अनुसंधान का अर्थ (aanusandhan kya hai)
aanusandhan arth paribhasha udeshaya;साधारण शब्दों में किसी विशेष उद्धेश्य या कुछ खास कार्य के लिए किसी व्यापार के खातों की जांच और परीक्षा करने को अनुसंधान कहते है।
इसे विशेष अंकेक्षण भी कह सकते है। लेकिन सरकार के द्वारा कंपनी विधान की धारा 223(अ) के अन्तर्गत किये जाने वाले विशेष अंकेक्षण से यह अलग है। सरकार के द्वारा कराये जाने वाले विशेष अंकेक्षण एवं अनुसंधान के उद्धेश्य में बहुत अन्तर है। अनुसंधान पुस्तकों के पीछें तथा व्यवहारों की राह में की गयी गहरी जांच है यह न तो लेखा कर्म ही है और न ही अंकेक्षण ही, इसका लक्ष्य तथ्यों को इस प्रकार स्पष्ट कर देना है।
अनुसंधान की परिभाषा (aanusandhan ki paribhasha)
स्पाइसर एवं पैगलर के अनुसार,'' किसी विशेष उद्धेश्य के लिए खातों तथा लेखों की जांच को अनुसंधान कहते है।''
लंकास्टर के शब्दों में,'' अनुसंधान के क्षेत्र से संबंधित तथ्यों की सही स्थिति के स्पष्टीकरण के लिए व्यवसाय के खातों की जांच पड़ताल एवं परीक्षण को अनुसंधान कहते है।''
आर.जी विलियम्स के शब्दों में,'' अनुसंधान का आशय प्राय किसी व्यवसाय के लेखों के परीक्षण तथा जांच-पड़ताल से है जिससे अनुसंधान से संबंधित मामलों की सही स्थिति का पता चल सके।''
डिक्सी के शब्दों में,'' किसी संस्था के लेखों के अनुसंधान से आशय किसी उद्धेश्य से किये गये परीक्षण है। प्रभावस्वरूप अंकेक्षण की अपेक्षा प्रत्येक मामले की परिस्थितियों के अनुसार, अनुसंधान अनुसंधान का क्षेत्र का सीमित व विस्तृत हो सकता है। इसका उद्धेश्य तथ्यों की ऐसी खोज एवं निरूपण से है जिसके द्वारा नियोक्ता महत्वपुर्ण निष्कर्ष निकालकर इसके अनुसार निर्णय करने में समर्थ हो सके।''
बाटलीबाय के अनुसार,'' किसी व्यापार के गत कई वर्षों के लाभ हानि की जांच करना अनुसंधान कहलाता है, ताकि यह ज्ञात हो सके की व्यापार की कमाने की सामान्य क्षमता क्या है? तथा इन्हें कमाने के लिए कितनी औसत कार्यशील पूँजी की आवश्यकता है? अथवा एक विशिष्ट उद्धेश्य के लिए व्यापार की सही आर्थिक स्थिति केसी है।
अनुसंधान के उद्देश्य (aanusandhan ke uddeshya)
अनुसंधान के उद्धेश्य इस प्रकार है--
1. व्यवसाय क्रय करने के संबंध में आवश्यक सूचना प्रदान करना
यदि कोई व्यक्ति, संस्था या कंपनी किसी चलते हुएं व्यवसाय को खरीदना चाहती है तो वह उस व्यवसाय की संपत्तियों व दायित्वों के मूल्याकंन के लिए, उनकी भौतिक रूप से उपलब्धता के लिए व्यापार के भविष्य की लाभार्जन क्षमता निर्धारित करने के लिए, व्यवसाय का उचित क्रय मूल्य निर्धारित करनें के लिए अनुसंधान से कार्य कराया जाता है।
2. कपट का पता लगाने में सहायक होना
अनुसंधान प्रबंधकों के द्वारा लेखा पुस्तकों में की गई गड़बड़ी का पता लगाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। प्रबंधकों के द्वारा कपट बहुत ही सुनियोजित रूप से किया जाता है जिनका का पता अंकेक्षण अंकेक्षण के द्वारा भी नही लगा सकता है, अत: इनमें छलकपट का पता लगाने के लिए अनुसंधान का कार्य किया जाता है।
3. नये साझेदार बनान की स्थिति में व्यवसाय से संबंधित
कोई भी व्यक्ति जब किसी अन्य साझेदारी व्यवसाय में साझेदार बनाने की इच्छा रखता है तो वह व्यक्ति उस संस्था से अनुसंधान करता है। वह मुख्य रूप से व्यवसाय की अर्जन शक्ति, आर्थिक स्थिति, ख्याति के मुल्य निर्धारण एवं अन्य साझेदारों के स्वभाव, आदि के संबंध में अनुसंधान करा सकता है।
4. कंपनी के अंशों के मूल्याकंन में सहायक होना
कभी- कभी वित्तीय संस्थाएं या विनियोग संस्थाएं अन्य संस्थाओं के अंशों को खरीदने के लिए व मूल्याकंन हेतु भी अनुसंधान कराती है। अशों का मूल्याकंन बहुत प्रकार की पद्धतियों का प्रयोग कर के किया जाता है।
5. बीमा कंपनी के द्वारा क्षतिपूर्ति करने पर
बीमा कंपनियों द्वारा व्यवसाय को अग्नि, समुद्री दुर्घटना या अन्य प्रकार की बीमाओं से होने वाली हानियों की क्षतिपूर्ति के दावों के निर्धारण हेतु अनुसंधान कराया जाता है।
6. व्यवसाय के एकीकरण अथवा संविलयन में सहायक होना
वर्तमान समय में व्यवसायों का एकीकरण या संविलयन या आधुनिक वाण्जिय की भाषा में कहें तो Merger & Acqusitions के लिए व्यवसायों की लाभार्जन शाक्ति, आन्तरिक स्थिति, क्रय मूल्य के लिए अनुसंधान आवश्यक है।
पढ़ना न भूलें; अनुसंधान की प्रक्रिया
शायद यह जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी
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