये असामान्य खर्चों की पूर्ति के लिये गिरवी वस्तु को न रोके।
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शायद यह आपके लिए काफी उपयोगी जानकारी सिद्ध होगी
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