2/15/2021

रोकड़ प्रवाह विवरण क्या है? महत्व, सीमाएं

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रोकड़ प्रवाह विवरण क्या है? (rokad pravah vivran ka arth)

एक निश्चित अवधि के भीतर व्यवसाय मे किन-किन साधनों से कितने रोकड़ आती है और किन-किन मदों मे कितनी रोकड़ खर्च के रूप मे या अन्य रूप मे बाहर चली चली जाती है, इस उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए जो विवरण तैयार किया जाता है, उसे ही रोकड़ प्रवाह (बहाव) विवरण कहते है। 
रोकड़ प्रवाह विवरण के अंतर्गत किसी व्यावसायिक संस्था की रोकड़ स्थिति प्रकट की जाती है। रोकड़ बहाव विवरण के द्वारा दो लेखा अवधियों के बीच व्यवसाय के अंदर आने वाले और व्यवसाय के बहार जाने वाली रोकड़ का अध्ययन किया जाता है। इस विवरण को रोकड़ मे परिवर्तनों के कारणों का विवरण भी कहा जाता है। 
संक्षेप मे, रोकड़ प्रवाह विवरण नकद व्यवहारों का सारांश होता है, जिसमे प्रारम्भिक और अंतिम नकद शेष को भी दिखाया जाता है। यह विवरण मासिक, साप्ताहिक या किसी निश्चित समयावधि मे बनाया जा सकता है।

रोकड़ प्रवाह विवरण का महत्व/उपयोगिता (rokad pravah vivran ka mahatva)

रोकड़ प्रवाह विवरण का महत्व या उपयोगिता इस प्रकार है--
1. रोकड़ प्रवाह विवरण से रोकड़ से संबंधित तुलनात्मक अध्ययन आसानी से किये जा सकते है।
2. विभिन्न पूंजीगत परियोजनाओं की लाभदायकता तथा उपयुक्तता की जांच करने मे रोकड़ बहाव विवरण से काफी सहायता मिलती है।
3. इस विवरण से यह जाना जा सकता है कि व्यवसाय मे लाभ होने के बावजूद रोकड़ शेष मे कमी किन कारणों से हुई। इसके विपरीत इस विवरण से यह भी जाना जा सकता है कि व्यवसाय मे हानि होने पर भी किन कारणों से रोकड़ शेष मे वृद्धि संभव हो सकी है।
4. बैंको के लिए यह विवरण बहुत उपयोगी होता है। वर्तमान मे वित्तीय संस्थाएं अपने ग्राहकों की वित्तीय स्थिति के मूल्यांकन मे रोक बहाव विवरण की ही सहायता लेती है। 
5. प्रबन्धकों को संस्था की देयता हेतु भुगतान क्षमता के मूल्यांकन मे इस विवरण से सहायता मिलती है।
6. अल्पकालीन वित्तीय योजनाओं रोकड़ से संबंधित होती है, अतः इस विवरण से अल्पकालीन वित्तीय योजनाओं के बनाने मे मदद मिलती है।
7. रोकड़ प्रवाह विवरण के कारण व्यावसायिक संस्था की तरलता तथा रोकड़ प्राप्ति एवं भुगतान से संबंधित समस्याओं का नियंत्रण कार्य आसान हो जाता है। 

रोकड़ प्रवाह विवरण की सीमाएं (rokad pravah vivran ki simaye)

यद्यपि रोकड़ प्रवाह विवरण वित्तीय विश्लेषण का प्रमुख यंत्र माना जाता है फिर भी इसके प्रयोग के समय इसकी निम्न सीमाओं को ध्यान मे रखना आवश्यक है--
1. संकीर्ण अर्थ
इस विवरण को तैयार करने मे रोकड़ को बहुत ही संकीर्ण अर्थ मे लिया जाता है। आम तौर पर इसके क्षेत्र मे चैक, पोस्टल आर्डर, डाक टिकट आदि को शामिल नही किया जाता है। इसके क्षेत्र विस्तार के बारे मे विवादास्पद स्थिति पाई जाती है।
2. पूर्ण स्थानापन्न नही 
यह विवरण लाभ-हानि खाते का पूर्ण स्थानापन्न नही होता है। इसके माध्यम से प्रदर्शित शुद्ध रोकड़ प्रवाह प्रायः लाभ-हानि खाते द्वारा प्रदर्शित शुद्ध लाभ के बराबर नही होता। इसलिए लाभ तथा रोकड़ को अलग-अलग मानना चाहिए।
3. वित्तीय स्थिति का पूर्ण चित्र नही 
यह मात्र रोकड़ के आगमन तथा बहिर्गमन को ही पेश करता है। इससे संस्था की वित्तीय स्थिति का पूर्ण चित्र स्पष्ट नही हो पाता है।

शायद यह जानकारी आपके लिए काफी उपयोगी सिद्ध होंगी

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