3/24/2021

बहमनी साम्राज्य की स्थापना, प्रमुख शासक, पतन

By:   Last Updated: in: ,

बहमनी साम्राज्‍य की स्‍थापना 

विजयनगर की स्‍थापना की कुछ वर्ष बाद ही दक्षिण में मुहम्‍मद तुगलक के विरूद्ध स्‍वतंत्रता के लिए-एक दूसरी क्रांति 1347 में सम्‍पन्‍न हुई। इस सम्मिलित क्रांति के सुधार थेः दौलताबाद का इस्‍माइल तथा गुलबर्गा का हसन। इसी क्रांति के फलस्‍वरूप दक्षिण भारत में बहमनी साम्राज्‍य के नाम से एक नई सल्‍तनत की स्‍थापना हुई। बहमनी राज्‍य की स्‍थापना की कहानी संक्षेप में इस तरह है--

दक्षिण को भारत में सम्मिलित करने के लिए मुहम्‍मद तुगलक ने जो प्रशासनिक व्‍यवस्‍था स्‍थापित की थी, उसका एक महत्‍वपूर्ण अंग सादा नामक अधिकारी था। यह अधिकारी लगभग सौ ग्रामो के समूह पर नियुक्‍त होता था। इन पदों पर मुख्‍यतः विदेशी अमीर ही नियुक्‍त किये गये थे जो ‘अमीरान-ए-सादा‘ कहलाते थे। सेना और राजस्‍व दोनों ही इनके अधिकार में होने से ये अमीर बहुत शक्तिशाली हो गये थे। 

गुजरात के ‘सादा‘ अमीरों ने जब विद्रोह किया तो मुहम्‍मद तुगलक उसे दबाने के लिए स्‍वंय भड़ौच गया। सुल्‍तान ने दक्षिण के सूबेदार को निर्देश दिया कि वह दौलताबाद के ‘सादा‘ अमीरों को भड़ौच भेज दे। इन अमीरों ने एक गुप्‍त सम्‍मेलन कर भड़ौच न जाने का निश्‍चय किया। एक सामूहिक विद्रोह में सादा अमीरों ने दौलताबाद के सूबेदार को पराजित कर दियाः और दौलताबाद के वरिष्‍ठ अमीर इस्‍माइल को अपना नेता चुना इस्‍माइल ने ‘अमीर समूह‘ के प्रभावशाली अमीर हसन को सफर खां की उपाधि प्रदान की। हसन ने अपनी योग्‍यता का प्रदर्शन करते हुए गुलबर्गा तथा सागर पर भी अधिकार प्राप्‍त कर लिया। इसी बीच मुहम्‍मद तुगलक की सेना ने इस्‍माइल को दौलताबाद के किले में घेर लिया। हसन ने किले का घेरा डाल तुगलक सेना को बुरी तरह हराया। बरनी के अनुसार ‘‘बैक्ट्रिया के हाथी, तातारी घोड़े, हजारे दासियां, मनो सोन-चांदी, हजारों तंबू और असंख्‍य लूट का माल जाफर खां के हाथ लगा‘‘। हसन की सफलताओं तथा शक्ति को देखते हुए इस्‍माइल ने उसके पक्ष में अपना पद त्‍याग दिया। सेना तथा उपस्थित अमीरों ने जफर खां को अपना सुल्‍तान चुना। उसने अलाउद्दीन हसन बहमन शाह की उपाधि धारण की। प्रो. शेरवानी के अनुसार बहमनी राज्‍य के संस्थापक सुल्‍तान का राज्‍याभिषेक उसके गुरू शेख सिराजुद्दीन जुनैदी द्वारा 11 अगस्‍त 1347 के दिन सम्‍पन्‍न हुआ। हसन ने अपने आपको ईरान के एक महान वंश ‘बहमन‘ का वंशज माना था। इसलिये उसने अलाउद्दीन हसन बहमनी उपाधि भी धारण की थी। उसके द्वारा स्‍थापित नई सल्‍तनत बहमनी राज्‍य कहलाया। यह सल्‍तनत दो सौ वर्ष से कुछ कम समय तक स्‍थापित रही। 

