परीक्षण जांच का अर्थ (parikshan janch kya hai)
साधारण शब्दों मे संस्था की सम्पूर्ण लेखा पुस्तकों की जांच नही कर के खास-खास लेखा पुस्तकों की जांच को ही परीक्षण जांच कहते है।
बडी संस्थाओं के संबंध में अंकेक्षण के लिए यह मुमकिन नही है। कि वह सम्पूर्ण लेखा पुस्तकों की जांच कर सके। लेकिन प्रत्येक लेखा पुस्तको की गहन जांच अंकेक्षण का मुख्य उद्धेश्य है जिन संस्थाओं में आन्तरिक जांच प्रणाली सुदृढ होती है वहां प्रत्येक लेखा पुस्तको की गहन जांच आवश्यक नही है कुछ खास लेखा पुस्त्को की जांच कर के उद्धेश्य की प्राप्ती की जा सकती है। परीक्षण जांच के आधार पर ही अन्य खातों की शुद्धता का अनुमान लगाया जा सकता है। परीक्षण जांच को सभी देशों से मान्यता प्राप्त है।
परीक्षण जांच के लाभ (parikshan janch ke labha)
परीक्षण जांच लाभ इस प्रकार है--
1. समय की वचत
परीक्षण जांच में सभी लेखों वद पुस्तको की जांच नही की जाती है जिसकी वजह से समय की बचत होती है।
2. विश्वसनीयता
परीक्षण जांच को विश्वसनीय जांच भी माना जाता है। इसी की वजह से सभी जांचो का अनुमान लगा लिया जाता है। परीक्षण जांच के आधार पर व्यवसाय के महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते है।
3. मितव्ययी
परीक्षण जांच में अंकेक्षण को कम समय व कम मेहनत लगती है जिसके कारण उसकी फीस भी कम होती है जिसकी वजह से अंकेक्षण लागत में कमी होती है।
4. अंकेक्षण की शीघ्र समाप्ति
परीक्षण जांच के कारण अंकेक्षण जल्दी ही समाप्त हो जाता है क्योकि केवल विशिष्ट खातों की ही जांच से समय कम लगता है।
5. अंकेक्षण प्रतिवेदन शीघ्र मिलना
अंकेक्षण कार्य जल्दी हो जाने के कारण अंकेक्षण प्रतिवेदन भी जल्दी ही मिल जाते है जिससे अंशधारियों की सभा आदि की व्यवस्था करने में सरलता प्राप्त होती है साथ ही लांभाश की घोषणा भी जल्दी हो जाती है।
परीक्षण जांच के दोष (parikshan janch ke dosh)
परीक्षण जांच के दोष इस प्रकार है--
1. असंतोषजनक रिपोर्ट
परीक्षण जांच के माध्यम से किया गया अंकेक्षण विश्वास लायक नही होता है इसी वजह से रिपोर्ट संतोषजनक नही होती है।
2. कर्मचारियों के कार्य में असावधानी
संस्था / कम्पनी में कर्मचारी भी लापरवाह हो सकते है क्योकि की कर्मचारियों को इस बात की जानकारी पहले से ही रहती है की पूरे कार्य की विस्तार से जांच नही होती है।
3. त्रुटियों एवं छल-कपटों का छिपे रह जाना
परीक्षण जांच के भीतर सिर्फ चुने हुये लेखों की जांच होती है। अत: त्रुटियां एवं चतुराई के साथ किए गए छल-कपटों के छिपे रहने की गुंजाइश अधिक रहती है।
4. अंकेक्षण का उत्तरदायित्व बढ़ जाना
परीक्षण जांच के द्वारा अंकेक्षण अपने कार्य को कम कर देता है परन्तु उसका का दायित्व बढ़ जाता है परीक्षण को इस व्यवहारों के लिए भी उत्त्रदायी ठहराया जाता है जो जांच क्षेत्र में नही आ पायें।
शायद यह जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी
Vibhajya laabh
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