12/01/2019

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय के कारण एंव उद्देश्य

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना

सन् 1885 मे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का जन्म हुआ। कांग्रेस की स्थापना एक सेवानिवृत्त अंग्रेज ए ओ ह्यूम
अधिकारी ने कि थी। बम्बई की गोकुलदास तेजपाल संस्कृत पाठशाला में 28 दिसम्बर 1885 को कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन हुआ था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता उमेशचंद्र बैनर्जी ने की।  
आज के इस लेख मे हम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय के कारण और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्य जानेंगे। 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन्म (उदय) पर पट्टभिसीता रमैय्या ने लिखा हैं "यह एक रहस्य ही हैं कि किसके मन में पहले अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का विचार आया।" व्योमेश चन्द्र बनर्जी ने यह तथ्य सामने रखा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का विचार वायसराय लार्ड डफरिन के मस्तिष्क की उपज था। डफरिन ने ए. ओ. ह्यूम को इसकी स्थापना हेतु प्रेरित किया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना करने वाले संस्थापक
1. ए ओ ह्यूम 2. दादा भाई नौरोजी
एवं 3. दिनशा वाचा थे।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का स्वरूप

कांग्रेस का उद्देश्य बिना किसी भेदभाव के भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करना था। इसका राष्ट्रीय स्वरूप इसी से परिलक्षित होता है कि इसके प्रथम अध्यक्ष व्योमेशचन्द्र बनर्जी भारतीय ईसाई थे। दूसरे दादाभाई नौरोजी पारसी थे, तीसरे बदरुद्दीन तैयबजी मुसलमान थे, जाॅर्ज यूल चौथे अध्यक्ष अंग्रेज थे। 1885 मे कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन मे केवल 72 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए थे, लेकिन समय और परिस्थितियों के अनुकूल होने तथा भारतीय जनता के बढ़ते हुए राष्ट्रीय उत्साह के कारण राष्ट्रीय कांग्रेस की संख्या मे तेजी से और निरन्तर वृद्धि होती गई। दूसरे, तीसरे और चौथे अधिवेशन मे क्रमशः 436, 607, तथा 1248 प्रतिनिधियों ने भाग लिया और शनै: शनै: इसने अखिल भारतीय संस्था का रूप धारण कर लिया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उदय
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्य जानने से पहले हम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय के के कारण जान लेते हैं। तो चलिए अब हम जान लेते है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के मुख्य कारण

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय के कारण

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय के निम्नलिखित कारण थे--

1. राष्ट्रीय आन्दोलन का विकास

अंग्रेजों की शोषणकारी और दमनकारी नीति रोलट एक्ट तथा इल्बर्ट बिल विवाद ने भारतीयों की आंखे खोल दी थी। परिणामस्वरूप भारतीयों के मन में  भीतर ही भीतर असंतोष और अशांति की लहरे उमड़ने लगी थी। भारतीय प्रेस दबी आवज से राष्टवाद की भाषा बोलने लगी थी। कांग्रेस का उदय इन सभी कारणो का परिणाम था।

2. 1857 की क्रान्ति का असफल होना

1857 की क्रान्ति असफल हो गई थी लेकिन इस क्रांति ने भारतीयों को अंदर राष्टवादी चेतना को जगा दिया था। अब भारत मे अंग्रेजों की नीतियों के विरोध हेतु सुनियोजित संगठन की आवश्यकता थी।

3. राष्ट्रीय मंच की आवश्यकता होना

जब भारत मे राष्ट्रीय आन्दोलन विकसित होने लगा तो सभी भारतीयों को लगने लगा की देश मे एक ऐसी राष्ट्रीय संस्था होनी चाहिए जो इस राष्ट्रवाद को सही तरीके से संचालित कर सके।

4. राजनीतिक संगठनों की स्थापना होना

बंगाल, बाम्बे एवं मद्रास प्रेसीडेंसी मे कई राजनीतिक संगठन स्थापित हुए। इन्होंने अंग्रेजों की भारत विरोधी नीतियों का विरोध किया और भारत की जनता मे राष्ट्रीय चेतना जागृत कर दी।

5. ब्रिटिश शासन का हित

भारत मे ब्रिटिश सरकार भी चाहती थी कि भारत में आखिल भारतीय स्तर पर कोई ऐसी संस्था हो, जिसके माध्यम से उन्हें भारतीय मानस का पता चलता रहें। उनकी दृष्टि मे भारत पर शासन करने के लिए यह आवश्यक था।