बहमनी साम्राज्‍य के प्रमुख शासक 

1. अलाउद्दीन हसनशाह बहमन 

अलाउद्दीन हसनशाह का वास्‍तविक नाम हसन गंगू था। इसने बहमनी साम्राज्‍य की स्‍थापना की थी। इसने अपनी राजधानी गुलबर्गा को बनाया इसके राज्‍य की विस्‍तार बंगाना नदी से कृष्‍णा नदी तक था। सन् 1358 ई. में उसकी मृत्‍यु हो गई। मृत्‍यु के पूर्व वह अपने पुत्र मोहम्‍मद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर गया। 

2. मोहम्‍मद शाह प्रथम 

हसन गंगू की मृत्‍यु के पश्‍चात् मोहम्‍मद शाह बहमनी राज्‍य स्‍वामी बना। वह बड़ा वीर और राजधानी और पराक्रमी शासक था। उसने गोलकुण्‍डा पर अधिकार किया। इसके उपरान्‍त उसने विजयनगर राज्‍य पर आक्रमण किया। हिन्‍दू बुरी तरह पराजित हुये तथा वहां का राजा अपनी  जान बचाकर भाग गया। 

2. मुजाहिदशाह 

अपने पिता की मृत्‍यु के बाद मुजाहिदशाह सन् 1373 ई. में बहमनी राज्‍य का स्‍वामी बना। उसने विजयनगर राज्‍य पर दो बार आक्रमण किया, किन्‍तु दोनो बार उसको मुंह की खानी पड़ी। उसका वध सन् 1377 ई. में उसके चचेरे भाई दाउद ने किया। 

3. मेहमूद शाह द्वितीय 

मुजाहिद शाह हत्‍या के बाद मेहमूद शाह द्वितीय सुल्‍तान बना। वह शान्तिप्रिय और उदार शासक था। सन् 1397 में उसकी मृत्‍यु हो गई। इसके बाद ग्‍यासुद्दीन तथा शमसुद्दीन दो शासक हुये, लेकिन वे निर्बल थे। इसके बाद फिरोजशाह सुल्‍तान  बना। 

4. फिरोजशाह 

फिरोजशाह एक प्रतापी, वीर तथा साहसी व्‍यक्ति था। उसका अधिकांश समय युद्ध करने में व्‍यतीत हुआ। सन् 1398 ई. में विजयनगर में राजा हरिहर ने मुद्रल पर अधिकार करने के अभिप्राय से रायचूर की ओर प्रस्‍थान किया। जब फिरोज को यह समाचार विदित हुआ तो वह अपनी सेना लेकर उसका सामना करने के लियें चल पड़ा। हरिहर पराजित हुआ और उसको बहुत-सा धन देकर सन्धि करने के लिये बाध्‍य होना पड़ा। सन् 1419 ई. में फिरोज ने दंगल नामक दुर्ग पर आक्रमण किया, किन्‍तु वह पराजित हुआ। हिन्‍दूओं को बहुत-सा धन प्राप्‍त हुआ। अकथनीय परिश्रम के कारण उसका स्‍वास्‍थ्‍य गिर गया और सन् 1422 ई. में उसकी मृत्‍यु हो गई। 

5. अहमद शाह

फिरोज की मृत्‍यु के उपरान्‍त अहमदशाह सुल्‍तान बना। उसने सुल्‍तान बनते ही विजयनगर राज्‍य के विरूद्ध युद्ध की घोषणा की। युद्ध में वह विजय हुआ। सन् 1424 ई. में उसने वारगंल पर आक्रमण किया और वहां के राजा को युद्ध में परास्‍त किया। उसने  मालवा पर भी आक्रमण कर उसे पराजित किया। 

6. अलाउद्दीन द्वितीय 

अपने पिता की मृत्‍यु के उपरान्‍त जफर खां अलाउद्दीन द्वितीय के नाम से राजसिहांसन पर आसीन हुआ। शासन के प्रारम्भिक काल में उसने बड़ी योग्‍यता तथा तत्‍परता से शासन किया, किन्‍तु बाद में वह भोग-विलास में लिप्‍त हो गया ओर उसने राज्‍य-कार्य की ओर ध्‍यान देना बन्‍द कर दिया। उसका विजयनगर में युद्ध हुआ, जिसमें वह विजय हुआ। सन् 1457 ई. में उसकी मृत्‍यु हो गई। 

