कंपनी अंकेक्षक का अर्थ
वर्तमान युग में अंकेक्षण का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया है , चाहे अंकेक्षण कराना अनिवार्य हो अथवा न हो, प्रत्येक संस्था अपने खातों का अकेक्षण कराना आवश्यक समझती है। संस्था का प्रारूप कोई भी हो अंकेक्षक का कार्य तो पुस्तको के लेखों की जांच करना है। विभिन्न संस्थाओं के खाते उसके लेखा पालक द्वारा तैयार किए जाते है। इन खातों की जांच तथा संस्था के लाभ-हानि खातें और चिटठे की सत्यता और शुद्धता को जो व्यक्ति प्रमाणित करता है, वह अंकेक्षण कहलाता है।
कंपनी अंकेक्षक के कर्तव्य
कंपनी अंकेक्षक के कर्त्तव्य इस प्रकार है--
1. रिपोर्ट पर हस्ताक्षर
अंकेक्षक अपने द्वारा दी गई रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करेगा। यदि अंकेक्षक का कार्य किसी फार्म के द्वारा होता है, जो कोई भी साझेदार रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर सकता है।
2. लाभांस के संबंध में रिपोर्ट
जब मौजूदा कंपनी प्रवितरण निर्गमित करती है, तब कम्पनी के लाभ हानि के संबंध में सम्पत्ति तथा दायित्व हेतु तथा पिछले पांच वर्षों में से हर वर्ष कम्पनी द्वारा बांटे गए लाभांश के संबंध में अंकेक्षक अपनी रिपोर्ट देगा।
3. वैधानिक रिपोर्ट का प्रमापीकरण वैधानिक रिपोर्ट का अंकेक्षण करते समय अंकेक्षक को कम्पनी द्वारा आबंटित अंश, प्राप्त रकम और भुगतान के संबंध में प्रमापीकरण करना होगा।
4. प्रबंध अभिकर्ता के त्याग-पत्र में रिपोर्ट देना
अगर कम्पनी के प्रबंध अभिकर्ता त्याग-पत्र देते हैं, तब ऐसे त्याग-पत्र के समय जो लाभ-हानि खाता और चिट्ठा तैयार होता है, उसके संबंध में अंकेक्षक को उसी तरह रिपोर्ट देनी होगी जिस तरह कि वार्षिक खातों के संबंध में दी जाती है।
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Auditor right
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