उद्देश्य का अर्थ (uddeshy kise kahte hai)
जब संगठन के शीर्ष प्रबन्धन द्वारा संस्था के मिशन अथवा ध्येय को स्पष्ट रूप से समझा दिया जाता है तो उसका अगला कदम इन्हें कार्य रूप में परिणित करना होता है। इसके लिए मिशन को छोटे तथा कार्यशील उद्देश्यों में विभाजित करना होता है। अतः सामान्य रूप से उद्देश्य वे परिणाम अथवा लक्ष्य है जिनकी प्राप्ति के लिए कोई संस्था कार्य करती है। ये किसी कार्य के अन्तिम बिन्दु हैं जिनका निर्धारण शुरू में ही कर लिया जाता है। अतः उद्देश्य व्यूहरचनाएँ नहीं होते। व्यूहरचनाएं लक्ष्य अथवा उद्देश्य को प्राप्त करने का साधन हैं।
उद्देश्य की परिभाषाएं (uddeshy ki paribhasha)
उद्देश्यों की कोई स्पष्ट परिभाषा देना अत्यन्त कठिन कार्य हैं, पर फिर भी कुछ विद्वानों के विचार इस बारे में जान लेना अत्यंत आवश्यक हैं, जो इस इस प्रकार हैं--
मैक्फारलैण्ड के अनुसार," एक प्रबन्धकीय उद्देश्य वह अभीष्ट/अपेक्षित लक्ष्य हैं, जो प्रबन्धक का क्षेत्र निर्धारित करता हैं एवं उसके प्रयासों को दिशा का सुझाव देता हैं।"
प्रो. टेरी के अनुसार," उद्देश्य वह शब्द हैं, जो सामान्यतः किसी प्रबन्ध-कार्यक्रम के चरम बिन्दु को प्रकट करने के लिए उपयोग में लाया जाता हैं।"
कुण्ट्ज तथा ओडोनेल के अनुसार," उद्देश्य वे लक्ष्य है जिन्हें एक संगठन अपने अस्तित्व एवं क्रियाओं द्वारा प्राप्त करने का प्रयत्न करता हैं।"
गुलिक एवं जाँच के अनुसार," उद्देश्य वे अपेक्षित परिणाम है जिन्हें एक संस्था निर्धारित समयावधि में प्राप्त कर लेना चाहती हैं। ये वे अन्तिम बिन्दु हैं जो परिमाणात्मक अथवा गुणात्मक रूप में व्यक्त किये जाते है एवं जिनकी प्राप्ति हेतु संस्था का प्रत्येक सदस्य प्रयत्न करता हैं।"
उद्देश्य की विशेषताएं (uddeshy ki visheshta)
उद्देश्यों के अर्थ तथा उपर्युक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर इनकी निम्नलिखित विशेषताएं स्पष्ट स्पष्ट होती हैं--
1. उद्देश्य वे लक्ष्य अथवा परिणाम है जिन्हें एक संस्था एवं उसके सदस्य मिलकर प्राप्त करना चाहते है।
2. उद्देश्य वे चरम-बिन्दु है जहाँ कोई संस्था अथवा व्यक्ति पहुँचना चाहता हैं।
3. उद्देश्य संस्था के मिशन अथवा ध्येय पर आधारित होते है एवं इनकी पूर्ति हेतु निर्धारित किये जाते है।
4. उद्देश्य मुक्ति-सीमा लक्षण हैं जिनका वर्णन विशिष्ट परिमाणात्मक रूप में नही बल्कि 'अधिकतम करने,' 'श्रेष्ठतम उपयोग करने' या 'न्यूनतम करने' की भाषा में किया जाता है। जैसे-- उत्पादकता बढ़ाना, लागत को न्यूनतम करना या संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना आदि।
5. उद्देश्य संस्था के कार्यों के मार्गदर्शन विवरण होते हैं।
6. उद्देश्य भविष्य से संबंधित होते है, पर जो वर्तमान में निर्धारित किये जाते हैं।
7. उद्देश्य संस्था के ध्येय की 'कार्यवाही योजना' या 'कार्य अभिमुखता' तथा क्रियाशील प्रतिज्ञायें हैं।
8. उद्देश्य किसी निश्चित विचारधारा तथा मान्यताओं के आधार पर निर्धारित किये जाते हैं।
9. उद्देश्य संस्था के लिए ही नही, वरन् संस्था के प्रत्येक अंग (विभाग, कर्मचारी) के लिए भी निर्धारित किये जाते हैं।
10. संस्था एवं इसके विभिन्न अंगों के उद्देश्य सहकारी होते हैं, एक-दूसरे के विपरीत नहीं।
11. प्रत्येक संस्था के अनेक उद्देश्य होते है एवं उसके महत्व के अनुसार उनकी प्राथमिकता निर्धारित कर दी जाती हैं।
12. संस्था के अनेक उद्देश्य प्रतिस्पर्द्धी होते हैं जिनमें समन्वय तथा समायोजन की आवश्यकता होती है।
13. उद्देश्यों का निर्धारण करते समय अप्रत्याशित, अनदेखी घटनाओं के लिए भी प्रावधान करना पड़ता हैं।
14. उद्देश्य अपेक्षित कार्यों अथवा परिणामों के विवरण होते हैं, वास्तविक परिणाम नहीं।
15. उद्देश्यों के आधार पर ही संसाधनों तथा प्रयासों पर केन्द्रीयकरण किया जाना संभव होता हैं।
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