उत्पाद का अर्थ (utpad kise kahte hai)
utpad ka arth paribhasha mahatva;साधारण शब्दों में उत्पाद का अर्थ रासायनिक विशेषताओं से लगाया जा सकता है जो आसानी से पहचान में आ सके। जैसे आकृति, मात्रा, गुणों आदि में संग्रहित किया जा सकता है। व्यापक अर्थ में प्रत्येक ब्राण्ड एक अलग उत्पाद में जैसे, सर्फ व्हील, निरमा तीनों डिटरजेंट पाउडर पृथक-पृथक उत्पाद कहलायेंगे जबकि संर्कीण अर्थ में तीनों एक ही उत्पाद कहलायेंगे।
उत्पाद की परिभाषा (utpad ki paribhasha)
फिलिप कोटलर के अनुसार,'' उत्पाद भौतिक सेवा सम्बन्धी एवं प्रतीकात्मक विवरणों वाला वह पुलिन्दा हैजो क्रेता को संतुष्टियां अथवा लाभ प्रस्तुत करता है।''
आर.एस.डावर के अनुसार,'' विपणन कि दृष्टि से उत्पाद उन लाभों का पुलिन्दा है जो की उपभोक्ता को प्रस्तुत किया जाता है।''
एल्डरसन के मताअनुसार," एक वस्तु उपयोगीताओं की एक गठरी है जिसमें वस्तु की विभिन्न विशेषतायें और उनकी साथ की सेवायें सम्मिलित है।''
र्जाज फिस्क के अनुसार ," वस्तु मनौविज्ञानिक सन्तुष्टियों का एक पुलिन्दा है।''
उत्पाद का महत्व (utpad ka mahatva)
उत्पाद का महत्व इस प्रकार है--
1. विक्रेताओं कि दृष्टि से
विक्रेताओं की दृष्टि से उत्पाद का अत्याधिक महत्व है उत्पाद व सेवाओं को ग्राहक द्वारा स्वीकार कर लिए जाने पर ही उनकी संस्था के अस्तित्व पर निर्भर करता है। उत्पाद ही विपणन कार्यक्रमों का जनक व आधार माना जाता है यह कहा जाता है,'' जब कोई व्यक्ति कुछ नही बेचता है तब तक कुछ भी घटित नही होता है।'' इस विचार में तनिक भी असत्यता नही है। परन्तु यह बात ध्यान देने योग्य है कि विक्रय के लिए विक्रय वस्तु का होना आवश्यक है और ऐसी वस्तु उत्पाद या सेवा विचार हो सकता है।
2. क्रेताओं कि दृष्टि से
वस्तु सभी आर्थिक क्रियाओं की केन्द्र बिन्दु है। यह क्रेता की क्रय शक्ति उसका जीवन स्तर, मानसिक सन्तुष्टि व आवश्यकताओ की पूर्ति को प्रभावित करता है सही वस्तुओं का चयन क्रेता के जीवन को सफल बनाता है तथा वस्तुओं की कमी उसमें अशान्ति उत्पन्न करती है यहां पर विपणन प्रबन्धकों का यह सामाजिक उत्तरदायित्व होता है। वे वस्तु की उचित पूर्ति ही न बनायें रखे बल्कि उचित मूल्य भी ले।
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