6/06/2023

अमृतलाल नागर के उपन्यास कला की विशेषताएं

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अमृतलाल नागर की उपन्यास कला की विशेषताएं

नागर जी का स्थान हिंदी के सामाजिक उपन्यासों में बहुत ऊंचा है। सामाजिक यथार्थ को प्रस्तुत करने वाले उपन्यास ये हैं-- महाकाल, बूंद तथा समुद्र, सुहाग के नूपुर तथा अमृत और विष। क्षुद्र स्वार्थों तथा भ्रष्ट आचरणों ने आज के समाज को इतना विश्रृंखलित और दिशाहीन कर दिया है कि युवा वर्ग अपने आपको निःसहाय और एकाकी अनुभव करता है। नागर जी ने 'अमृत और विष' में अपने समाज का अत्यंत विषद विवेचन करने का प्रयत्न किया हैं। 

उपन्यास के मान्य तत्व छः हैं। इनके आधार पर अमृतलाल नागर जी की उपन्यास कला का विवेचन प्रस्तुत हैं-- 

1. कथावस्तु 

नागरजी ने सामाजिक तथा ऐतिहासिक दोनों तरह के उपन्यास लिखे है। उनके ऐतिहासिक उपन्यासों में भी तत्कालीन समाज का चित्रण ही विषद रूप में मिलता हैं। जैसे 'शतरंज के मोहरे' में अवध के नवाबों के तत्कालीन अत्याचारों का यथार्थ चित्रण मिलता है। नागर जी ने 'महाकाल' में बंगाल के अकाल की पृष्ठभूमि प्रस्तुत की है। 'अमृत और विष' में अपने अपने समाज का अत्यंत विषद विवेचन करने का प्रयत्न किया हैं। 

2. शीर्षक 

उनके शीर्षक उपयुक्त है, कथा वस्तु तथा गुंफन की दृष्टि से वे श्रेष्ठ उपन्यास है। 

3. पात्र-योजना एवं चरित्र-चित्रण 

उपन्यास का दूसरा महत्वपूर्ण तत्व पात्र योजना है। नागरजी ने अपने सामाजिक यथार्थ का चित्रण करने वाले उपन्यासों के पात्र यथार्थ जीवन से लिए हैं। 

4. यथार्थ के प्रतीक होते हुए काल्पनिक पात्र 

अमृतलाल नागर ने उपन्यास की भूमिका 'कथनीय' के अंतर्गत यह स्पष्ट कर दिया है कि उपन्यास के सभी पात्र यथार्थ के प्रतीत होते हुए भी काल्पनिक हैं। 

5. प्रकार 

अमृतलाल नागर ने महाकाव्यत्व के उपन्यास लिखे हैं। 

चरित्र चित्रण में उन्होंने संवाद, विवरणात्मक, व्यंग्यात्मक, डायरी, इत्यादि शैलियों का प्रयोग किया हैं। 

6. संवाद 

उनके संवाद देशकाल, पात्र तथा वातावरण के अनुकूल एवं छोटे-छोटे मर्म स्पर्शी हैं।

आपके लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण सिद्ध होगी

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