विज्ञान का अर्थ (vigyan kya hai)
vigyan arth paribhasha visheshta;विज्ञान शब्द का जन्म लैटिन शब्द Scientia से हुआ जिसका अर्थ हैं विशेष ज्ञान। वस्तुतः घटनाओं के कारणों की खोज ने विज्ञान को जन्म दिया। विज्ञान किसी घटना विशेष के कारण तथा परिणाम के पारस्परिक संबंध के ज्ञान का व्यवस्थित या क्रमबद्ध अध्ययन हैं।
विज्ञान सत्य की खोज को कहते हैं। सत्य वह हैं जो ज्ञानेन्द्रियों से जाना जा सके, जो प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया जा सके, वही सत्य हैं।
विज्ञान की परिभाषा (vigyan ki paribhasha)
विभिन्न वैज्ञानिक एवं विद्वानों द्वारा विज्ञान को परिभाषित करने के प्रयास किये गये। अलग-अलग विद्वानों ने विज्ञान शब्द को परिभाषित करने के लिए अपने-अपने ढंस से अलग-अलग परिभाषा प्रस्तुत की और उसका अर्थ स्पष्ट करने का प्रयास किया। विज्ञान की कुछ मुख्य परिभाषाएं निम्नलिखित हैं--
महान वैज्ञानिक आईन्स्टीन के अनुसार," हमारी ज्ञान अनुभूतियों की अस्त-व्यस्त विभिन्नता को तर्कपूर्ण विचार प्रणाली बनाने के प्रयास को विज्ञान कहते हैं।"
डब्यू. सी. डेम्पियर के अनुसार," विज्ञान प्राकृतिक विषय का व्यवस्थित ज्ञान और धारणाओं के बीच संबंधों का विचारयुक्त अध्ययन हैं, जिनमें ये विषय व्यक्त होते हैं।"
कोनाण्ट के शब्दों में," विज्ञान सामान्य विचारों का अर्न्त संबंधित क्रम हैं और भावनाओं संबंधी रूपरेखा हैं, जो अनुसंधान और निरीक्षण के परिणामस्वरूप विकसित होती हैं।"
वुडबर्न एवं ओबोर्न के अनुसार," विज्ञान वह मानवीय व्यवहार हैं, जो हमारे प्राकृतिक वातावरण में स्थित परिस्थितियों अथवा घटित घटनाओं की अधिकतर शुद्धता से व्याख्या करने का प्रयास करती हैं।"
फिजपैट्रिक एवं फ्रेडरिक के अनुसार," विज्ञान ऐन्द्रिक प्रेक्षणों की संचित और अन्तहीन श्रृंखला हैं, इसकी परिणति अवधारणाओं एवं सिद्धांतों के सूत्रीकरण में होती हैं। भावी ऐन्द्रिक प्रेक्षणों के प्रकाश में ये अवधारणाएँ एवं सिद्धांत आशोधन के लिये प्रस्तुत होते हैं। विज्ञान ज्ञान समुदाय एवं ज्ञान को अर्जित करने और शोधन की प्रक्रिया दोनों ही हैं।"
एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के अनुसार," विज्ञान नैसर्गिक घटनाओं और उनके बीच संबंधों का सुव्यवस्थित ज्ञान हैं।"
उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर विज्ञान की आधुनिक परिभाषा इस प्रकार हैं, वैज्ञानिक नैसर्गिक घटनाओं तथा उनके संबंधों के विषय में परीक्षण एवं पर्यावरण से प्राप्त क्रमबद्ध ज्ञान का नाम विज्ञान है।
कार्ल पियर्सन ने विज्ञान में निम्नलिखित बातों का समावेश किया हैं--
1. घटना को अनुभव करना।
2. घटना का स्पष्टीकरण।
3. घटना से संबंधित तथ्यों का विश्लेषण तथा उपकल्पना बनाना।
4. निरीक्षण तथा यथार्थ तथ्यों का चित्रण।
6. कार्यकारण संबंध स्थापित करना।
7. सार्वभौमिक एवं प्रामाणिक निष्कर्ष निकालना।
8. भविष्यवाणी करना।
विज्ञान की विशेषताएं या लक्षण (vigyan ki visheshta)
विज्ञान में निम्नलिखित गुणों या विशेषताओं को होना चाहिए--
1. सामान्यीकरण
विज्ञान के द्वारा जो भी परिणाम अथवा निष्कर्ष नियमों तथा सिद्धांतों के रूप में निकाले जाते हैं, उनमें सामान्यीकरण की क्षमता पाई जाती हैं अर्थात् उनके आधार पर उसी प्रकार की सभी घटनाओं की उचित रूप में व्याख्या की जा सकती हैं। ये नियम तथा सिद्धांत सभी दृष्टि से पूर्ण सामान्यीकृत और सार्वभौमिक होते हैं।
2. प्रमाणिकता
विज्ञान का एक अन्य प्रमुख लक्षण यह है कि विज्ञान को प्रमाणों की आवश्यकता पड़ती है और इन्हीं प्रमाणों के आधार पर विज्ञान निष्कर्ष निकालता है। यूरोप में लम्बे समय तक यह माना जाता रहा है कि सूर्य पृथ्वी के चारों ओर घूमता है जबकि 16वीं शताब्दी के बाद प्रसिद्ध ज्योतिषी कोपरनिकस ने इसमें सन्देह किया और उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर यह घोषित किया कि पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ घूमती है। इस प्रकार विज्ञान प्रमाणों के आधार न केवल नवीन सिद्धान्तों की रचना करता है वरन् वह पुराने सिद्धान्तों को संशोधित भी करता है एवं कई बार उन्हें अस्वीकृत करता है।
