1/03/2021

ब्रांड का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, महत्व

By:   Last Updated: in: ,

ब्रांड का अर्थ (brand kise kahte hai)

brand arth paribhasha visheshtaye mahatva;ब्रांड शब्‍द एक अंग्रेजी शब्‍द है किन्‍तु बोलचाल व  व्‍यवहार में ब्रांड शब्‍द का प्रयोग सर्वाधिक कि‍या जाता है ब्रांड शब्‍द को पहचान चिन्‍ह या छाप कहा  जाता है  प्राचीन समय में लोग 'छाप' शब्‍द का ही प्रयोग करते थे।  इस प्रकार कि‍सी उत्‍पाद की पहचान के लिए उसमें विशिष्‍ट चिन्‍ह, नाम लिखना चाहिए जिससें उस वस्‍तु की विशिष्‍ट पहचान हो सके, उसे सी ब्रांड कहा जाता है।

ब्रांड  एक ऐसा माध्‍यम है जो उत्‍पाद को पहचान चिन्‍ह निश्‍च्ति करता है ताकी उत्‍पाद से ग्राहकों को संतुष्टि प्राप्‍त हो सके और उपभोक्‍ता फिर से वही ब्रांड की वस्‍तुओं की मांग करे।

ब्रांड की परिभाषा (brand ki paribhasha)

कपलैण्‍ड के अनुसार,'' ब्रांड को कि‍सी संकेत चिन्‍ह प्रतीक अक्षर या अक्षरों से परिभाषित कि‍या जा सकता है जो कि‍सी वस्‍तु के उद्रगम या स्‍वामित्‍व को बदलते है तथा वस्‍तु को उसकी किस्‍म से अलग करती है और समान उद्धेश्‍य हेतु उनके प्रयोग का अन्‍य समान अधिकार प्रदान करता है।

अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार,'' ब्रांड एक नाम, पद, प्रतीक या डिजाइन या उनका एक सम्मिश्रण है जिसके द्वारा एक व्रिकेता या विक्रेताओं  के समूह की वस्‍तु एवं सेवाओं की पहचान की जाती है और उन्‍हें प्रतियोगिताओं की वस्‍तुओं अथवा सेवाओं से भिन्‍न कि‍या जाता है।''

ब्रांड की विशेषताएं (brand ki visheshta)

ब्रांड की विशेषताएं इस प्रकार है-- 

1. अश्‍लीलता रहित 

ब्रांड में अश्‍लीलता नामक शब्‍द की कोई जगह नही होनी चाहिए और ऐसे कि‍सी नाम या चित्र का प्रयोग नही कि‍या जाना चाहिए जो सामाजिक दृष्टि से अश्‍लील हो। ब्रांड ऐसा होना चाहिए जो सामाजिक व धार्मिक भावनाओं के अनुकूलन हो।

2. साधारण व संक्षिप्‍त

जहां तक हो सके ब्रांड का नाम सरल व छोटा होना चाहिए। आज के समय में छोटे ब्रांड नाम का विशेष प्रचलन है ब्रांड का नाम छोटा होने के कारण लोगों द्वारा इनका नाम आसानी से याद  रखा जा सकता है उदाहरण के लिए जैसे-- पतंजलि, बाटा, बजाज, कोका-कोला, पेप्‍सी, कोलगेट,आदि।

3. सरल उच्‍चारण 

ब्रांड के नाम को बोलने में ग्राहकों को कोई परेशानी नही होनी चाहिए। वस्‍तु का प्रयोग बहुत प्रकार  के ग्राहकों के द्वारा कि‍या जाता है अत: ब्रांड का नाम ऐसा होना चाहिए जिससे अशिक्षित, शिक्षित, युवा, बच्‍चे बुढ़े, सभी लोग आसानी से बोल सके। 

4. आकर्षित करने वाला 

ब्रांड में यह विशेषता भी होनी चाहिए कि‍ वह बोलने व सुनने में तो अच्‍छा हो ही और साथ में उसमें ग्राहकों को अपनी और खीचने (आकर्षित करने) का गुण भी होना चाहिए। यह गुण होने पर  ग्राहको के दिमाग में उत्पाद की अच्‍छी छवि का निर्माण कर सकेगा। 

5. मितव्‍ययी 

एक अच्‍छे ब्रांड में मितव्‍ययिता का भी गुण होना चाहिए। मितव्‍ययिता का अर्थ है उसमें खर्च कम होता है और ब्रांड को छपवाने या उसके विपणन व विज्ञापन पर अधि‍क खर्च नही होना चाहिए।

