2/21/2021

वित्तीय नियोजन क्या है? परिभाषा, महत्व/लाभ, सीमाएं/दोष

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वित्तीय नियोजन की अवधारणा

vittiya niyojan ka arth paribhasha mahatva simaye;एक उद्योग के लिए पूँजी जीवन का काम करती है। किसी भी उद्योग या व्‍यवसाय की प्रगति एंव कुशलता के लिए पर्याप्‍त मात्रा में पूँजी होना जरूरी है। जब कोई उद्योगपति एक उद्योग प्रारम्‍भ करता है तब उसे उस उद्योग से सम्‍बन्धित विभिन्‍न पहुलुओ पर अध्‍ययन करना आवश्‍यक होता है। यदि पहलूओ का अध्‍ययन उचित प्रकार से नहीं किया तो उद्योग प्रगति नही कर सकता। अत: उद्योगपति को जगह का चुनाव कच्‍चे माल की उपलब्‍धता, उत्‍पादन की क्रिया एंव पर्याप्‍त मात्रा में राशि से सम्‍बन्धित का चुनाव करना जरूरी होता है। इसमें सबसे महत्‍वपूर्ण वित्त का चुनाव सबसे अधिक उपयेागी होता है। किसी भी उद्योग‍पति को उद्योग प्रारम्‍भ करने से लेकर उसके विकास, समापन तक सभी स्थितियों में वित्त का होना आवश्‍यक होता है। सभी स्थितियों के लिए एक सफल वित्तीय नियोजन होना आवश्‍यक ही नही बल्कि अनिवार्य है।

वित्तीय योजना एक ऐसी योजना है जो समय-समय पर परिवर्तित होती रहती है। ऐसी अवस्‍था में योजना बनाते समय वर्तमान एंव भविष्‍य को ध्‍यान मे अवश्‍य रखकर पर्याप्‍त योजना तैयार करना चाहिऐ, जो परिस्थिति के अनुरूप उचित एंव पर्याप्‍त हो। 

वित्तीय नियोजन क्या है? (vittiya niyojan ka arth)

वित्तीय नियोजन का आशय किसी संस्‍था के लिए आवश्‍यक पूँजी की कुल राशि का पूर्वानुमान लगाना तथा उसके स्‍वरूप के सम्‍बन्‍ध में निर्णय लेने कि प्रक्रिया से है। 

वित्तीय नियोजन की परिभाषा (vittiya niyojan ka arth)

वॉकर एंव वॉन के अनुसार,'' वित्तीय नियोजन वित्त कार्य से सम्‍बन्धित है, जिसमें फर्म के वित्तीय लक्ष्‍यो का निर्धारण, वित्तीय नीतियो का निर्माण व अनुमान तथा वित्तीय प्रविधियों का विकास सम्मिलित है।'' 

गैस्‍टेनवर्ग के अनुसार,'' वित्तीय योजना का तात्‍पर्य किसी भी नये व्‍यवसाय के प्रारम्भिक सम्‍पत्ति संगठन वैधानिक संचालन, व्‍ययों, स्‍थायी और कार्यशील पूँजी की व्‍यवस्‍था, वर्तमानकाल में आवश्‍यक पूँजी का उचित अनुमान लगाकर उसकी व्‍यवस्‍था करने तथा उसको प्राप्‍त करने के यथासम्‍भव स्‍त्रोतो के सही विश्‍लेषण।'' 

वित्तीय नियोजन का महत्‍व (vittiya niyojan ka mahatva)

वित्तीय नियोजन एक आवश्‍यक व महत्‍वपूर्ण वित्तीय प्रक्रिया है। किसी व्‍यवसाय की सफलता अथवा असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसके साधनों का अनुकूलतम ढंग से उपयेाग किया जावे। ऐसा तभी मुमकिन हो सकता है जब संस्‍था की वित्तीय योजना में वर्तमान एंव भावी पूँजी  सम्‍बन्‍धी आवश्‍यकताओं का सही अनुमान लगाया जाये। पूँजी के ढांचे के सम्‍बन्‍ध में वित्तीय नियोजन मार्गदर्शन का कार्य करता है वास्‍तव में एक व्‍यावसायिक संस्‍था की सफलता पर्याप्‍त सीमा तक वित्तीय नियोजन की पूर्णता पर निर्भर करती है। प्रवर्तन, भावी विस्‍तार एंव विकास से सम्‍बन्धित सभी योजनाएं वित्तीय नियेाजन की सुदृढता पर निर्भर करती है। वित्तीय नियोजन के महत्‍व के प्रमुख कारण इस प्रकार है-- 

