4/03/2021

अंतर्राष्ट्रीय विपणन की प्रकृति, क्षेत्र

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अंतर्राष्ट्रीय विपणन की प्रकृति/स्वभाव

antarrashtriya vipran ki prakriti;अंतर्राष्ट्रीय विपणन की प्रकृति देशी विपणन जैसी ही है, क्योंकि इसमे वे सभी कार्य एवं क्रियायें करनी पड़ती है जो देशी विपणन मे की जा सकती है, लेकिन इसके बाद भी अंतर्राष्ट्रीय विपणन की प्रकृति मे कुछ भिन्नतायें पायी जाती है, जो इस प्रकार हैं--

1. संरक्षणवादी प्रकृति 

अंतर्राष्ट्रीय विपणन मूलतः संरक्षणवादी प्रकृति का रहा है, लेकिन विश्व व्यापार समझौता लागू होने बाद इस क्षेत्र मे संरक्षणवादी प्रवृति मे कमी आई है। इसके अंतर्गत प्रत्येक देश अपने निर्यातों को बढ़ाना चाहता है एवं आयातों को कम करना चाहता है। इसलिए प्रत्येक देश अपने निर्यातों को प्रोत्साहित करता है एवं आयातों पर कड़े प्रतिबन्ध लगाता है एवं भारी आयात कर लगाकर विदेशी माल के प्रवेश को रोकने का प्रयास करता है।

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2. अत्यधिक जोखिम

अंतर्राष्ट्रीय विपणन मे अनेक प्रकार के जोखिम होते है। इसी कारण इसमे एक सौदा पूर्ण करने मे काफी समय लगता है। इसी दौरान आयातक या निर्यातक देश मे राजनैतिक परिवर्तन, आर्थिक परिवर्तन या वैधानिक परिवर्तन अंतर्राष्ट्रीय विपणन को व्यापक रूप से प्रभावित करते है। दोनों देशों मे युद्ध हो जाने पर व्यापारिक संबंध ही समाप्त हो जाते है। विदेशी ग्राहकों के फैशन एवं रूचि मे होने वाला परिवर्तन भी जोखिम को बढ़ा देता है।

3. राजनीतिक प्रकृति 

अंतर्राष्ट्रीय विपणन की प्रकृति राजनीतिक है, क्योंकि यदि व्यापार से दोनों देशों को पारस्परिक लाभ मिल रहा है तो अंतर्राष्ट्रीय विपणन हो सकता है और यदि लाभ नही मिल रहा है तो अंतर्राष्ट्रीय विपणन नही हो सकता है। इस तरह अंतर्राष्ट्रीय विपणन की आधारशिला राजनीति ही है।

4. प्रतियोगी प्रकृति 

अंतर्राष्ट्रीय विपणन सघन प्रतियोगी प्रकृति का होता है। इसके अंतर्गत त्रि-स्तरीय प्रतियोगिता का कड़ा सामना करना होता है। प्रथम अपने देश के निर्यातकों से, द्वितीय अन्य देशों के निर्यातकों से तथा तृतीय आयातक देश के उत्पादकों से। यह स्थिति अंतर्राष्ट्रीय विपणन मे प्रतियोगिता को सघन कर देती है।

5. विशिष्ट चातुर्य 

स्वदेशी विपणन की तुलना मे अंतर्राष्ट्रीय विपणन मे के लिए प्रबंध मे अधिक विशिष्ट चातुर्य की आवश्यकता पड़ती है। इस विपणन मे प्रबंधन वर्ग को किसी राष्ट्रविशेष की आवश्यकताओं एवं परिस्थितियों के मद्देनजर विपणन क्रियाओं के निष्पादन हेतु व्यापक चातुर्य की आवश्यकता होती है।

6. विश्व एकीकरण प्रकृति

अंतर्राष्ट्रीय विपणन की प्रकृति विश्व एकीकरण को बढ़ावा देती है। अतः अंतर्राष्ट्रीय विपणन होने लगता है, तब वह विपणन विश्व-विपणन की ओर बढ़ने लगता है।

7. साख अभिमुखी 

अंतर्राष्ट्रीय विपणन मे विपणन साख पर होता है। अंतर्राष्ट्रीय विपणन विकसित देशों का बहुत बड़ा भाग है। विकासशील देश मुख्यतः क्रय शक्ति नही रखते है विकासशील देश उन्हीं देशों से माल क्रय करने को वरीयता देते है, जो भुगतान की अवधि को लंबा रखें तथा ब्याज दर न्यूनतम रखे।

अंतर्राष्ट्रीय विपणन का क्षेत्र 

antarrashtriya vipran ki kshera;अगर कोई कंपनी विपणन करना चाहती है तो सबसे पहले उसको निर्यात विपणन को विभिन्न विधाओं एवं व्यूह-रचनाओं को समझकर अपने साधनों के पर्यावरण को ध्यान मे रखते हुए यह विचार करना होगा कि कौन-सी विधि/विधियां अपनाई जाए। विदेशी बाजारों मे विपणन करने के लिए मुख्यतः पांच तरह की विधियां अपनाई जाती है, अर्थात् निर्यात विपणन के क्षेत्र को निम्म पांच शीर्षकों के अंतर्गत वर्णित किया जा सकता है--

