6/06/2023

बंटी का चरित्र-चित्रण कीजिए

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प्रश्न; उउपन्यास आपका बंटी का चरित्र-चित्रण कीजिए। 

अथवा", 'आपका बंटी' उपन्यास में बंटी के चरित्र की विशेषताएं बताइए।

अथवा", 'बंटी' एक 'समस्या-बालक' है, वह पाठकों की सहानुभूति का पात्र है। आप इस विचार से कहां तक सहमत है, तर्क सहित उत्तर दीजिए। 

अथवा", 'बंटी एक अभागा बालक है जो माता-पिता के रहते हुए भी उपेक्षित रहा है!' क्या आप इस विचार से सहमत हैं और यदि हाँ, तो विस्तार सहित उत्तर दीजिए। 

उत्तर--

बंटी का चरित्र चित्रण 

इसमें कोई संदेह नही कि बंटी एक अभागा बालक है। माता-पिता के होते हुए भी उसे उपेक्षा का शिकार बनना पड़ता है। वह माता जो एक पल के लिए भी उसे अपनी आंखों से दूर करने के लिए तैयार नही होती थी, उससे पीछा छुड़ाने के उपाय खोजने लगती है और पिता भी अंततः उसे अपने घर में नही रहने देते और उसे 'होस्टल' भेजने की तैयारी करने लगते हैं। वस्तुतः बंटी आलोच्य उपन्यास का प्रमुख पात्र, नायक है। उसका चरित्र ही समूचे उपन्यास पर छाया हुआ है। बंटी की चारित्रिक विशेषताएं इस प्रकार हैं-- 

1. असाधारण व्यक्तित्व 

बंटी का चरित्र असाधारण है। वह 'टाइप, न होकर मूल व्यक्तित्व है। वह यथार्थ की मिट्टी से बना है। उसका व्यक्तित्व मनोविज्ञान समर्थित है। वह एक ऐसा बालक है जिसकी मानसिक वृत्तियां हैं-- अहम्, विद्रोह, अक्खड़पन, संवेदनशीलता, यौन भावना, कुंठा, अकेलापन, भय, संत्रास आदि।' 

2. सजग और संवेदनशील बालक 

बंटी एक सजग और संवेदनशील बालक है। वह उपन्यास के आदि से अंत तक अपने पापा के विषय में सोचता रहता है। उसमें जिज्ञासा और तड़प है। वह परिस्थितियों से जब 'एडजेस्टमेंट' नही कर पाता, तब विद्रोह का मार्ग अपनाने लगता है। अत्यधिक बौद्धिक होने के कारण वह परिस्थितियों से समझौता नही कर पाता। उसमें अक्खड़पन है। इस कारण वह आत्मपीड़न झेलता रहता है। 

3. उपेक्षित बालक 

बंटी का व्यक्तित्व उपेक्षाओं से भरा है। इसी से उसका जीवन असामान्य सा बन जाता है। घर मे प्यार करने वाली मम्मी का कॉलेज पहुंच कर मम्मी नहीं रहती, वह प्रिंसिपल बन जाती है। इसीलिए वह कॉलेज जाना छोड़ देता हैं। घर में वह अकेला रहता है। इस पर और कोई उपाय भी तो नहीं उसके सामने। 

4. अंतर्मुखी व्यक्तित्व 

मम्मी के अत्यधिक प्यार के कारण बंटी का स्वतंत्र व्यक्तित्व विकसित नहीं हो पाता। उसकी मम्मी उसे घर से बाहर निकलने ही नहीं देती। उसकी बाल-सुलभ प्रवृत्ति मम्मी के स्नोंचल में दब कर रह जाती है। वह मम्मी के अतिरिक्त और कुछ सोच ही नही सकता। उसके मन मस्तिष्क के हर कोने में 'म्ममी' छाई है। इससे वह अंतर्मुखी बन गया हैं।

5. एकाधिकार की भावना 

बंटी में एकाधिकार की भावना है। वह अपनी 'मम्मी' पर एकाधिकार रखना चाहता है। उसकी मम्मी ही उसका सर्वस्व है। उससे आगे वह सोच ही नही सकता। उसके सारे कार्य-कलाप 'मम्मी' तक ही सीमित है। इसलिए जब उसकी मम्मी डाॅ. जोशी से विवाह कर लेती है, तो बंटी उसे सहन नहीं कर पाता। उसे मम्मी और अपने बीच तीसरा व्यक्ति सहन नही। इसी प्रकार वह अपने पिता पर भी एकाधिकार चाहता है। कलकत्ता जाने पर जब उसे अपने और अपने पिता के बीच चिंटू दिखाई देता है, तो वह विद्रोह कर उठता है। अतएव उसके चरित्र की प्रमुख विशेषता हैं-- एकाधिकार की भावना। 

