संप्रेषण क्या है? संचार या संप्रेषण का अर्थ
sampreshan arth paribhasha uddeshya;सामान्य भाषा मे संप्रेषण या संचार से आशय उस विचार-विमर्श से है, जो किन्ही दो व्यक्तियों के बीच किसी सूचना अथवा जानकारी के लिये होता है।
अन्य शब्दों मे," संचार विचारों तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान है। दो या दो से अधिक व्यक्तियों मे तत्वों, विचारों, विचारधाराओं या संवेगों के पारस्परिक आदान-प्रदान को संचार कहते है।
संप्रेषण अंग्रेजी भाषा के (Communication) का हिन्दी रूपान्तरण है। यह लैटिन शब्द ' Communico ' से बना है, जिसका अर्थ है आपस मे बाँटना या किसी वस्तु मे साझा करना, हिस्सा बाँटना है। अतः संप्रेषण दोतरफा प्रक्रिया है।
मानव विकास यात्रा के साथ-साथ संप्रेषण का स्वरूप व प्रकार बदलता गया। व्यक्ति की असीमित आवश्यकताओं ने संप्रेषण की आवश्यकता को जन्म दिया। प्राचीन सूचना संप्रेषण माध्यमों- लकड़ी व पत्तों के प्रयोग से लेकर भाषा, लिपि, प्रिटिंग प्रेस, रेडियों, फिल्म, दूरभाष, टेलीविजन, सेटेलाइट या उपग्रह, इंटरनेट मोबाइल तक का सफर मानव की असीमित आवश्यकता का ही परिणाम है।
संचार अथवा संप्रेषण की परिभाषा (sampreshan ki paribhasha)
लुइस ए. ऐलन के अनुसार," संदेशवाहन से तात्पर्य उन समस्त साधनों से होता है जिनको एक व्यक्ति अपनी विचारधारा को दूसरे व्यक्ति के मस्तिष्क मे डालने के लिए अथवा उसे समझाने के लिए अपनाता है। यह वास्तव मे दो व्यक्तियों के मस्तिष्क के बीच की खाई पार करने वाला पुल है। इसके अंतर्गत कहने, सुनने तथा समझने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया सदैव चालू रहती है।
सी. जी. ब्राउन के अनुसार," संप्रेषण एक व्यक्ति से दूसरे तक सूचना का हस्तांतरण है, चाहे उसके द्वारा विश्वास उत्पन्न हो या नही अथवा विनियम हो या नही, किन्तु हस्तान्तरण की गई सूचना प्राप्तकर्ता की समझ मे आनी चाहिए।"
न्यूमर एवं समर के अनुसार," संप्रेषण मे एक या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच तथ्यों, विचारों, सभाओं अथवा भावनाओं का आदान-प्रदान होता है।
ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के अनुसार," संचार से आशय विचारों एवं ज्ञान आदि के विनियम अथवा पहुँचाने से है। ऐसे शब्दों, लेखों अथवा चिन्हों के माध्यम से किया जा सकता है।"
अमेरिकन प्रबन्धकीय एसोशियेशन के अनुसार," संचार से आशय किसी ऐसे व्यवहार से है जिसका परिणाम आशय का विनिमय होता है।
चार्ल्स ई. रेडफील्ड के अनुसार," टेलीफोन, तार व रेडियो आदि ही संदेशवाहन के साधन नही समझे जाने चाहिए, वस्तुतः संदेशवाहन से तात्पर्य उस भावाभिव्यक्ति से है, जिसके द्वारा एक व्यक्ति का आशय दूसरा व्यक्ति समझ सके।"
थियो हेमैन के शब्दों मे," संप्रेषण एक दूसरे के मध्य सूचना एवं समझदारी बनाये रखने की प्रक्रिया है।"
कीथ डेविस के अनुसार," संप्रेषण एक-दूसरे के मध्य सूचना के आदान-प्रदान करने एवं समझने की प्रक्रिया है।"
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि संप्रेषण की सूचनाओं के आदान-प्रदान की एक सतत् प्रक्रिया है। जिसके अंतर्गत सूचनाग्राही उसी प्रकार से समझे जैसा कि संप्रेषक उसे समझाना चाहता है अर्थात् संप्रेषण का उद्देश्य सूचनानुसार कार्यवाही करना है जिसके साथ ही साथ संप्रेषण के अंतर्गत सूचना आदान-प्रदान करते समय विचारों मे भावनाओं का समावेश होना अनिवार्य है।
