2/12/2022

नागरिक समाज की अवधारणा

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नागरिक समाज की अवधारणा 

nagarik samaj ki avdharna;हम सभी नागरिक समाज के सदस्य है। जिस तरह नागरिक राज्य से तथा परिवारिक सदस्य घरेलू जीवन से सम्बंधित होते है इसी तरह हम सभी समाज मे एक दूसरे से मूल्यों तथा संस्थानों के एक ऐसे नेटवर्क के द्वारा जुड़ते है जो हम सभी को नागरिक क्षेत्र मे परिभाषित करता है। निजी तथा सार्वजनिक जीवन मे हमारी भागिता की गुणवत्ता वास्तव मे नागरिक समाज मे हमारी क्रियाओं की प्रकृति से नजदीकी से जुड़ी है। 

अवधारणा के रूप मे " नागरिक समाज" को विकसित होने का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य बहुत पुराना है। प्राचीन समय मे नागरिक समाज को ऐसे समाज के रूप मे देखा गया जो मान्यताओं और व्यवहार पर आधारित अच्छा समाज हो। यूनानी विचारक सुकरात ने सामाजिक शुभ को प्राप्त करने के लिये और सामाजिक यथार्थ को उजागर करने के लिए तर्कसंगत विचारों और चर्चाओं पर जोर दिया। उसका सोचना था कि पारस्परिक चर्चा और विमर्श के द्वारा श्रेष्ठ सामने आता है। 

मध्यकाल मे समामन्तवादी व्यवस्था के अंदर नागरिक समाज की अवधारणा की चर्चा तो हुई पर उसका व्यावहारिक स्वरूप कमजोर ही रहा। उस समय का समाज युद्ध की समस्याओं पर केंद्रीत था। मध्ययुग मे तीस वर्ष युद्ध तथा वेस्टफोलिया की संधि के परिणामस्वरूप ऐसे संप्रभु राज्यों का जन्म हुआ जिनमे राष्ट्रो की संप्रभुता का आधार क्षेत्रीय राजनीतिक बनीं। 18 वीं सदी के यूरोप की पहचान तानाशाही की बनी।

शब्दावली " नागरिक समाज " आधुनिक युग मे कई अर्थों को देती है- व्यक्ति तथा राज्य के बीच मे एक मध्यस्थता क्षेत्र, गैर लाभकारी संघो की दुनिया तथा परोपकार, अंतर्राष्ट्रीय NGO's का नेटवर्क, आपसी सम्मान के सामाजिक सम्बन्ध आदि। हालांकि इन सभी अर्थों के लिए काॅमन दो केन्द्रीय विचार है; बहुलवाद तथा सामाजिक लाभ। ये विचार एक साथ समकालीन समाज मे उपस्थित विभिन्न हितों तथा इकाइयों को तथा दुनिया मे दशाओं को सुधारने के लिए काम करने के कार्य को प्रदर्शित करते है। असहनशीलता, विश्वास तथा क्रिया की स्वतंत्रता को चुनौतियों तथा काॅमन लक्ष्यों को पाने की असक्षमता से वद्धिगत परिलक्षित एक सामाजिक पर्यावरण मे, नागरिक समाज को मजबूत बनाने की संभावना एक निराशावादी परिदृश्य मे उम्मीद की किरण दिखाती है।

इस उम्मीद को पूरा होने की आशा है क्योंकि नागरिकता की अधिकता न सिर्फ सजातीय सामाजिक सम्बन्धों के इरादे को दिखाती है बल्कि इसलिए भी कि नागरिक समाज का ऐतिहासिक विकास आधुनिक उदार प्रजातंत्र के निर्माण मे एक प्रमुख कारक रहा है तथा आज भी वह भूमिका निभा रहा है। नागरिक समाज की स्वतंत्रताएं, अधिकार, काॅमन प्रतिबद्धताएं तथा शांतिपूर्ण विवाद समाधान की प्रक्रियाएं भविष्य के लिए उम्मीद के स्त्रोत है।

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