1. निर्यात करना 

विदेशी बाजारों मे प्रवेश करने के लिए सबसे प्रयोग मे लाई जाने वाली यही विधि है। अधिकांशतः भारत मे इसी विधि प्रयोग किया जाता है। इस विधि मे देश मे उत्पाद का निर्माण करके विदेशी बाजारों मे निर्यात कर उसका वितरण किया जाता है। यह विधि उन देशों द्वारा सबसे अधिक अपनाई जाती है, जो विदेशी बाजार मे नये आते है क्योंकि इसमे वित्तीय जोखिम कम होता है।

2. लाइसेंस देकर 

जब कोई कंपनी अपने पेटेंट तथा ट्रेडमार्क अधिकार को सुरक्षित करना चाहती है तब वह विदेशी बाजार मे किसी दूसरी कंपनी को अपने उत्पाद के निर्माण का लाइसेंस देती है तथा उसके बदले मे एक निश्चित राॅयल्टी लेती है। यह उन दशाओं मे किया जायें। उदाहरण के लिए, मध्य-पूर्व के देशों मे पार्लें कंपनी ने अपने पेय-पदार्थों के उत्पादन व विपणन के लाइसेंस दे रखे है।

3. संयुक्त साहस एवं सहयोग 

अगर स्थिति ऐसी हो कि कोई कंपनी विदेशी बाजार मे विपणन करने मे समर्थ न हो, तब वह किसी अन्य कंपनी के साथ मिलकर यह कार्य करती है। ऐसा उपाय व्यर्थ अधिकता या कंपनी को अपनी क्षमता से बाहर होने पर अपनाया जाता है जिससे उपलब्ध विपणन अवसरों का अनुकूलतम विदोहन किया जा सके। बाजार के नियंत्रण मे संयुक्त साहस एवं सहयोग का प्रमुख कारण राजनैतिक तथा आर्थिक जोखिमों से बचाव करना है। विश्व बाजारों मे संयुक्त साहस तथा सहयोग का मुख्य कारण यही है। इसके अस्तित्व तथा विकास के कुछ अन्य कारण है--

(अ) जब कंपनी के पास विदेशी बाजार का प्रबंध करने हेतु कुशल कर्मचारी न हो या जरूरी पूंजी उपलब्ध न हो।

(ब) जबकि कंपनी यह अनुभव करे यह दोनों भागीदारों हेतु लाभदायक होगा क्योंकि सहयोग कंपनी के पास विशिष्ट साधन है जैसे वितरण-व्यवस्था, बाजार की संस्कृति का ज्ञान, धन इत्यादि।

(स) जबकि विदेशी सरकार कंपनी के पूर्ण स्वामित्व मे विपणन-क्रियाओं की स्वीकृति न दे।

संयुक्त साहस तथा सहयोग व्यवस्था अपनाकर कंपनी घरेलू-विपणन व निर्यात विपणन दोनों का प्रभावी रूप से निष्पादन कर सकती है। 

4. विदेश मे शाखा तथा उत्पाद निर्माण 

अंतर्राष्ट्रीय विपणन मे कुछ सफलता प्राप्त करने के बाद कंपनी अपने विदेशी बाजार का और विस्तार करने का प्रयत्न करती है। कंपनी अपनी शाखा विदेशी बाजार मे स्थापित करती है। यह शाखा निर्यात बाजार की आवश्यकता के अनुरूप उत्पादों का संयोजन, पैकिंग व अन्य कार्य कर सकती है। कंपनी अपने अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप का और विकास करते हुए विदेशी बाजार मे अपनी उत्पाद निर्माण व्यवस्था स्थापित करती है। इसका मुख्य कारण विदेशी विपणन की लागत मे कमी लाना है। विदेश मे उत्पाद निर्माण करने से वहां के कर नही देने पड़ते, परिवहन लागत मे कमी हो जाती है, उस देश की कम श्रम लागत या किसी अन्य लागत घटक का लाभ उठाकर उत्पादन लागत कम की जा सकती है, विश्व बाजारों मे प्रतिस्पर्धा का सफलता से सामना करने हेतु बहुत सी कंपनियां इस विधि को अपना रही है।

5. परामर्श सेवाएं/तकनीकी एवं प्रबंधकीय अनुबंध 

विकासशील देशों के पास आधारभूऔ तथा उच्च तकनीक वाले उद्योगों की स्थापना के लिए आवश्यक तकनीकी एवं प्रबंधकीय कर्मचारी नही होते जो ऐसे उद्योगों की स्थापना कर उनके रख-रखाव का कार्य कर सकें, निर्यातक देश अपने तकनीकी विशेषज्ञ तथा प्रबंधकों को इनके आयातक देशों मे भेजकर वहां के व्यक्तियों को तकनीकी व प्रबंधकीय चातुर्य का ज्ञान करते है। जब तक कि आयातकर्ता देश के कर्मचारी इस योग्य नही हो जाते कि इन संस्थाओं को स्वयं चला सकें, निर्यातकर्ता, देश के विशेषज्ञ तथा परामर्शदाता एक "प्रबंधकीय अनुबंध" के अंतर्गत कार्य करते है। एशिया व मध्य-पूर्व मे विदेशी कंपनियों ही तेलशोधक व पैट्रो-रसायन संस्थानों का प्रबंध करती है। भारत के उबेराय "ईस्ट इंडिया होटल" ने मिस्त्र एवं आस्ट्रेलिया मे होटल प्रबंध के प्रबंधकीय अनुबंध कर रखे है।

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