1/25/2021

सत्यापन का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, महत्व

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सत्‍यापन का अर्थ (satyapan kya hai)

satyapan arth paribhasha udeshaya mahatva;सत्‍यापन अंकेक्षक के हाथ में एक महत्‍वपूर्ण यंत्र है। सत्‍यापन का शाब्दिक अर्थ 'सत्‍य को प्रमाणित करना' होता है। व्‍यावसायिक खातों की जांच करने में यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा इस बात की सत्‍यता प्रकट हो जाती है कि इन खातों में दर्शाये गये स्थिति का वितरण कहां तक सत्‍य है। जिस तरह एक स्‍वर्णकार सोने की कसौटी पर कसकर यह पता लगाता है कि वह किस अंस तक शुद्ध है, ठीक उसी प्रकार सत्‍यापन अंकेक्षण विज्ञान का एक ऐसा परीक्षण है जिसकी कसौटी पर कसकर यह पता लग जाता है कि चिट्टठें में प्रदर्शित सूचना कहा तक सत्‍य है। अंकेक्षण का मुख्‍य उद्धेश्‍य यह पता लगाना है कि स्थिति विवरण किसी व्‍यवसाय की सच्‍ची तथा ठीक वस्‍तुस्थिति का ठीक प्रदर्शन करें। यह उद्धेश्‍य तभी पूरा हों सकता है जबकि इसमें दिखाई गई सम्‍पत्तियों और दायित्‍वों की सत्‍यता सिद्ध  हो जाये जब तक इस बात का विश्‍वास न हो जाये कि सभी सम्‍पत्तियों के दायित्‍वों के मुल ठीक वे ही दिखीये गये है जो वास्‍तव में है तब तक स्थिति वितरण की प्रमाणिकता के बारें में आश्‍वस्‍त नही हुआ जा सकता। सत्‍यापन यह आश्‍वासन प्रदान करता है।

सत्‍यापन की परिभाषा (satyapan ki paribhasha)

आर्थर डब्‍ल्‍यू. होम्‍स के शब्‍दों में,'' सत्‍यापन सम्‍पात्तयों की वृद्धि पुस्‍तकों में लेखा विद्यमानता एवं स्‍वामित्‍व की शुद्धता का प्रमाण है।''

स्‍पाइसर एवं पैगलर के शब्‍दों में,'' सम्‍पात्तयों के सम्‍यापन का अर्थ सम्‍पत्ति के मुल, स्‍वामित्‍व, स्‍वत्‍व विद्यमानता और अधिकार तथा उन पर किसी प्रकार के प्रभार की उपस्थिति जांच से है।''

सत्‍यापन के उद्देश्य (satyapan ke uddeshya)

सत्‍यापन के  उद्धेश्‍य  इस प्रकार  है--

1. सही मूल्‍याकंन 

अंकेक्षण यह देखता है कि सम्‍पत्ति का उचित मूल्‍याकंन किया गया है या नही। सम्‍पत्ति का मूल्‍याकंन करने के लिए एक ही विधि का हर वर्ष नियमित रूप से मूल्‍याकंन किया जाता है।

2. स्थिति वितरण का सही व उचित होना

सत्‍यापन का उद्धेश्‍य यह जांचना है कि सभी सम्‍पात्तियों एवं दायित्‍व को स्थिति वितरण में सही नियम अथवा प्रावधान के अनुसार निरूपित हुआ है या नही ।

3. सम्‍पात्तियों की विद्यमानता की जांच 

सत्‍यापन का मुख्‍य उद्धेश्‍य अंकेक्षण को इस बात से सन्‍तुष्‍ट करना है आर्थिक चिटठा को तैयार करने कि तिथि पर चिटठे में जो सम्‍पत्ति दर्शायी गई है, वे संस्‍था के पास पहले से ही विद्यमान है।

4. स्‍वामित्‍व एवं स्‍वत्‍वाधिकार 

सत्‍यापन का उद्धेश्‍य इस बात की जांच करना है कि स्थिति वितरण में दर्शायी गई सम्‍पात्ति असल में संस्‍था की है तथा संस्‍था को उन पर पुर्ण स्‍वत्‍वाधिकार प्राप्‍त है।

5. गणितीय शुद्धता की जांच 

सम्‍पत्तियों एवं दयित्‍वों की लेखों की गणितात्‍मक दृष्टि से भी जांच करनी चाहिए साथ ही यह देखना चाहिये की कोई अशुद्धि जो नही रह गई।

6. छलकपट पर नियंत्रण

सत्‍यापन की मदद से इस बात की जानकारी हो जाती है कि सम्‍पत्तियों और दायित्‍वों को चिट्ठे में दिखाये जाने के संबंध में छल कपट का प्रयोग किया जाता है या अथवा नही अर्थात सत्‍यापन में छल-कपट पर अंकुश लगता है।

7. मदों का न छूटना 

सत्‍यापन का एक उद्धेश्‍य यह भी है कि चिट्ठे में संपत्ति और दायित्‍व संबंधी कोई भी मद लिखने से ना रह जाये।

8. अंकेक्षण का संतुष्‍ट होना 

सत्‍यापन कार्य से अंकेक्षण को संतुष्‍ट भी होना चाहिए। यदि वह संतुष्‍ट नही है तो इसके पिछे किसी त्रुटि अथवा छल-कपट की आशंका हो सकती है।

9.अधिग्रहण, ग्रहणाधिकार तथा प्रभार 

सम्‍पत्तियां प्रभार से मुक्‍त है या नही यदि किसी कारण वस उस पर किसी तरह का प्रभार है  तो उस प्रभार का उल्‍लेख चिट्ठे में होना चाहिएं।

सत्‍यापन का महत्‍व (satyapan ka mahatva)

सत्‍यापन का महत्‍व इस प्रकार है--

1. संपत्तियों व दायित्‍वों के मुल्‍याकंन में सत्‍यापन आधार होता है।

2. सत्‍यापन के माध्‍यम से संपत्तियों की विद्यमानता की जानकारी होती है।

3. सत्‍यापन के माध्‍यम से संपत्तियों के दुरूपयोग की जानकारी होती है।

4. सत्‍यापन के अधिमूल्‍यन व अवमुल्‍यन की जानकारी सत्यापन से होती है।

5. सत्‍यापन के माध्‍यम से संस्‍था के प्रति विनियोजको में विश्‍वास जगाया जा सकता है।

6. इससें संस्‍था के चालू कार्यों के विकास की जानकारी प्राप्‍त की जा सकती है।

7. सत्‍यापन से संपत्तियों के प्रभार की जानकारी प्राप्‍त की जा सकती है। 

8. सत्‍यापन की मदद से इस बात की जानकारी हो पाती है कि संस्‍था में कितने ऋण सुरक्षित है तथा कितने असुरक्षित है।

पढ़ना न भूलें; सत्यापन के सिद्धांत 

शायद यह जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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