शिक्षण के मनोवैज्ञानिक सिद्धांत
shikshan ke manovaigyanik siddhant;बालकों के मनोविज्ञान को ध्यान में रखते हुए मनोवैज्ञानिकों ने प्रभावशाली शिक्षण के लिए सिद्धांतों का निर्माण किया हैं। नीचे कुछ महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक सिद्धांत दिये गये हैं, जिन्हें एक शिक्षक को जरूर जानना चाहिए--
1. ज्ञानेन्द्रिय प्रशिक्षण का सिद्धांत
प्रभावशाली शिक्षण अधिगम के लिए आवश्यक है कि ज्ञानेन्द्रियों का उचित प्रशिक्षण दिया जाये। अधिगम के विभिन्न पक्षों हेतु विभिन्न तरह की क्षमताएँ चाहिए, जो ज्ञानेन्द्रियों द्वारा ही प्राप्त हो सकती है। ज्ञानेन्द्रियों द्वारा शिक्षा प्रभावशाली अधिगम की कुंजी हैं। अतः शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों को पढ़ाते समय ज्ञानेन्द्रियों को आवश्यकतानुसार शिक्षण का आधार मानकर पढ़ाये।
यह भी पढ़े; शिक्षण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं
यह भी पढ़े; शिक्षण के उद्देश्य, प्रभावित करने वाले कारक/तत्व
यह भी पढ़े; शिक्षण का महत्व/आवश्यकता
2. स्व-अधिगम सिद्धांत
अगर छात्र स्वयं प्रयत्न करके सीखते हैं तो उनका सीखना ज्यादा प्रभावशाली होता है। शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों को इस तरह निदेशित करे कि वे स्वयं अधिगम की तरह प्रयत्न करें जिससे उनमें ज्यादा आत्म-विश्वास एवं आत्म-निर्भरता विकसित हो। स्व-अधिगम की प्रवृत्ति उचित परिस्थितियों एवं प्रशिक्षण द्वारा डाली जानी चाहिए।
3. अभिप्रेरणा तथा रूचि का सिद्धांत
अभिप्रेरणा एवं रूचि, शिक्षण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस सिद्धांत के अनुसार शिक्षक तथा छात्र दोनों ही अभिप्रेरित होकर रूचिपूर्वक कार्य करते हैं। फलस्वरूप शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया सजीव एवं प्रभावशाली होती हैं।
4. तत्परता का सिद्धांत
छात्रों को जो कुछ भी पढ़ाया जाये उसके लिए उनमें मानसिक तत्परता जरूर होनी चाहिए। मानसिक तत्परता के अभाव में छात्र भली भाँति सीखने में रूचि नहीं लेते। पढ़ाते समय छात्रों की मानसिक परिपक्वता का जरूर ध्यान रखा जाना चाहिए।
5. अभ्यास तथा आवृत्ति का सिद्धांत
यह सर्वविदित तथ्य है कि अगर अर्जित ज्ञान का अभ्यास तथा पुनरावृत्ति की जाये तो छात्र सरलता से स्मरण कर सकते हैं। अतः शिक्षक प्रक्रिया में पुनरावृत्ति एवं अभ्यास को जरूर स्थान दिया जाना चाहिए।
6. प्रतिपुष्टि/पुनर्बलन का सिद्धांत
छात्रों को पुनर्बलन देकर शिक्षक-अधिगम को प्रभावशाली बनाया जा सकता हैं। उन्हें उनके अच्छे व्यवहार हेतु पुरस्कृत किया जाना चाहिए। उनके द्वारा किये गये कार्यों की प्रगति के विषय में सूचनाएँ दी जानी चाहिए। छात्र ऐसी स्थिति में कार्य जल्दी समझते हैं तथा दुहराते हैं। उनमें शिक्षक आदतों का विकास कर सकता हैं। इस तरह प्रतिपुष्टि तथा पुनर्बलन का प्रयोग करके शिक्षण-अधिनियम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाया जाता हैं।
7. परिवर्तन, विश्राम एवं मनोरंजन का सिद्धांत
बोरियत होने पर शिक्षण कार्य पिछ़डने लगता हैं। अतः शिक्षण में उद्दीपन परिवर्तन, विषय-वस्तु में बदलाव, शिक्षण विधियों में विभिन्नता का प्रावधान होना चाहिए। साथ ही शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में आवश्यकतानुसार विश्राम एवं मनोरंजन की भी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे कि छात्रों के मस्तिष्क को विश्राम मिल सके तथा फिर वे ज्यादा ताजा होकर आगे के अधिगम के लिए तैयार हो सकें।
8. स्व-अभिव्यक्ति एवं सृजनात्मक का सिद्धांत
वे छात्र जो कक्षा में नये विचार, नयी खोजें, मौलिकतायुक्त क्रियाएँ पेश करते हैं, उन्हें शिक्षक द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। तभी वे बड़े होकर नवीन आविष्कार एवं नवीन खोजें कर सकने में समर्थ हो सकेंगे। स्व-अभिव्यक्ति इसके लिए पहली सीढ़ी हैं।
9. उद्दीपन का सिद्धांत
एक अच्छा शिक्षक अपनी कक्षा में छात्रों की अनुक्रियाओं हेतु समुचित उद्दीपनों की व्यवस्था करता हैं, जिससे छात्रों की रूचि शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में बनी रह सके।
10. सहानुभूति एवं सहयोग का सिद्धांत
एक अच्छे शिक्षक के साथ छात्रों का बड़ा आत्मिक संबंध होता हैं। शिक्षक तथा छात्र परस्पर एक-दूसरे को समझते हैं। शिक्षक छात्रों के साथ सहानुभूति रखते हुए उनकी मुश्किलों को सरल बनाकर सहयोग देते हैं, छात्रों की अनुभूतियों तथा विचारों को समझता हैं तो शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया ज्यादा सक्रिय, सरल एवं प्रभावशाली बन जाती हैं।
11. उपचारात्मक शिक्षण का सिद्धांत
एक अच्छा शिक्षक अपने छात्रों की योग्यताओं तथा क्षमताओं को समुचित ज्ञान रखता है। उसे पता रहता है कि कक्षा में कौन-से छात्र प्रतिभाशाली हैं तथा कौन से पिछड़े हुए हैं। वह उनकी उसी तरह से व्यवस्था करता हैं। प्रतिभाशाली छात्रों हेतु वह मौलिकता के वातावरण की रचना करता हैं, जिससे उनकी प्रतिभा का विकास हो सके। इसी तरह वह पिछड़े बालकों के पिछड़ेपन के कारणों की खोज करके उनके लिए समुचित उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था करता हैं, जिससे ये छात्र भी भली-भाँति विषय-वस्तु अपनी आवश्यकतानुसार सीख सकें।
12. समूह गतिशीलता का सिद्धांत
एक मनोवैज्ञानिक विश्वास करता हैं कि छात्र समूह में ज्यादा अच्छा सीखते हैं। अतः एक शिक्षक को समूह-गतिशीलता का प्रभावशाली ढंग से उपयोग करना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
Write commentआपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।