8/23/2020

वित्तीय प्रबंधन का महत्व एवं उद्देश्य

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वित्तीय प्रबंधन का महत्व (vittiya prabandh ka mahatva)

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पिछले कुछ वर्षों मे समामेलिए संस्थाओं की संख्या काफी बढ़ गयी है तथा इसी कारण वित्त प्रबंध का महत्व भी काफी बढ़ गया है। पुरानी विचारधार के अनुसार वित्तीय प्रबंध का कार्य उचित शर्तों पर वित्त प्राप्त करना होता था। पर आधुनिक विचारधारा के अनुसार वित्त प्रबंधक कार्य सिर्फ व्यवसाय मे पूंजी प्राप्त करना ही नही है वरन् व्यवसाय मे उसका अनुकूलतम उपयोग करना भी है। निर्गमित व्यवसायों मे वित्त प्रबंध का कार्य काफी कठिन होता है। वित्तीय प्रबंधन का महत्व इस प्रकार है--
1. उपक्रम की सफलता का आधार
चाहे एक उपक्रम छोटा और अथवा बड़ा, चाहे उपक्रम निगमित, चाहे अथवा गैर निगमित, चाहे उपक्रम निर्माणी हो अथवा सेवा संस्थान, उसकी सफलता वित्तीय प्रबंध की कुशलता पर निर्भर करती है। कुशल वित्तीय प्रबंध हानि मे चलने वाले उपक्रम को लाभ मे बदल सकता है तथा अकुशल वित्तीय प्रबंध लाभ मे चलने वाले उपक्रम को बर्बाद कर सकता है, अतः उपक्रम की सफलता वित्तीय प्रबंध पर निर्भर करती है।
2. व्यावसायिक प्रबंधकों हेतु उपयोगिता
निगमों मे जनता अपनी बहुमूल्य बचतें अंशों, ऋणपत्रों या सार्वजनिक निक्षेपों के रूप मे विनियोजित करती है। प्रबन्धकों का यह दायित्व होता है कि जनता के धन को सुरक्षित रखे एवं उन्हे उचित दर से प्रत्याय दे। यह तभी सम्भव है जब प्रबन्धकों को वित्तीय प्रबंध के सिद्धांतों की जानकारी हो।

3. अंशधारियों हेतु उपयोगिता
कम्पनी का प्रबंध कुछ कारणों से अंशधारी नही कर पाते। प्रबंध का कार्य अंशधारियों के प्रतिनिधि अर्थात् संचालकों द्वारा किया जाता है। संचालकगण अंशधारियों के हित मे कार्य कर रहे है या नही यह देखने का कार्य अंशधारियों का होता है। अंशधारी यह कार्य तभी कर सकते है जबकि उन्हें प्रबन्ध के सिद्धांतों की जानकारी हो।
4. विनियोक्ताओं हेतु उपयोगिता
किन प्रतिभूतियों मे धन विनियोजित करना तथा किन मे नही इसका निर्णय विनियोक्ता तभी ले सकते हैं जबकि उन्हें वित्तीय प्रबंध के सिद्धांत एवं व्यवहार की जानकारी हो।
5. वित्तीय संस्थाओं हेतु उपयोगिता
बैंक, बीमा कम्पनियों, विनियोग बैंकों, प्रन्यास कम्पनियों अभिगोपकों को भी वित्तीय प्रबंध के सिद्धांतों की जानकारी होना चाहिए। यदि इन संस्थाओं के प्रबन्धकों को वित्तीय प्रबंध के सिद्धांतों की जानकारी न हो तो वे गलत कम्पनियों अथवा खराब प्रतिभूतियों मे धन विनियोजित कर सकते है।
6. राष्ट्रीय महत्व 
भारत जैसे विकासशील देशों मे विभिन्न विकास कार्यों पर करोंडो रुपयों का विनियोग किया जाता है। इस विनियोग की कुशलता द्वारा राष्ट्रीय विकास की दर ऊँची की जा सकती है। सार्वजनिक विनियोग अकुशल प्रबंध हमारी गरीबी का एक कारण है।
7. अन्य व्यक्तियों के लिए उपयोगिता
वित्तीय प्रबंध की जानकारी समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ आदि के लिए भी बहुत उपयोगी होती है।

वित्तीय प्रबंधन के उद्देश्य (vittiya prabandh ke uddeshya)