1. व्‍यवसाय का सफल प्रवर्तन 

किसी भी नवीन व्‍यवसाय का सफल प्रवर्तन उस समय तक नही हो सकता जब तक कि उपक्रम के प्रारम्भिक आकार व भावी विस्‍तार को ध्‍यान में रखकर एक लोचपूर्ण वित्तीय योजना न बनाई जावे। एक सुदृढ़ वित्तीय योजना प्रवर्तन की सफलता के लिए बहुत जरूरी है। 

2. सम्‍पूर्ण उपक्रम की सफलता 

सम्‍पूर्ण उपक्रम की सफलता की दृष्टि से भी वित्तीय नियोजन का महत्‍व है। वित्त कार्य प्रत्‍येक व्‍यावसायिक क्रिया को प्रभावित करता है। व्‍यवसाय की स्‍थापना हो जाने के बाद सम्‍पत्तियों का क्रय, कच्‍चे माल का क्रय, माल का निर्माण वितरण कार्य आदि के लिए समय पर उचित मात्रा मे वित्त की उपलब्धि कुशल वित्तीय नियोजन पर निर्भर होती है। 

3. पूँजी की सुरक्षा 

वित्तीय नियेाजन द्वारा संस्‍था को अपनी पूँजी की सुरक्षा करने में भी बहुत सहायता मिलती है।

4. संचालन में बचत और समन्‍वय 

वित्तीय नियोजन जटिल संचालन क्रियाओ में मितव्‍ययिता लाने और   अपव्‍यय को रोकने में भी सफल एंव सहायक होता है। आज के युग में तकनीकी विकास, ऊँची कर की दरो ब्याज ज दरों में वृद्धि एंव तीव्र प्रतिस्‍पर्द्धा के कारण यह आवश्‍यक हो जाता है कि व्‍यवसाय की विभिन्‍न संचालन क्रियाओ में समन्‍वय स्‍थापित किया जाये। समन्‍वय का यह कार्य वित्तीय नियोजन द्वारा ही मूमकिन है। 

5. मूल्‍य स्‍तर में परिवर्तन 

बढ़ते हुए मूल्‍य स्‍तर के इस युग में सम्‍पत्तियों की प्रतिस्‍थापन लागत उनकी मूल लागत से बहुत अधिक हो गई है। अत: इन सम्‍पत्तियों में विनियोजित धन की सुरक्षा के साथ-साथ बढ़े हुए मूल्‍य पर प्रतिस्‍थापन भी जरूरी है। इस कार्य के लिए जिस अतिरिक्‍त धन की आवश्‍यकता होगी, व्यवस्‍था समूचित वित्तीय नियोजन द्वारा ही सम्‍भव हो सकती है।

6. व्‍यवसाय में पर्याप्‍त तरलता 

वित्तीय नियोजन के द्वारा व्‍यवसाय में पर्याप्‍त तरलता की स्थिति बनाये रखी जा सकती है। 

वित्तीय नियोजन की सीमाएं/दोष (vittiya niyojan ki simaye)

वित्तीय नियोजन व्‍यवसाय की सफलता में महत्‍वपूर्ण योगदान करता है। लेकिन वित्तीय नियोजन भविष्‍य से अधिक सम्‍बन्धित होने के कारण उसकी निम्‍न सीमायें होती है--

1. समन्‍वय का अभाव 

वित्तीय नियोजन में संस्‍था के वित्तीय और गैर वित्तीय अधिकारियों के बीच सही तालमेल का होना आवश्‍यक होता है। ऐसा नही होने पर नियेाजन असफल हो सकता है। 

2. समयानुसार परिवर्तन का अभाव

वित्तीय योजना का निर्माण कुछ मान्‍यताओं तथा पूर्वानुमानों के आधार पर होता है। अगर परिस्थितियों बदल जायें, तो इन मान्‍यताओं में आ जाता है जिससे वित्तीय योजना के परिवर्तन करना जरूरी हेाता है, नही तो नियोजन असफल सिद्ध होता है। 

3. पूर्वानुमान पर आधारित 

वित्तीय नियोजन भविष्‍य से सम्‍बन्धित होते है। भविष्‍य अनिश्चित होता है, इसलिए पूर्वानुमान के आधार पर होता है। अगर पूर्वानुमान भ्रामक हो, तो उसके प्रभाव भी बुरे पड़ते है।

यह भी पढ़ें; वित्तीय नियोजन के सिद्धांत

शायद यह जानकारी आपके काफी उपयोगी सिद्ध होंगी 

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