6. स्‍मरणीय

ब्रांड का नाम ऐसा होना चाहिए जिसे लोग आसानी से याद रख सके। जैसे सर्फ, निरमा, व्‍हील, घडी, आदि।

7. पहचानने योग्‍य 

ब्रांड में यह विशेषता भी होनी चाहिए। की उसकी पहचान आसानी की जा सके।

ब्रांड का महत्‍व (brand ka mahatva)

ब्रांड का महत्‍व इस प्रकार है--

1. बाजार नियंत्रण

एक उत्‍पादक अपने उतपाद के  लिए विशिष्‍ट ब्रांड का उपयोग करके उसका विज्ञापन व प्रचार करके  अपने उत्‍पाद के लिए एक नये बाजार का निर्माण कर सकता है यदि वस्‍तुओं पर कोई ब्रांड नही है तो मध्‍यस्‍थों द्वारा उन वस्‍तुओं को कही भी बेचा जा सकता है जिसका पता उत्‍पादक को नही लग सकता है इस प्रकार एक उत्‍पादक स्‍वयं की ब्रांड का प्रयोग करके कुछ सीमा पर नियंत्रण  करने में सफल हो सकता है।

2. कीमत नियंत्रण

ब्रांड वाली वस्‍तुओं पर नियंत्रण रखना सम्‍भव होता है क्‍योकि इन वस्‍तुओं कि कीमत उत्‍पादकों द्वारा तय की जाती है मध्‍यस्‍थों और विक्रेताओं को इन सभी वस्‍तुओं तय की गई कीमत पर ही ग्राहकों को बेचना होता है इस प्रकार इस में मध्‍यस्‍थ या विक्रेता कीमत में मनमानी नही कर सकते है और उत्‍पादक वस्‍तु की कीमत पर नियंत्रण कर सकता है कीमतों का स्‍तर निम्‍न होने के कारण जोखिम कम हो जाता है।

3. मनोवैज्ञानिक संतुष्टि

 कुछ ब्रांड ग्राहकों में अत्‍यधिक लोकप्रिय हो जाते है जिसमे वह जाने-पहचाने ब्रांड की वस्‍तुओं का ही प्रयोग पसन्‍द करते है इससे उत्‍पादकों को मनोवैज्ञानिक संतुष्टि प्राप्‍त होती है।

4. उपभोक्‍ताओं को संरक्षण 

सामान्‍यता ब्रांड वाली वस्‍तुओं पर कम्‍पनी का नाम होता है और वस्‍तु के उपयोगिता के बारें में गारण्‍टी भी दी जाती है उसमें उल्‍लेखित उपयोगिताएं न होती वस्‍तु को बदलने या उसकी कीमत वापस  करने का आश्‍वासन भी दिया जाता है। इस तरह ब्रांड उत्‍पादक को संरक्षण भी प्रदान करता है।

5. ग्राहकों को समझाने में आसानी 

ब्रांड वाले उत्‍पादों के सम्‍बन्‍ध में ग्राहकों को संतुष्टि करना मध्‍यस्‍थों  के लिए आसान रहता है यह देखने को मिलता है कि ग्राहक खुद आगे आकर ब्रांड वाली वस्‍तुओं की मांग करता है यदि वह ब्रांड वाली वस्‍तुओं को नही मांगते है तो ब्रांड वाली वस्‍तु  के लिए उन्‍हें कम समय मे ही समझाकर संतुष्टि किया जा सकता है।

6. अच्‍छी पैकिंग

ब्रांड वाली वस्‍तुओं को अच्‍छे पैकटों में सावधानी से रखा जाता है इसमें जब वस्‍तु उपभोक्‍ता का मिलती है तब अच्‍छे पैकिंग में मिलती है और वह जल्‍दी खराब भी नही होती है।

7. साख में अभिवृद्धि

जो मध्‍यस्‍थ अच्‍छे ख्‍याति प्राप्‍त उत्‍पादकों की ब्रांड वाली वस्‍तुओं को बेचते है तो बाजार में उनकी साख भी बढ जाती है और ग्राहको को यह विश्‍वास हो जाता है कि यहां सदैव प्रमाणित वस्‍तुएं ही मिलती है।

8. कम जोखिम

ब्रांड वाली वस्‍तुओं की कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव नही आते है अत: मध्‍यस्‍थों की घट-बढ़ी सम्‍बन्‍धी जोखिम भी कम रहते है।

शायद यह आपके लिए काफी उपयोगी जानकारी सिद्ध होगी

1 टिप्पणी:
Write comment

आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।