6. बंटी अहंवादी बालक 

बंटी अहंवादी बालक है। उसका अहंवाद अकारण नही, बल्कि परिस्थितियों की उपज है। उसका अहंभाव आत्मतुष्टि के लिए है जिससे वह अपने व्यक्तित्व में संतुलन पैदा कर सके। टीटू जब उससे पिता के विषय में पूछता है, जब उसका अहंभाव भिन्न रूप धारण कर लेता है। वह टीटू से कहता है-- पापा साथ नही रहते तो क्या हुआ, वे तो शुरू से ही साथ नहीं रहते। 

7. इडिपस ग्रंथि का शिकार 

मनोविज्ञान में 'इडिपस ग्रंथि' से आशय उस स्थिति से है जबकि कोई पुत्र अपनी माँ से अत्यधिक प्यार करने लगता है। बंटी भी अपनी मम्मी से अत्यधिक प्यार करता है। वह उसके बिना रह ही नहीं सकता। पर वह डाॅ. जोशी के प्रति पितृभाव नहीं रख सकता। वह डाॅ. जोशी के नाम तक से चिढ़ता है। वह डाॅ. जोशी का मम्मी के निकट बैठना भी सहन नहीं कर पाता। उसकी यह भावना उस समय चरम रूप धारण कर लेती है जब उसकी मम्मी और डाॅ. जोशी अलग कमरे में सोने लगते है और उसे अलग सुलाया जाता है। उस समय की बंटी की मानसिक स्थिति का विश्लेषण लेखिका इस प्रकार करती हैं--", बंटी के मन का दुख और गुस्सा धीरे-धीरे डर में बदलने लगा। केवल डर ही नहीं, एक आतंक कैसी-कैसी शक्लें उभरने लगीं उस अंधेरे में। उसने कस कर आंखें मींच लीं। उसकी सांस जहां की तहां रूक गई।" इसके बाद उसने पूरी ताकत से मम्मी के कमरे का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया।

8. सहानुभूति का पात्र 

बंटी अनेक प्रकार की विकृतियों से घिरा हुआ बालक है। ये विकृतियां परिस्थिति जन्य है। इसमें उसका कोई दोष नहीं। अतएव वह सहानुभूति का पात्र है। निश्चय ही वह एक ऐसा अभागा बालक है जो माता और पिता के होते हुए भी अनाथ बालक की भांति जीने पर विवश है। इसमे कोई संदेह नहीं कि इस स्थिति का कारण भी वह स्वयं ही है, वह अपने व्यवहार के कारण के कारण ही अपने माता और पिता से दूर होता चला जाता है। वह माता जो उसे एक पल के लिए भी अपनी आँखों से दूर नहीं करना चाहती थी, उससे पीछा छुड़ाने के उपाय खोजने लगती है, और पिता भी जो उसे खूब प्यार करते थे, उसे घर से होस्टल भेजने के लिए तत्पर है। पर बंटी के इस व्यवहार के मूल में भी बहुत कुछ ऐसा है जिस पर उसका कोई वश नहीं। उसका यह व्यवहार उसकी परिस्थितियों के कारण है। अतएव बंटी के प्रति सभी की सहानुभूति रहती हैं। 

9. बदले की भावना 

बंटी में सामान्य बालकों की भांति बदले की भावना भी सशक्त रूप में दिखाई देती है। इस भावना के द्वारा वह एक प्रकार से अपने भीतर अपने 'अहं' की क्षतिपूर्ति करता रहता है और इससे हल्कापन महसूस करता है। बंटी की मां का ध्यान उसकी ओर से हटकर डाॅक्टर जोशी की ओर लग गया, जिससे उसका मन दुख, अवसाद और अपेक्षा से भर गया। इसका बदला वह अपने अवचेतन मन के स्तर पर अपनी मां से लेना चाहता है। 

बदले की भावना उसके मन में इस हद तक सघन हो गई है कि वह एक प्रकार से आत्मघाती बन जाता हैं," वह समझ ही नहीं सका कि शकुन से बदला लेते-लेते कितना बड़ा बदला उसने अपने आपसे ले लिया है। शकुन को कष्ट देने के लिए कितना बड़ा कष्ट उसने अपने आपको दे डाला हैं।" 

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि बंटी का जीवन उपेक्षाओं से भरा हुआ है। अकेलेपन का बोध, न केवल उसे अंदर ही अंदर काटता है, बल्कि उसे समाज से भी अलग कर देता हैं। वह संवेदनशील भी है। उपन्यास के आरंभ से लेकर अंत तक वह बराबर अपने माता-पिता के विषय में सोचता रहता है। वह अपने पापा का प्यार पाना चाहता हैं। वह अंदर ही अंदर दोनों को एक साथ देखने का अभिलाषी है पर उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाती। इसी कारण उसमें अनेक कुंठाएं पैदा हो जाती हैं।

आपके लिए यह जानकारी महत्वपूर्ण सिद्ध होगी

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