संप्रेषण या संचार के उद्देश्य (sampreshan ke uddeshya)
संप्रेषण प्रमुख उद्देश्य उचित व्यक्ति को उचित तरीके से उचित समय, उचित स्थान पर उचित सूचना पहुंचना होता है। संप्रेषण या संचार के उद्देश्य इस प्रकार है--
1. सूचना का आदान-प्रदान
संचार प्रक्रिया का प्रयोग इसलिए किया जाता है ताकि व्यवसाय से संबंधित समस्त सूचनाओं का विनिमय या आदान-प्रदान किया जा सके। इसके माध्यम से क्रय विक्रय, ग्राहक पूर्तिकर्ता एवं अन्य पक्षों के बारे मे सभी प्रकार की सूचनाएं प्राप्त की जा सकती है या भेजी जा सकती है।
2. उचित संदेश देशा
उचित संदेश प्रदान करना संप्रेषण का प्रमुख उद्देश्य है। संप्रेषण मे उचित सूचना, उचित समय मे उचित व्यक्ति को संप्रेषित करना होता है। इसके लिये सूचना प्रेषणकर्ता को उचित माध्यम का उपयोग करना आवश्यक होता है, जिससे सूचनाग्राही को सूचना प्रेषणकर्ता द्वारा प्रदान की जाने वाली सूचना उचित अर्थ मे प्राप्त हो सके।
3. क्रियाओं मे समन्वय
संप्रेषण व्यावसायिक उपक्रम को चलाने एवं नियंत्रण स्थापित करने का एक उपकरण है। व्यावसायिक क्रियाओं मे समन्वय स्थापित करने के लिये संप्रेषण एक पूर्व आवश्यक शर्त है।
4. कार्यवाही
संचार या संप्रेषण इस उद्देश्य से किया जाता है कि निश्चित किये गये लक्ष्यों के बारे मे क्या कार्यवाही हो रही है, इसका पता लग सके। इसी कारण प्रबंधक समय-समय पर कई प्रकार के विवरण मंगवाते है ताकि यह तय किया जा सके कि प्रत्येक स्तर पर कार्यवाही हो रही है।
5. निष्पादन
संचार के माध्यम से वास्तव मे किये गये कार्य की प्रगति का मूल्यांकन हो सकता है। अगर कोई कमी हो तो इसे सुधारा जा सकता है। यदि किसी स्थान पर कोई कार्य नही हो रहा है तो उचित कार्यवाही की जा सकती है।
6. क्रियाओं मे समन्वय
संप्रेषण व्यवसाय को संचालित व नियन्त्रित करने वालों के लिए व्यवसाय की क्रियाओं मे समन्वय स्थापित करने का एक यंत्र है। समन्वय के लिए संप्रेषण एक पूर्व आवश्यक शर्त है।
7. भ्रमों को हटाना
सूचना विभिन्न स्तरों से होकर गुजरती है और विभिन्न व्यक्ति अपनी रूचि के अनुसार उसका विश्लेषण करते है जिससे भ्रम व गलतफहमी उत्पन्न होती है। भ्रम संप्रेषण प्रक्रिया का सबसे बड़ा शत्रु है।
8. नीतियों को लागू
संप्रेषण एक व्यावसायिक संगठन द्वारा तैयार की गयी नीतियों एवं कार्यक्रमों की क्रियान्वित करने मे मार्गदर्शक का कार्य करता है। यदि प्रभावी संप्रेषण व्यावसायिक संगठन मे विद्यमान है, तो संगठन की नीतियों एवं कार्यक्रमों को लागू करने मे एवं उनकी सफलता मे कोई बाधा उत्पन्न नही होती है।
9. अभिप्रेरणा
कर्मचारियों को कार्य के लिए प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें सभी प्रकार की आवश्यक जानकारी देना आवश्यक है और यह कार्य संप्रेषण की सहायता से किया जाता है। अगर कर्मचारियों को इस बात का पूर्ण ज्ञान हो कि अच्छा कार्य करने पर उनकी तरक्की होगी एवं पारितोषिक प्राप्त होगा तो वे निश्चित रूप से अच्छी तरह से कार्य करेंगे।
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