प्रतिपुष्टि का अर्थ (pratipushti kya hai)
संदेश प्राप्तकर्ता द्वारा संदेश के संबध मे की गई अभिव्यक्ति को ही प्रतिपुष्टि कहते है।
प्रतिपुष्टि एक प्रत्यर्पित संदेश होता है जो संदेश प्राप्तकर्ता द्वारा संप्रेषक को दिया जाता है। जब संप्रेषक द्वारा संदेश प्राप्तकर्ता को संचारित किया जाता है तो संप्रेषक उस संचारित संदेश की प्रतिक्रिया चाहता है। जब प्राप्तकर्ता संदेश को अच्छी तरह से समझ लेता है, तब वह संदेश पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। इस प्रतिक्रिया का स्वरूप प्रतिकूल या अनुकूल हो सकता है। इस प्रतिक्रिया को प्रतिपुष्टि कहते है। प्रतिपुष्टि एक ऐसा दिशा-निर्दश देती है जिसके द्वारा संप्रेषक अपने संदेश को अधिक प्रभावी ढंग से संप्रेषित कर सके।
प्रतिपुष्टि की विधियां
संदेश प्राप्तकर्ता संदेश ग्रहण करने के बाद संदेश के संबंध मे अपनी अभिव्यक्ति करता है। संदेश प्रेषक यह जानना चाहता है कि अभिव्यक्ति उसकी इच्छाओं के अनुरूप है कि नही। यह केवल प्रतिपुष्टि के माध्यम से ही संभव हो सकता है। प्रतिपुष्टि संप्रेषण का वास्तविक बोध है। संप्रेषण के विभिन्न माध्यमों के अंतर्गत प्रतिपुष्टि की विधियों को निम्नलिखित रूप से स्पष्ट किया जा सकता है--
1. प्रत्यक्ष संप्रेषण
प्रत्यक्ष संप्रेषण की दशा मे संदेश प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों के बीच आमने-सामने होता है। इससे प्रत्यक्ष रूप से प्रतिपुष्टि तत्काल एवं लगातार मिलती रहती है। इसमे सुनने वाली की हाँ या ना या चेहरे के भावों से संदेश प्रेषक को प्रतिपुष्टि प्राप्त होती है।
2. मौखिक संप्रेषण
इसमे प्रतिपुष्टि प्रेषक को लगातार प्रभावित करती रहती है। संदेश प्रापक द्वारा दी गई प्रतिपुष्टि संदेश प्रेषक को संदेश को और अधिक प्रभावशाली बनाने मे सहायता करती है। मौखिक संप्रेषण मे सकारात्मक प्रतिपुष्टि तालियां अथवा डेस्क बजाकर अभिव्यक्ति की जा सकती है।
3. लिखित संप्रेषण
लिखित संप्रेषण मे प्रतिपुष्टि भी लिखित रूप मे अर्थात् पत्रों द्वारा, ई-मेल, मोबाइल संदेश द्वारा आदि तरीकों से प्राप्त होती है। यह लिखित प्रतिपुष्टि प्राप्त करने मे समय भी अधिक लगता है और संदेश प्राप्तकर्ता की भावनाओं को समझा भी नही जा सकता है।
प्रतिपुष्टि का महत्व
उचित प्रतिपुष्टि प्राप्त करने हेतु ' सुनने की कला ' एक महत्वपूर्ण तत्व है। संदेश को जब तक प्रभावी ढंग से न सुना जाए तब तक कोई उचित प्रतिपुष्टि देना संदेश प्राप्तकर्ता हेतु संभव नही होता। अतः यह जरूरी है कि संदेश को गंभीरता, एकाग्रता एवं प्रभावशाली ढंग से सुना जाए।
संप्रेषण प्रक्रिया मे प्रतिपुष्टि एक उत्प्रेरक तत्व के रूप मे कार्य करता है। क्योंकि बिना प्रतिपुष्टि के संप्रेषण प्रक्रिया पूर्ण ही नही हो सकती। जैसा कि टेनिस के खेल मे एक खिलाड़ी कोई कोई लक्ष्य साधने का निश्चय करता है तो वह दूसरे खिलाड़ी के द्वारा खेले गए लक्ष्य के अनुसार ही अपना लक्ष्य साधता है। इसी तरह से संप्रेषण प्रक्रिया भी चलती रहती है। संप्रेषण प्रक्रिया को पूर्ण एवं प्रभावशाली बनाने हेतु जरूरी है कि समयानुसार उचित तथा स्पष्ट प्रतिपुष्टि प्रापकों द्वारा प्राप्त की जाए।
शायद यह आपके लिए काफी उपयोगी जानकारी सिद्ध होगी
Anil Kumar
जवाब देंहटाएंव्यक्तित्व विकास क्या है सम्प्रेषण से आप क्या समझते हैं इसके मुख्य लक्षण का वर्णन करें ?
जवाब देंहटाएंव्यक्तित्व विकास क्या है सम्प्रेषण से आप क्या समझते हैं इसके मुख्य लक्षण का वर्णन करें ?
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