सत्यापन के सिद्धांत (satyapan ke siddhant)
सत्यापन के सिद्धांत इस प्रकार है--
1. भौतिक जांच
सम्पत्तियों के अस्तित्व की जांच भौतिक परीक्षण के द्वारा की जानी चाहिए। यदि किसी सम्पत्ति का पुर्ण भौतिक परीक्षण मुमकीन न हो तो उसके संबंध में प्रबंधकों से प्रमाण-पत्र लिया जा सकता है जैसे स्टांप के संबंध में।
पढ़ना न भूलें; सत्यापन का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, महत्व
2. पुनरीक्षण का सिद्धांत
पुनरीक्षण से आशय उन क्रियाओं से है जिनसे इस बात की जानकारी हो जाए कि संस्था में किये गये लेन- देन अधिकृत है, साथ ही उन लेन-देनों का लेखा, लेखा पुस्तकों में किया गया है इसके लिए अंकेक्षण के माध्यम से प्रमाणकों की जांच की जाती है।
3. पुर्नगणना
खातों में दिखाये गये मूल्यों की सत्यता की जांच करने के लिए उन कि फिर से गणना की जाना पुर्नगणना कहलाती है हृास के लिए संचय अशोध्य ऋण के प्रावधानकी पुर्नगणना आवश्यक होती है।
4. तुलना
तुलना के भीतर उन क्रियाओं को शामिल किया जाता है, जिनमें चिट्ठें में दिखायी गयी सम्पत्तियों एवं दायित्वों की तुलना प्रारम्भिक लेखा पुस्तको में दिखाये गये मूल्यों से कि जाती है इसमें विभिन्नता को दूर करने के उद्धेश्य से दोनों मूल्यों की तुलना की जाती है ताकि त्रुटि होने की स्थिति में उसे दूर किया जा सके। इस संबंध में अंकेक्षण द्वारा मूल्य निर्धारण विधियों की जांच की जानी चाहिए, साथ ही यह देखना चाहिए की इन विधियों में कितनी स्थिरता है।
5. सपुष्टि
सपुष्टि का अर्थ चिटठें में सम्पत्तियों की विद्यमानता के प्रमाणीकरण से है संपुष्टि से यह पता चलता है कि संबंधित संपत्ति का स्वामित्व तथा आाधिपत्य संस्था के हाथों में है या नही। इसी प्रकार दायित्व का निर्धारण सही ढ़ंग से किया गया है या नही।
6. प्रमाणों की जांच
संपत्तियों और दायित्वों के मूल-प्रमाण पत्र सही है या गलत। वे है बीजक, अधिकार-पत्र, समझौता-पत्र आदि इन सब की जांच होना चाहिए।
7. संपत्तियों पर मरम्मत संबंधी खर्चों को आयगत मानना चाहिए।
8. देनदरों से पत्र व्यवहार करके वस्तुस्थिति का पता करना चाहिए।
9. लेनदारों से भी यह ज्ञात करना चाहिए कि उनकी अब कितनी शुद्ध देय राशियां है।
शायद यह जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी
Vary
जवाब देंहटाएंVary go
जवाब देंहटाएंVary good .
जवाब देंहटाएं