विज्ञान की प्रकृति
vigyan ki prakriti;मानव हमेशा से ही संसार के पीछे छिपे रहस्यों की खोज करता रहा हैं और कर रहा हैं। मानव की आकांक्षा और प्रकृति की कार्य दशाओं में हमेशा समन्वय की जरूरत होती हैं। हर एक विषय की अपनी पृथक-पृथक प्रकृति होती हैं और किन्ही भी दो विषयों की तुलना हम उसकी प्रकृति के आधार पर करते हैं। विज्ञान विषय की प्रकृति को हम निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं--
1. प्रत्यक्ष सत्य
जो वास्तव में संभव और सत्य होता हैं विज्ञान हमेशा उसे ही मानता हैं और उसी को अपनाता हैं। उदाहरण के लिये, पेड़ से फल के गिरने को विज्ञान प्राकृतिक घटना न मानकर उसे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा घटित होने वाली घटना मानता हैं।
यह भी पढ़े; विज्ञान का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं
2. विश्लेषण
विज्ञान सभी तथ्यों को स्वीकार करने से पहले उसके प्रत्यक्ष भाग का बारीकी से छोटे-छोटे भागों में अध्ययन कर उसे विश्लेषित करता हैं और यदि प्रत्येक भाग सही सिद्ध होता हैं, तब ही विज्ञान उसे अपनाता हैं।
3. परिकल्पना
वैज्ञानिक विचारधारा मे परिकल्पना का विशेष महत्व हैं। जब हम किन्ही दो तथ्यों को एक साथ घटित होते हुए देखते हैं, तो हम शीघ्र उसमें संबंध स्थापित करने की कोशिश करते हैं। इसके लिये आँकड़े एकत्रित करते हैं और उन आँकड़ों के आधार पर एक सामान्य कथन प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार परिकल्पनाएँ बनती हैं, जो परिवर्तनशील हैं। जब एक परिकल्पना गलत सिद्ध हो जाती है तो उसका स्थान दूसरी परिकल्पना ले लेती हैं।
4. पक्षपातरहित
वैज्ञानिक विचारधाराएँ हमेशा कसौटी पर खरी उतरती हैं, उनका भावनाओं से कोई लेना-देना नही होता। विज्ञान में पक्षापात का कोई स्थान नही होता। विज्ञान द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले सभी निर्णय हमेशा पक्षपातरहित होते हैं।
5. वस्तुनिष्ठता
विज्ञान वस्तुनिष्ठ मापकों पर निर्भर करता हैं। अप्रशिक्षित लोग अटकलों और अनुमानों पर विश्वास करते हैं, जबकि विज्ञान सही विधि द्वारा मूल्यांकन पर विश्वास करता हैं। अतः विज्ञान की प्रकृति उच्चकोटि के अच्छे मापकों पर निर्भर करती हैं।
6. परिमाणवाची
वैज्ञानिक हमेशा उन विधियों और प्रविधियों का प्रयोग करता हैं, जो श्रेष्ठतम होती हैं तथा जिनका पुनःपुनः एक ही प्रकार से उपयोग संभव हैं।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम विज्ञान की प्रकृति को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं--
1. वैज्ञानिक ज्ञान का आधार हमारी ज्ञानेन्द्रिय होती हैं क्योंकि इनके द्वारा प्राप्त ज्ञान पर हम आसानी से विश्वास कर सकते हैं।
2. विज्ञान के अन्तर्गत संख्याओं, स्थान तथा मापन आदि का अध्ययन किया जाता हैं।
3. विज्ञान के अंतर्गत वातावरण से संबंधित वस्तुओं का पारस्परिक अध्ययन किया जाता हैं।
4. वैज्ञानिक ज्ञान संपूर्ण संसार से संबंधित होता हैं, अतः इसमें प्रत्यक्ष प्रमाणों पर विश्वास किया जाता हैं।
5. विज्ञान एक ऐसा विषय हैं, जो हमारे जीवन के सूक्ष्म प्रत्ययों की व्याख्या करता हैं।
6. वैज्ञानिक ज्ञान भावात्मक न होकर स्वास्थ्य दृष्टिकोण वाला होता हैं।
7. विज्ञान वास्तविक समस्याओं का संभव समाधान प्रस्तुत करता हैं और इसके लिये निष्कर्षों का विश्लेषण एवं सामान्यीकरण करता हैं।
विज्ञान मानव को सत्य की खोज करने की प्रेरणा देता है तथा अन्धविश्वास एवं उससे उत्पन्न भय से बचने लिए प्रेरित करता हैं। विज्ञान संचित ज्ञान एवं ज्ञान के संचय की विधि है जो भविष्य के लिए अन्वेषण का मार्ग प्रशस्त करता हुआ नये ज्ञान की ओर अग्रसर होता रहता हैं। प्रायः विज्ञान का अर्थ "क्रमबद्ध ज्ञान" के संग्रह से लिया जाता है जो समूचे तौर पर ठीक नही हैं। इसका अभिप्राय यह है कि वैज्ञानिक ज्ञान सतत् शोध प्रक्रिया के परिणाम का संचित रूप हैं, जो नवीन शोध कार्यों के परिणामस्वरूप निरन्तर परिवर्तित होता रहता हैं। उदाहरणस्वरुप एक समय वैज्ञानिक परमाणु को अविभाज्य मानते थे, लेकिन बाद में यह पाया गया कि परमाणु भाज्य हैं तथा इलेक्ट्राॅन, प्रोट्रान, न्यूट्रानों से मिलकर बना है और परमाणु के इन भागों को स्वतंत्र रूप में प्राप्त भी किया जा सकता हैं। इस तरह समय के साथ-साथ वैज्ञानिक धारणा बदली, आज वैज्ञानिक प्रोट्राॅन और न्यूट्राॅन के अनेक आधारभूत कणों के बारे में जानते हैं। वैज्ञानिक उपलब्धियों में आकस्मिक घटनायें भी अपना योगदान करती हैं। उदाहरणार्थ-- जार्ज स्टीफेंसन चाय की केटली से भाप का इन्जन बनाने तथा पेड़ से सेब गिरता देखकर न्यूटन गुरुत्वाकर्षण जैसे महत्वपूर्ण नियम का प्रतिपादन करने में सफल हुए।
कोई टिप्पणी नहीं:
Write commentआपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।