11/18/2023

संगठनात्मक उद्देश्यों का महत्व

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संगठनात्मक उद्देश्यों का महत्व 

उद्देश्य संस्था की सफलता की प्राथमिक आवश्यकता होते है। एक व्यावसायिक संस्था के लिए उद्देश्यों के महत्व को निम्नलिखित शीर्षकों में प्रकट किया जा सकता हैं-- 

1. संस्था के अस्तित्व का औचित्य 

उद्देश्य संस्था का दर्पण होते है। उद्देश्यों से ही संस्था के दर्शन, जीवन-लक्ष्य, अभीष्ट परिणामों की जानकारी होती है। उद्देश्य ही संस्था निर्माण तथा संचालन का औचित्य सिद्ध करते हैं। संक्षेप में, उद्देश्य ही संस्था की स्थापना के कारणों को स्पष्ट करते हैं। 

2. नियोजन का आधार 

नियोजन कार्य भावी उद्देश्यों के निर्धारण से ही प्रारम्भ होता हैं। दूसरे शब्दों में, नियोजन करने एवं उसका सफल क्रियान्वयन करने हेतु उद्देश्यों का निर्धारण एक पूर्व-आवश्यकता हैं।

3. प्रबन्धकों के मार्गदर्शक 

प्रबन्धकीय निर्णय कार्य उद्देश्यों को ध्यान में रखकर किये जाते हैं। उद्देश्यों का अध्ययन करके ही प्रबन्धक अपने अपने प्रयासों तथा कार्यों को एक उचित दिशा प्रदान कर सकते है। 

4. वैधानिक आवश्यकताओं की पूर्ति 

उद्देश्यों का निर्धारण करके समाज के नियमों तथा कानूनों का पालन भी किया जा सकता है, क्योंकि उद्देश्यों का निर्धारण सभी वैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखकर किया जाता है। उद्देश्यों को वैधानिक बनाकर कानूनी भूले करने से बचा जा सकता हैं। 

5. निर्णयन में सुविधा

उद्देश्यों के विद्यमान होने पर निर्णय लेने में भी बहुत सुविधा हो जाती हैं। परस्पर विरोधी दशाओं में उद्देश्यों के आधार पर उपयुक्त समाधान खोजे जा सकते है। 

6. समन्वय में सुविधा

सुस्पष्ट तथा परिभाषित उद्देश्यों के अनुरूप प्रत्येक विभाग, अधिकारी, कर्मचारी आदि के कार्यों का विभाजन करनें में सुविधा हो जाती हैं। इससे संगठन  के कार्यों में एकरूपता तथा क्रमबद्धता बनी रहती है। दायित्वों का दोहराव समाप्त हो जाता है। विभागीय स्तर पर भी उद्देश्यों के कारण कार्य निष्पादन सरल हो जाता हैं। 

7. प्रमाप निर्धारण में सहायक

संस्था के उद्देश्य संस्था के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे-- ग्राहक, सेवा, लाभदेयता, सामाजिक दायित्व आदि के प्रमाप निर्धारित करने में सहायक होते हैं। कार्य के प्रमापों, मानदण्डों आदि का निर्धारण उद्देश्यों के आधार पर ही किया जाता है। उद्देश्यों के आधार पर ही कार्य की प्रगति का मूल्यांकन भी संभव हो जाता हैं। 

8. अभिप्रेरणा का स्त्रोत 

लक्ष्य व्यक्ति को प्रेरणा भी प्रदान करते है। उद्देश्यों के स्पष्ट हो जाने पर कर्मचारी उनकी प्राप्ति के लिए प्रयास करना प्रारंभ कर देते है। लक्ष्य के अभाव में कर्मचारियों के प्रयत्न शिथिल पड़ जाते हैं, उत्साह मंद हो जाता है एवं कार्य शक्ति तथा आकांक्षा क्षीण होने लगती हैं।

9. नियंत्रण का उपकरण 

उद्देश्यों के द्वारा कार्यों पर नियंत्रण रखना भी सुगम हो जाता हैं, वास्तविक कार्य प्रगति के उद्देश्यों से तुलना करके विचलन का पता लगाया जा सकता हैं। इस तरह संगठन तथा कर्मचारियों की कार्यदक्षता का मूल्यांकन किया जा सकता हैं। वास्तविक निष्पादन को सदैव उद्देश्यों के अनुरूप रखने के प्रयत्न किये जा सकते हैं।

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