6/06/2023

प्रेमचंद की कहानी कला की विशेषताएं

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प्रश्न; प्रेमचंद की कहानी-कला का वैशिष्ट्य क्या है?

अथवा", मुंशी प्रेमचंद की कहानी कला की विशेषताएं बताइये!

अथवा", प्रेमचंद की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।

अथवा", प्रेमचंद जी की कहानी-कला की विशेषताओं को बतलाते हुए हिंदी कथा-साहित्य में उनका स्थान निर्धारित किजिए! 

उत्तर-- 

प्रेमचंद की कहानी कला की विशेषताएं

प्रेमचंद भाव और कला दोनों ही दृष्टियों से बहुत महान है। हिन्दी कहानी कला के सच्चे तत्व पहली बार उनके कथा साहित्य में अंकुरित हुए है। वे निश्चय ही हमारे पहले मौलिक कलाकार हैं। उनकी कहानी कला की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-- 

1. कथानक 

कथानक की दृष्टि से प्रेमचंद का कथा साहित्य बड़ी व्यापकता लिए हुए है। ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक सभी क्षेत्रों से उन्होंने अपनी कहानियों के कथानक लिए हैं। सामाजिक कहानियों में उन्होंने समाज सुधार, ग्रामीण नागरिक और नारी जीवन की अनेक प्रकार की समस्याओं का चित्रण किया हैं। 

जिन घटनाओं को प्रेमचन्दजी ने अपनी में स्थान दिया है उन्हें बड़े कलात्मक ढंग से हमारे सामने रखा है। तिलस्मी कहानी की भाँति वे केवल वैचित्र्य और कुतूहल प्रधान नही हैं, उनका कार्य केवल मनोरंजन करना ही नहीं हैं, बल्कि वे एक निश्चित उद्देश्य और सिद्धांत को लेकर चली हैं। 

2. पात्र-योजना एवं चरित्र चित्रण 

प्रेमचंद जी की कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता वस्तुतः मानव चरित्र की व्याख्या है। प्रेमचंद के पहले का हिन्दी कहानी साहित्य, कहानी के इस मूल तत्व से सर्वथा अछूता था। प्रेमचंद ने पहली बार चरित्र प्रधान कहानियों को जन्म दिया। 

3. संवाद एवं कथोपकथन 

प्रेमचंद जी की कहानियों के कथोपकथन भी बड़े स्वाभाविक और सजीव है। वे सर्वत्र पात्र, देश काल, परिस्थिति, स्वभाव, रूचि के अनुकूल है। वह शिक्षित, राजा-रंक, सेठ मजदूर सबके मुँह से मर्यादानुकूल उसी की भाषा में बातचीत कराते हैं। इसके साथ ही वह कथोपकथन की सुसम्बद्धता, उसकी श्रृंखला और नियंत्रित स्वरूप का भी ध्यान रखते हैं। 

4. देशकाल एवं वातावरण योजना 

प्रेमचंद जी ने अपनी कहानियों में परिस्थितियों एवं वातावरण का चित्रण बड़े कौशल से किया है। उनके सभी वर्णन सजीव और कथानक के विषय में सहायक हुए है। घटनाओं के वर्णन में, घटनाओं की पृष्ठ भूमि के चित्रण में, पात्रों के चरित्र को प्रस्तुत करने में सचमुच प्रेमचंद जी सिद्धहस्त हैं। 

5. भाषा-शैली 

प्रेमचंद जी की कहानी कला की उत्कृष्टता का बहुत श्रेय उनकी भाषा को है। भाषा के प्रेमचंद सम्राट हैं। उच्च साहित्यिक हिन्दी, बोलचाल की हिन्दी, उर्दू-हिन्दी के संयोग से बनी हिन्दुस्तानी सभी प्रकार की भाषा उनकी चेरी थी और अपने स्वामी के पीछे हाथ जोड़े फिरती थी। शब्दों का तो उनके पास अटूट खजाना था। भाषा की भाँति शैली के भी अनेक रूप हमें देखने को मिलते हैं। वह वर्णनात्मक, संकेतात्मक, चित्रात्मक, नाटकीय और हास्य व्यंग्य प्रधान सभी कुछ हैं। शिल्प विधान की दृष्टि से प्रेमचंद जी ने ऐतिहासिक, नाटकीय, आत्मचरित्रात्मक, पत्रात्मक, डायरी, शैली आदि सभी शैलियों में अपनी कहानियाँ लिखी है। ऐतिहासिक शैली को अवश्य उन्होंने अधिक प्रधानता दी है। इस प्रकार की शैली में लिखी गई कहानियों में उन्हें सफलता भी खूब मिली हैं। 

6. उद्देश्य

प्रेमचंद जी का सभी कथा साहित्य सोद्देश्य है वह मनोरंजन के लिए नहीं लिखा गया है। वह किसी न किसी निश्चित उद्देश्य का प्रतिपादन करता हुआ चला हैं। प्रेमचंद जी का अपना जीवन दर्शन है, अपनी विचारधारा है। इसी ने उनके कथा साहित्य के घटना चक्र को जन्म दिया है और पात्रों की सृष्टि की है।

7. हिन्दी कथा साहित्य में स्थान 

हिन्दी कथा साहित्य के इतिहास पर दृष्टि डालने से यह बात सर्वथा स्पष्ट है कि प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी तथा साहित्य के जन्म दाता है। उनका वे अपने में स्वयं एक कहानी युग थे, जिसमें हिन्दी कहानियों के सच्चे तत्व अंकुरित हुए, विकसित हुए और उनसे भारतीय साहित्य में सुगन्ध आई। बंगला कहानी साहित्य में टैगोर की भाँति उन्होंने कहानी को प्रेरणा दी और उसके भाव क्षेत्र को अधिक से अधिक सम्पन्न बनाया।

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