बजट किसे कहते है? (bajat kya hai)
bajat arth paribhasha visheshta prakar;बजट किसी भी शासन के अनुमानित आय-व्यय के लेखे को कहा जाता हैं।
लोक प्रशासन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व हैं, वित्तीय व्यवस्था। शासन द्वारा किये जाने वाले सभी कार्यों के लिए धन की आवश्यकता होती हैं। यह धन कहाँ से आयेगा? और यह धन कहाँ-कहाँ खर्च होगा? यह सभी बातें सुविचारित तथा सुव्यवस्थित होनी चाहिए। इसी व्यवस्था को बजट के नाम से जाना जाता हैं।स्पष्ट है कि शासन के अनुमानित आय-व्यय के लेखे को बजट कहा जाता हैं। यह लेखा एक वर्ष का हो सकता है या उससे अधिक वर्ष का भी हो सकता हैं। इस लेखे में वर्ष में विभिन्न मदों पर होने वाले व्यय का वर्णन रहता है, साथ ही इस बात का स्पष्ट उल्लेख भी रहता है कि उसके लिए जरूरी धन कहाँ से आयेगा? नये करों का प्रावधान भी उसमें रहता हैं।
बजट क्या है? हम यह जान चुके हैं अब हम कुछ विद्वानों द्धारों दी गई बजट परिभाषा जानेंगे।
बजट की परिभाषा (bajat ki paribhasha)
विलोबी के अनुसार, "बजट शासन की आय-व्यय का सिर्फ अनुमान मात्र नहीं है, वरन् इसमें शब्द अधिक है। यह एक साथ रिर्पोट है, अनुमान है एवं प्रस्ताव है।"क्लाउडन प्रतिवेदन के अनुसार, "बजट सिर्फ आय तथा व्यय का सामान्य सन्तुलन स्थापित करने का माध्यम नहीं है, वरन् यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें अर्थव्यवस्था के प्रवाह को प्रवाहित करने के लिए कर तथा व्यय के उपकरण उपयोग मे लाते हैं।"
डिमाॅक के अनुसार," बजट एक वित्तीय आयोजना है जिससे गत वर्ष के वित्तीय अनुभव का संक्षिप्त वर्णन तथा आगामी वर्ष की योजना ज्ञात होती है।"
प्रो. सैण्डर्स के अनुसार," किसी विशिष्ट भावी अवधि से संबंधित व्यावसायिक क्रियाओं की विस्तृत योजना को बजट कहते है। इसके साथ-साथ लेखाकरण की ऐसी पद्धति अपनाई जाती है, जिससे योजना पर पूर्ण नियंत्रण रह सके।"
क्लेरेन्स एल. वान सिकिल के अनुसार," बजट एक प्रकार का अनुमान होता है, जो किसी विशिष्ट भावी अवधि के लिए पहले से बनाया जाता है।"
रेनेस्टोर्म के शब्दों मे," बजट एक ऐसा लेखपत्र होता है जिसमे सरकारी आय तथा व्यय की प्रारंभिक अनुमोदित योजना दी हुई होती है।"
जोसफ पाईस के अनुसार," बजट निर्माण सामान्यता उन प्रक्रियाओं की ओर संकेत करता है जिसके द्वारा एक सरकारी अभिकरण की वित्तीय नीति का निर्माण किया जाता है।"
एक अच्छे बजट के मुख्य लक्षण या विशेषताएं
1. बजट एक निश्चित अवधि के लिए आय-व्यय का अनुमान है।
2. यह एक तुलनात्मक तालिका भी है, जिसमे प्राप्तियों व खर्चों की राशियों की तुलनात्मक विवेचना होती है।
3. यह सरकार के लिये धन उगाही और व्यय के लिये विधायिका का आदेश है।
4. यह प्रशासन के कार्यों का वित्तीय प्रतिवेदन है।
बजट के प्रकार (bajat ke prakar)
साधारणतया तीन प्रकार के बजटों का उल्लेख किया जाता है--
1. व्यवस्थापिका प्रणाली का बजट
जब व्यवस्थापिका बजट का निर्माण करती है तो यह व्यवस्थापिका प्रणाली का बजट कहलाता है। इस प्रणाली मे विधान मंडल की एक समिति बजट का निर्माण करती है तथा उसे फिर व्यवस्थापिका के सामने पास करने हेतु प्रस्तुत किया जाता है। वास्तविकता यह है कि चाहे विधान मंडल की समिति ही कोई बजट क्यों न बनाए, उसे इस कार्य मे कार्यपालिका का सहयोग लेना ही पड़ता है क्योंकि प्रशासन की वास्तविक जानकारी उसी के पास रहती है। अस्तु अच्छा तो यह रहे कि शासन का एक अंग बजट बनाए तथा दूसरा इस पर अपनी स्वीकृति दे, बजाय इसके कि वही अंग या उसकी बजट बनाए और वह स्वयं ही स्वीकृति दे।
2. कार्यपालिका प्रणाली का बजट
जब बजट का निर्माण कार्यपालिका करती है तथा विधान मंडल उस पर अपनी स्वीकृति देता है तो उसे कार्यपालिका का बजट कहते है। इस प्रणाली का लाभ यह है कि शासन की नीतियों के अनुसार किस विभाग को कितने धन की आवश्यकता है? राजस्व वसूली किस प्रकार तथा कहां से संभव है? उसकी जानकारी कार्यपालिका को रहती है। संसार के अधिकांश देशों मे यही पद्धति अपनाई जाती है।
3. मंडल या आयोग प्रणाली बजट
जब बजट का निर्माण न तो विधायिका करती है और न ही कार्यपालिका वरन् एक मंडल, ब्यूरो या आयोग करता है तो उसे मंडल या आयोग प्रणाली कहते है। इस एजेन्सी मे अधिकारी, अर्थशास्त्री, उद्योगपति, राजनेता, प्रशासक सहित कई व्यक्ति होते है तथा वे दलीय आधार से ऊपर उठकर यह कार्य करते है। इस प्रणाली की यही प्रमुख विशेषता रहती है।
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बहुत बढ़िया लगा
जवाब देंहटाएंThanks for sharing your thoughts.
हटाएंNice 👌
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