6. सुरेन्द्र नाथ की भूमिका 

भारत मे संवैधानिक आन्दोलन के अग्रदूत के रूप मे सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने समस्त भारतीयों को एकजुट करने का अथक प्रयास किया। सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने देशव्यापी दौर में कांग्रेस की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया था।
7. भारतीय नेताओं की इच्छा व प्रयत्न 
कांग्रेस वोमेशचन्द्र बनर्जी, दादा भाई नौरोजी इत्यादि नेताओं के प्रयत्नों का परिणाम थी। यदि अंग्रेज अधिकारियों द्वारा स्थापित संगठन, कांग्रेस को भारतीय नेताओं का समर्थन नहीं मिलता तो शायद इसकी स्थापना नही हो पाती। इस दिशा में भारतीय नेता भी प्रयत्नशील थे। श्री ह्यूम ने कांग्रेस का प्रयोग यदि एक सेप्टी वाल्व (Safety Valve) के रूप में करना चाहा, तो कांग्रेस के प्रारंभिक नेताओं ने भी उम्मीद की थी कि वे श्री ह्यूम का इस्तेमाल 'विद्युत प्रतिरोधक' (Lightening Conductor) के रूप में करेंगे। 
इस प्रकार कांग्रेस की स्थापना ह्यूम के प्रयासों, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक असंतोष, जन जागृति, विदेशी शासन के प्रति घृणा की भावना और शिक्षित वर्ग की बेचैनी व असंतोष का स्वाभाविक परिणाम थी। यह विभिन्न संगठनों के सहयोग का फल थी। 
डाॅ. पट्टाभि सीतारमैय्या के शब्दों में," भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना आर्थिक-राजनीतिक कारणों का संयोग एवं राजनीतिक दासता की अनुभूति का परिणाम थी तथा यह संस्था राष्ट्रीय पुनरूत्थान का प्रतिपादन करने वाली संस्था थी।"

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्य 

आरम्भ में कांग्रेस का उद्देश्य भारत की स्वतंत्राता न था। वह तो शासन से कुछ सुविधाएं प्राप्त करना चाहती थी। कांग्रेस का भारतीय स्वतंत्रता का उद्देश्य उग्रवाद के बाद गाँधी जी के साथ बना था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्य इस प्रकार हैं--
1. भारत के सभी नागरिकों का सहयोग प्राप्त करना।
2. सरकार से भारतीयों की शासन में भागीदारी की मांग करना।
3. सभी देशप्रेमियों मे सब प्रकार की पक्षपात की भावना को समाप्त करना।
4. भारत के हित मे नीतियों का निर्धारण करना।
5. जातीयता, प्रन्तीय और धार्मिक मतभेदों को समाप्त करके राष्ट्रीय एकता का निर्माण करना।
6. आगामी बर्ष का कार्यक्रम निश्चित करना।

पढ़ना न भूलें; महारानी विक्टोरिया का घोषणा पत्र

पढ़ना न भूलें; भारत सरकार अधिनियम 1858

पढ़ना न भूलें; भारतीय परिषद अधिनियम 1861

पढ़ना न भूलें; लार्ड लिटन का प्रशासन, आंतरिक या प्रशासनिक कार्य

पढ़ना न भूलें; लाॅर्ड रिपन का प्रशासन, आंतरिक या प्रशासनिक सुधार कार्य

पढ़ना न भूलें; भारतीय परिषद अधिनियम 1892

पढ़ना न भूलें; लार्ड कर्जन का प्रशासन, प्रशासनिक व्यवस्था सुधार कार्य


3 टिप्‍पणियां:
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  1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अंग्रजों की सोची समझी चाल का हिस्सा थी ताकि एक ऐसा संगठन हो जो अंग्रेजों की गलत नीतियों का समर्थन तो करे पर कुछ गलत नीतियों का विरोध तो करे पर अंग्रेजी हुकूमत चलाने मे उनकी बैक डोर से मदद भी करता रहे और इसी का परिणाम रहा की अंग्रजों ने किसी दूसरे संगठन को उभरने नहीं दिया

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    1. बेनामी15/6/22, 12:26 pm

      Ham is Baat per Vishwas Nahin Karte ki yah angrejon ki Chaal thi Kyunki Agar use Samay koi bhi Bhartiya Khule Taur per Kisi bhi Sangathan ki Mang Karta to usmein British Sarkar use Nahin banne Deti Agar Lard duffering ki vajah Se Hi unhen Congress Banane Mein madad ki to Ek acchi baat Thi Taki Ham apni mangon ko angrejon Ke Samne Rakh sake aur ISI Congress Ne Hamen Swatantrata dilai Hamen yah Bhulna Nahin chahie

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    2. Kavita Patel15/6/22, 12:34 pm

      Ham is Baat per Vishwas Nahin Karte ki yah angrejon ki Chaal thi Kyunki Agar use Samay koi bhi Bhartiya Khule Taur per Kisi bhi Sangathan ki Mang Karta to usmein British Sarkar use Nahin banne Deti Agar Lar duffering ki vajah Se Hi unhen Congress Banane Mein madad ki to Ek acchi baat Thi Taki Ham apni mangon ko angrejon Ke Samne Rakh sake aur ISI Congress Ne Hamen Swatantrata dilai Hamen yah Bhulna Nahin chahie

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