संकुचित रूप से वित्तीय प्रबंध का तात्कालिक उद्देश्य उपक्रम के लिए पर्याप्त सरलता तथा लाभदायकता की व्यवस्था करना होता है। व्यापक रूप मे वित्तीय प्रबंध का उद्देश्य फर्म के उद्देश्यों की प्राप्ति मे अधिकतम सहायता पहुंचाना होता है। वित्तीय प्रबंध का मुख्य उद्देश्य न्यूनतम वित्तीय साधनों द्वारा अधिकतम लाभ अर्जित करना है। वित्तीय प्रबंध का यह उद्देश्य सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। वित्तीय प्रबंध के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार से है--
1. अधिकतम लाभ प्राप्ति 
वित्त का सही तरह से प्रबंध किया जाना, अर्थात् कहाँ, किस समय, कितना वित्त लगाना है, इसे ध्यान मे रखकर किया गया कार्य वित्तीय प्रबंध कहलाता है। वित्त के उचित प्रबंध से अधिकतम लाभ की प्राप्ति होती है।
2. साधनों का कुशल आवंटन एवं उपयोग
उपलब्ध साधनों का कुशल आवंटन एवं उपयोग लाभ के आधार पर किया जा सकता है। वित्तीय प्रबंधक साधनों को कम लाभदायक उपयोगों से निकाल कर अधिक लाभदायक उपयोगों मे लगाता है, जिससे कुशला बढ़ती है।
3. निर्णयों की सफलता का मापक 
सभी व्यावसायिक निर्णय लाभोपार्जन के उद्देश्य को ध्यान मे रखकर किये जाते है, अतः यह निर्णयों की सफलता का प्रमुख मापक है। एक उपक्रम अपने उत्पादन, विक्रय ता निष्पादन मे कुशलता अर्जित करके ही लाभ अर्जित कर सकता है। प्रबंध का कोई कार्य अथवा निर्णय सफल हुआ अथवा नही, इसका मापन लाभ के आधार पर किया जा सकता है।
4. विशुद्ध सम्पत्तियों के मूल्य मे वृद्धि करना
प्रो. इजरा के अनुसार एक व्यवसाय के वित्तीय प्रबंध का प्रमुख उद्देश्य उसका मूल्य अधिकतमीकलण होना चाहिए। उनके ही अनुसार वह एक ऐसा केन्द्रीय उद्देश्य है जिस पर व्यवसाय के अन्य सभी उद्देश्य निर्भर करते है। सरल रूप मे इसका आशय फर्म की विशुद्ध सम्पत्तियों के मूल्य मे वृद्धि करना है। इस उद्देश्य मे अधिकतम लाभ अर्जित करने की भावना की झलक मिलती है। इस प्रकार निष्कर्ष रूप मे यही कहा जा सकता है कि कुल विनियोजित पूंजी पर समुचित दर से लाभोपार्जन करना ही वित्तीय प्रबंध का प्रमुख उद्देश्य है।
5. व्यवसाय का भावी विकास
व्यवसाय का भावी विकास एवं वृद्धि वित्तीय प्रबंध की कुशलता पर ही निर्भर होती है। वित्तीय प्रबंधन की अकुशलता से व्यवसाय के भावी विकास की गति अवरूद्ध हो सकती है एवं व्यवसाय भावी समस्याओं का सामना करने मे सक्षम नही रहता।
6. अधिकतम परिणाम प्राप्‍त करना 
एक उपक्रम में अंशधारी, ऋणदाता तथा कर्मचारी आदि विभिन्‍न हित रखने वाले अलग-अलग पक्षकार होते है। इन सभी के आर्थिक हितों की पूर्ति करना भी वित्तीय प्रबन्‍ध का प्रमुख उद्देश्‍य होना चाहिए। वास्‍तव में यह उद्देश्‍य प्रथम उद्देश्‍य का ही एक भाग है। अगर कम्‍पनी को लाभ पर्याप्‍त होगे तो वह सभी पक्षकारो को अच्‍छी तरह से सन्‍तुष्‍ट कर सकेगी। अत: वित्तीय प्रबन्‍धको को विनियोजित पूँजी पर समुचित दर से लाभ कमाने के लिए सदैव प्रयत्‍नशील रहना चाहिए।  
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