1/20/2021

केन्द्रीयकरण का अर्थ, विशेषताएं, गुण एवं दोष

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केन्द्रीयकरण का अर्थ (kendriya karan kya hai)

kendriya karan arth visheshta gun dosh;केन्द्रीकरण ऊपरी व्यवस्था का विलोम प्रबंध है। वस्तुतः केन्द्रीकरण और विकेन्द्रीकरण की समस्या इस तरह नही रखी जा सकती जैसे कोई पूर्णतः केन्द्रीय शासन हो या पूर्णतः विकेन्द्रित। शासन मे ऐसी शासन प्रणाली हो ही नही सकती। पूर्णतः केन्द्रीय शासन प्रणाली का अर्थ होगा-- अराजकता, जबकि पूर्णतः केन्द्रीय शासन मे सारी सत्ता या अधिकार एक ही अधिकारी के हाथों मे हो जायेगा। यदि निर्णय करने का अधिकार केवल केन्द्र मे निहित तथा अन्य सभी इकाइयां केवल केन्द्र के आदेशों के अनुसार ही कार्य करती है तब इस व्यवस्था को केन्द्रीयकरण की व्यवस्था कहा जाता है।

केन्द्रीयकरण के लक्षण या विशेषताएं (kendriya karan ki visheshta)

केन्द्रीयकरण के लक्षण या विशेषताएं इस प्रकार है--

1. एक केन्द्रीय सत्ता की स्थापना।

2. समस्त प्रमुख निर्णय केन्द्रीय सत्ता द्वारा लिए जाना।

3. आदेश देने का प्रमुख कार्य भी केन्द्रीय सत्ता के पास होना।

4. क्षेत्रीय या अधीनस्थ इकाइयां सीधे केन्द्रीय कार्यालय के अधीन तथा उत्तरदायी।

5. स्थानीय हितों एवं आकांक्षाओं के अनुरूप नही।

केन्द्रीयकरण के पक्ष में तर्क और प्रभाव 

वर्तमान युग बढ़ते हुए केन्द्रीयकरण का युग है। वर्तमान युग की विशेषता केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति है। इस केन्द्रीयकरण की प्रवृत्ति के लिए उत्तरदायी कारण इस प्रकार है--

1. यातायात के साधनों का प्रभाव 

वर्तमान समय मे यातायात के साधनों मे अभूतपूर्व क्रांति के परिणामस्वरूप, जो क्षेत्र केन्द्र से बहुत दूर था, वह नजदीक आ गया है। इसके कारण केन्द्रीयकरण शक्ति को अपने क्षेत्र का प्रसार करना सरल हो गया है।

2. मितव्ययिता तथा कार्यक्षमता 

कभी-कभी यह विचार किया जाता है कि वे केन्द्रीय नियमन, निरीक्षण तथा नियंत्रण के द्वारा मितव्ययिता और कार्यक्षमता बढ़ जाती है। अमेरिका में इस संबंध मे जांच के लिए नियुक्त किये गये कुछ आयोगों (president committee of administrative management, 1956 and the hoover commission 1941) ने ऐसा मत प्रकट किया है।

3. वित्तीय सुविधा 

स्थानीय या संकीर्ण सीमाओं के अंदर आय के पर्याप्त स्त्रोत बना पाना कठिन है इसलिए केन्द्रीय सरकार के पेक्षी होकर ही इन विकेन्द्रित संस्थाओं को जीवित रहना पड़ता है। यदि केन्द्रीय संस्था धन अनुदान देगी तो निश्चित ही वह अपने मनोनुकूल स्थायी प्रबंध भी करना चाहेगी। अतः वर्तमान देशों मे केन्द्रीयता की ओर रूझान बढ़ जाता है।

4. जटिल समस्याओं का समाधान संभव 

सुरक्षा और योजना के प्रश्न ऐसे जटिल और विकट बन गये है कि केन्द्रीय शासन ही उनसे उलझने का साहस रख सकते है। पश्चिम यूरोप को एक करने के पीछे प्रेरक तत्व यही सुरक्षा और आर्थिक योजना है। पाकिस्तान की मांग को अस्वीकृत करते हुए केबिनेट मिशन ने एक संघीय भारत के पक्ष मे ये ही बातें कहीं थी। आज हमें चीन और पाकिस्तान के आक्रमणों का सामना करते समय भी यही अनुभव हो रहा है कि दृढ़ केन्द्रीय शासन और सुनियोजित अर्थतन्त्र ही हमें शत्रु का सामाना करने का बल दे सकेगा और विजयी बनायेगा। योजनाबद्ध आर्थिक विकास के लिए सुदृढ़ केन्द्रीय शासन वांछनीय है।

5. राष्ट्रीय हितों की प्रेरणा 

जनता के लिए अपना ध्यान प्रशासन मे केन्द्रित करना आसान हो जाता है और राष्ट्रीय हितों के प्रति जनसाधारण की चेतना बढ़ती जाती है। वे क्षुद्र स्वार्थ के कुयें मे मेंढक की तरह पड़े नही रह जाते।

