अनुसंधान की प्रक्रिया
अनुसंधान की प्रक्रिया इस प्रकार है--
1. उस व्यक्ति अथवा फर्म की और जो किसी व्यवस्था को खरीदना चाहता है--
(अ) तो कीमत व्यापार के लिए मांगी जा रही है वह ठीक है या नही।
(ब) इस व्यापार से भविष्य में लाभ होने की उम्मीद है या नही।
(स) व्यापार का चिटठा जो पेश किया गया है वह ठीक है या नही तथा संपत्तियों व दायित्व पर विश्वास किया जा सकता है या नही।
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2. अगर कोई नई कंपनी की चालू कंपनी को खरीदना चाहती है--
(अ) जो कंपनी काम शुरू करने जा रही है वह नई कंपनी है।
(ब) अनुसंधान कराने का उसका विचार यह है कि अनुसंधानक की रिपोर्ट अपनें प्रविवरण में लगाकर जनता के सामने पेश कर सके।
(स) रिपार्ट प्राप्त नही होने से नई कंपनी का उद्धेश्य पूरा होगा। और वह साथ-साथ जनता को विश्वास पैदा होगा और वह कंपनी का शेयर खरीदेगें।
3. अगर कोई व्यक्ति किसी संस्था में साझेदार बनने की इच्छा रखता है--
(अ) मालिक या मालिको को नये साझेदारों की क्या आवश्यकता पड़ी। पूँजी की कमी है या निपुण विचार वाले व्यक्ति की जरूरत है या कोई बिमार रहता है इन सभी बातों की छानबीन अच्छी तरह से कर लेनी चाहिए।
(ब) यह भी पता लगाना चाहिए की जो पूँजी नया साझेदार लाएगा वह पुराने देय को चुकाने में लगा दिया जाएगा या फिर व्यापार को बढ़ाने के लिए पूँजी बन कर काम आयेगा।
(स) नई पूँजी के लिए उसे नफा में कौन सा हिस्सा मिलेगा इसकी जानकारी आवश्यक है।
4. उस व्यक्ति अथवा बैंक की और से किसी निजी व्यवसाय फर्म अथवा कंपनी में अपना रूपया लगाना चाहता है--
(अ) कर्ज क्यों लिया जा रहा है? इस कर्ज का उपयोग ठीक से किया जायगा या नही?
(ब) पहले किसी या किन्ही अन्य व्यक्तियों ने उस अर्थ प्रबंधन करना अस्वीकार तो नही कर दिया है। अस्वीकार किया है तब क्यों?
(स) लाभ उपार्जन करने की शक्ति भविष्य में भी कायम रहेगी अथवा नही।
(द) संबंधित व्यवसाय के लाभ-हानि करने की शक्ति का निश्चय करने के लिए लाभ-हानि खाते की परीक्षा करना।
5. कंपनी के दिवालिया होने का अंदेशा हो तब लेन दार अनुसंधान कराते है--
(अ) स्टॉक को देखना तथा क्रय एवं व्रिकेय की रकम की जांचना।
(ब) पिछलें केई साल के लाभ-हानि-खाता- को देखना और यह पता लगाना कि व्यापार कई वर्षों से क्यों गिरता चला आ रहा है।
(स) हृास के लिए व्यापार में पूरा प्रबंध किया गया है या नही इसका का पता लगाना।
(द) व्यापार में अगर खर्च बढ़ गये हो तब पता लगाना कि किस कारण से खर्चा इतना बढ़ रहा है।
6. कपट या जालसाजी का पता लगाने तथा रोकने से संबंधित अनुसंधान है तो निम्न प्रक्रिया होगी--
(अ) रूपये पैसे तथा माल को गैर वाजिव काम में लगा देना।
(ब) एकाउन्ट को गड़बड़ी करके रखना।
(स) बनावटी खरीद दिखला कर चुकता के लिए रूपया निकाल लेना।
(द) ग्राहको के पास से माल को लौटाया गया पर उसका कोई लेखा नही करना।
7. कंपनी के अंशों कें मूल्याकंन हेतु
जब कोई अंशधारी अपने अंशों को बेचना चाहे तो अंतर्नियमों के तहत वह अन्य अंशधारियों के समक्ष प्रस्ताव रखता है इस प्रस्ताव का मूल्य निर्धारण अंशों का अंकेक्षण करेगा अंशों का सही मूल्य निर्धारण कराने वाले अनुसंधानकर्ता को निम्नकित बातों का ध्यान रखना चाहिए--
(अ) व्यापार की की सही लाभोर्जन एवं क्षमता एवं झुकाव।
(ब) लाभांस वितरण संबंधि नीति की जांच करना एवं अधिलाभांस अंशों पर लाभांस की दर जानना।
(स) मुद्रा बाजार की स्थिति एवं पूँजी सुरक्षा का पता लगाना ।
(द) कंपनी के द्वारा पिछले वर्ष बांटा गया लाभ और भविष्य की सम्भावना।
शायद यह जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी
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