3. वस्तुनिष्ठता
वस्तुनिष्ठता प्रणाम की निष्पक्षता से परीक्षण करने की इच्छा एवं योग्यता हैं। विज्ञान के द्वारा किया गया अध्ययन पूरी तरह निष्पक्ष, पूर्वग्रह मुक्त एवं वस्तुनिष्ठ होना चाहिए अन्यथा लोग उस पर विश्वास नहीं करेंगे।
4. कारणता
विज्ञान विभिन्न कारकों के परस्पर कारण प्रभावों का अध्ययन करता है तथा परिणामों के कारणों की खोज करता है। विज्ञान घटना में विद्यमान कारकों तथा तथ्यों के परस्पर कार्य-कारण सम्बन्धों का अध्ययन वर्णन और व्याख्या करता है। इस प्रकार से कारणता की खोज करना विज्ञान की एक प्रमुख विशेषता है।
5. भविष्यवाणी की क्षमता
विज्ञान से प्राप्त परिणामों अथवा निष्कर्षों के आधार पर भविष्यवाणी की जा सकती हैं। वैज्ञानिक तथ्यों, नियमों एवं सिद्धांतों आदि की मदद से किन्हीं दी हुई परिस्थितियों में घटित घटना का स्वरूप क्या होगा, कोई पदार्थ कैसी प्रतिक्रिया करेगा आदि बातों से संबंधित भविष्यवाणी कर सकना संभव होता हैं।
6. आनुभाविकता
विज्ञान जो कुछ जानकारी, निष्कर्ष तथा ज्ञान प्रस्तुत करता है वह प्रत्यक्ष प्रमाणों और परीक्षणों पर आधारित होता है। विज्ञान भौतिक जगत का व्यवस्थित और आनुभविक ज्ञान है जिसे अवलोकन और परीक्षण के द्वारा प्राप्त किया जाता हैं। यह अनुमान, अटकल, कल्पना अथवा दर्शन पर आधारित नहीं होता। आनुभविकता विज्ञान की प्रमुख विशेषता है।
7. सार्वभौमिकता
विभिन्न अनुसन्धानकर्ताओं का कहना है कि विज्ञान की उपर्युक्त विशेषताएँ-- कार्य-कारण सम्बन्ध और आनुभविकता-सार्वभौमिक विशेषताएँ है। अर्थात् परीक्षण तथा अनुभव के द्वारा विज्ञान द्वारा प्रस्तुत घटना से सम्बन्धित कार्य-कारण सम्बन्ध की विश्व में कहीं पर भी जाँच करने पर परिणाम बदलते नहीं हैं।
8. तार्किकता
सभी अध्ययनों की तरह विज्ञान भी तार्किक होता है। विज्ञान घटना का तर्कपूर्ण प्रस्तुतीकरण होता है। विभिन्न तथ्यों के परस्पर सम्बन्ध को वह तार्किक रूप से सिद्ध करके वर्णन और व्याख्या करता है।
9. सत्यनिष्ठता
विज्ञान के अध्ययन द्वारा प्राप्त परिणामों को यदि अनेक बार भी परीक्षण किया जाएं तो प्रत्येक बार वहीं परिणाम आएगा जो विज्ञान की सत्यनिष्ठता को दर्शाता हैं।
10. निश्चयात्मकता
विज्ञान में किए गए अध्ययन में निश्चितता का गुण पाया जाता हैं क्योंकि विश्वसनीयता तथा वैधता पूरी तरह असंद्गिध होती हैं।
11. संशोधन एवं परिवर्तनशीलता
विज्ञान से प्राप्त परिणाम जड़ और स्थाई नहीं होते हैं। विज्ञान ने जो निष्कर्ष निकाले हैं, उनकी पुष्टि निरीक्षण, परीक्षण तथा प्रयोगों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर करनी होती हैं। यदि भविष्य में किए गए वैज्ञानिक अध्ययन द्वारा पुराने परिणामों की सार्थकता पर आँच आ जाएं तो उन्हें आवश्यकतानुसार संशोधित एवं परिर्तित किया जाता हैं और नए नियम का प्रतिपादन हो जाता हैं जो विज्ञान की परिवर्तनशीलता एवं संशोधन का प्रमुख गुण हैं।
12. अवलोकन
एनसाइक्लोपिडिया ब्रिटानिका में विज्ञान की विशेषता पर प्रकाश डालते हुए लिखा है कि विज्ञान में व्यवस्थित और पक्षपातरहित अवलोकन किया जाता है। प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा अवलोकित सामग्री की जाँच की जाती है जो आगे चलकर वर्गीकरण का रूप गहण कर लेती है। वर्गीकरण की सहायता से सामान्यीकरण के नियम बनाये जाते हैं। इन नियमों को आगे अवलोकनों में लागू किया जाता है, नवीन अवलोकनों एवं मान्य नियमों में तालमेल नहीं होने पर नियमों में संशोधन किए जाते हैं और ये नवीन संशोधन आगे और अवलोकन करने की दिशा और प्रेरणा प्रदान करते हैं। इस प्रकार विज्ञान में यह प्रक्रिया अनवरत चलती रहती है। सामान्यतया यही विज्ञान की पद्धति का निर्माण करती है। विज्ञान की इसी विशेषता को गुडे एवं हॉट ने निम्नलिखित शब्दों में व्यक्त किया है," विज्ञान अवलोकन से प्रारम्भ होता है तथा उसे अन्तिम वैधता के लिए आवश्यक रूप से अवलोकन पर ही लौटकर आना पड़ता है।"
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