5. लोक प्रशासन का शास्त्रीय अध्ययन 

जब किसी विशिष्ट विषय की आवश्यकता पर जोर देने के लिये उसे केन्द्र के संरक्षण में रख दिया जाता है तब एक बार इस तरह के 'केन्द्रीय संरक्षण' मे आ जाने के बाद अधिकाधिक केन्द्रीयकरण की मांग होती है। ऐसा कहा जाता है कि लोक प्रशासन के शास्त्रीय अध्ययन ने भी इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया।

केन्द्रीयकरण के गुण (kendriya karan ke gun)

केन्द्रीयकरण के गुण इस प्रकार है--

1. प्रशासन मे एकरूपता 

केन्द्रीकृत व्यवस्था मे प्रशासन मे एकरूपता बनी रहती है। संपूर्ण प्रशासन केन्द्रीय नीतियों के अनुसार ही चलता है। फरतः प्रशासन मे सुविधा रहती है।

2. मितव्ययिता 

केन्द्रीय शासन व्यवस्था के अंतर्गत साधनों का अपव्यय रोका जाकर अव्यवस्था को समाप्त किया जा सकता है। साथ ही प्रशासकीय दक्षता  स्थापित की जा सकती है।

3. राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य मे निर्णय 

केन्द्रीय व्यवस्था के अंतर्गत जो भी निर्णय लिये जाते है, वे किसी दबाव मे आकर नही लिये जाते और न ही आंचलिकता या क्षेत्रीयता का प्रभाव उस पर पड़ता है। इसमे सारे निर्णय राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य मे तथा संपूर्ण देश के हित को ध्यान मे रखकर लिये जाते है। इसमें राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी जाती है। स्थानीय राजनीति का प्रभाव नही होने के कारण यहां भाई-भातीजावाद, भ्रष्टाचार, पक्षपात आदि नही पनप पाता।

4. दोहरेपन का अभाव 

यहाँ कानूनों का दोहरापन नही होता। यहां केवल केन्द्र के कानून रहते है, प्रांतों आदि के नही। विकेन्द्रिकृत अवस्था मे केन्द्र एवं प्रांत दोनों के कानून चलने की वजह से नागरिकों को काफी असुविधा होती है।

5. योजनाओं का शीघ्र क्रियान्वयन 

केन्द्रीय व्यवस्था के अंतर्गत नीतियों पर यथा शीघ्र निर्णय लिये जाकर उनका क्रियान्वयन आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि कोई भी सत्ता उसकी विरोधी नही होती।

6. केन्द्रीय सत्ता पर पर्याप्त नियंत्रण 

केन्द्रीय शासन व्यवस्था के अंतर्गत सभी इकाइयों पर केन्द्रीय सत्ता का पर्याप्त प्रभावशाली नियंत्रण रहता है। इसकी वजह से क्षेत्रीय या स्थानीय कर्मचारी अपनी मनमानी नही कर सकते।

7. संकटकाल मे उपयुक्त 

केन्द्रीयकृत व्यवस्था अतिरिक्त आपाता, संकटकाल तथा युद्धों के समय मे बहुत ही उपयोगी होती है। संकटकाल मे कभी भी विकेन्द्रिकृत व्यवस्था कार्य नही कर पाती।

केन्द्रीयकरण के दोष (kendriya karan ke dosh)

केन्द्रीयकरण के दोष इस प्रकार है--

1. कार्य मे विलम्ब 

इस व्यवस्था मे सारे निर्णय केन्द्रीय स्तर पर ही लिये जाते है, इस वजह से कार्य मे विलंब होने की पूरी पूरी संभावना होती है। केन्द्रीयकरण व्यवस्था का यह सबसे बड़ा दोष है।

2. जनआकांक्षाओं के अनुकूल नही 

केन्द्रीयकरण व्यवस्था का एक दोष यह भी है कि सारे निर्णय केन्द्रीय स्तर पर लिये जाने के कारण, क्षेत्रीय आकांक्षाओं एवं विचारों की सुनवाई का अवसर नही मिल पाता और न ही क्षेत्रीय प्रतिनिधि या जनता निर्णय की प्रक्रिया मे जुड़ पाती है। 

3.  लचीलेपन का अभाव 

केन्द्रीकरण व्यवस्था मे लचीलेपन का अभाव पाया जाता है। अधिकारी केन्द्रीय सत्ता के आदेशों का अक्षरशः पालन करते है। वे स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार निर्णय आदि मे किसी प्रकार का परिवर्तन नही कर सकते।

4. जनता की उदासीनता 

इस व्यवस्था के अंतर्गत सारे निर्णय केन्द्रीय स्तर पर होने के कारण प्रशासन का संपर्क जनता से नही हो पाता तथा इसी वजह से जनता की प्रशासन मे कोई रूचि नही रहती।

5. गलत निर्णय की संभावना 

चूंकि केन्द्र के पास कार्यभार की अधिकता हो जाती है तथा सारे कार्य उसी को करना पड़ते है, अतः अनेक बार निर्णयों के गलत होने की आशंका बनी रहती है।

6. ज्यादा कार्यभार 

क्षेत्रीय या आंचलिक कार्यालयों के पास कोई भी उत्तदायित्व न होने के कारण प्रशासन की सारी जवाबदारी केन्द्रीय कार्यालय पर पहुंच जाती है। इस कारण गलती होने की संभावना हो सकती है।

शायद यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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