7. हुमायूं का शासनकाल  

हुमांयू अलाउद्दीन का पुत्र था। अलाउद्दीन की मृत्‍यु पर उसे सिहांसन प्राप्‍त हुआ। हुमायूं अत्‍याचार में विश्‍वास रखता था। इस आत्‍याचार के विरोध में 1461 ई. उसका वध किसी नौकर ने कर दिया था। 

8. निजामशाह 

हुमायूं की मृत्‍यु के बाद उसका आठ वर्ष का पुत्र निजामशाह गद्दी पर बैठा। उसकी माता मकदुमजहां ने अपने पुत्र की संरक्षिका के रूप में बड़ी योग्‍यता के शासन किया। उसका प्रजा के साथ अच्‍छा व्‍यवहार था। इसके समय में तैलगांना तथा उड़ीसा के शासकों ने बहमनी राज्‍य पर आक्रमण किया, किन्‍तु वे परास्‍त हुये। सन् 1463 ई. में निजामशाह की अचानक मृत्‍यु हो गई। 

9. मोहम्‍म्‍द शाह तृतीय 

निजामशाह की मृत्‍यु के उपरान्‍त उसका छोटा भाई मोहम्‍मद शाह तृतीय के नाम से गद्दी पर बैठा। वह इस्‍लाम धर्म का कट्टार अनुयाया था। इसी अनुयायिता के कारण उसने हजारों हिन्‍दूओं को मौत के घाट उतार दिया था। विजयनगर के शासक को युद्ध में पराजित करके उसने अपने राज्‍य की सीमा को गोवा तक विस्‍तृत कर दिया था। इसके शासनकाल में महमूद गंवा कुशल सरदार हुआ, जिसने बहुत से महत्‍वपूर्ण सुधार किए। किन्‍तु षड्यंत्र के कारण महमूद खां का वध कर दिया गया था। 1842 ई. में मोहम्‍मद शाह का स्‍वर्गवास हो गया। 

10. महमूद शाह तथा अन्‍य शासक 

मोहम्‍मद तृतीय के पतन के बाद महमूद शाह बहमनी राज्‍य का शासक बना था। उसके समय मे दक्षिणी तथा विदेशों अमीरों के संघर्षो में अनेक राज्‍यो को स्‍वतंत्र होने का अवसर प्राप्‍त हो गया था तथा बहमनी राज्‍य की सीमाएं भी काफी सीमित हो गई थी। राज्‍य की समस्‍त शक्तियां कासीम बरीद जो कि सुल्‍तान का मंत्री था, उसके हाथ आ गई थी। 

बहमनी राज्‍य का पतन 

मोहम्‍मद शाह तृतीय की मृत्‍यु के बाद उसका पुत्र मोहम्‍मद शाह गद्दी पर बैठा। उस समय उसकी अवस्‍था केवल 12 वर्ष की थी। उसने 36 वर्ष तक शासन किया, किन्‍तु वह केवल नाममात्र का शासक था। वह अपना अधिकांश समय भोग-विलास में व्‍यतीत करता था। इसके बाद उसका पुत्र कली-मुल्‍लाह गद्दी पर बैठा, किन्‍तु अमीर बरीद ने सन् 1526 ई. में शासन पर अधिकार किया और बहमनी राज्य का अन्‍त हो गया। वह पांच राज्‍यों में बांटा गया। ये इस प्रकार थे --

(अ) बरार में इमादशाही 

(ब) अहमदनगर में निजामशाही 

(स) बीजापुर में आदिलशाही 

(द) गोलकुण्‍डा में कुतुबशाही 

(ई) बीदर में बीदर शाही

यह भी पढ़ें; बहमनी साम्राज्य का प्रशासन, पतन के कारण

यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

कोई टिप्पणी नहीं:
Write comment

आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।