5/29/2022

जीव विज्ञान क्या हैं? जीव विज्ञान की शाखाएँ

By:   Last Updated: in: ,

जीव विज्ञान का अर्थ (jiv vigyan kya hai)

जीव-विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जो कि जीवित (पौधे तथा जन्तुओं) के अध्ययन से संबंधित हैं। यह उस ज्ञान की शाखा है जो समाज की खुशहाली तथा विकास को प्रभावित करती हैं। इसका संबंध कृषि (Agriculture); औषिधि (Medicine); मछली पालन (Fisheries); पौधे तथा जन्तुओं के विकास (Development of plants and animal); प्रदूषण (Pollution) आदि से है। इन सभी के अध्ययन में जिन भिन्न-भिन्न विधियों का प्रयोग किया जाता है उनका जीव-विज्ञान से घनिष्ठ संबंध हैं। उपर्युक्त के अलावा जीव-विज्ञान का संबंध खाद्य समस्या (Food problem); जन स्वास्थ्य (health of people); हानिकारक कीटाणुओं की रोकथाम (Prevention of harmful insects) आदि से भी हैं। 

आधुनिक जीव-विज्ञान का क्षेत्र बहुत विस्तृत है तथा इसके अन्तर्गत अणु जीव-विज्ञान (Molecular Biology), वाइरोलोजी (Virology), जीव-भौतिकी (Bio-physies), जीव-रसायन विज्ञान (Bio-chemistry), भ्रणु विज्ञान (Embryolog), शरीर क्रिया विज्ञान (Physiology), आनुवंशिकी (Genetics), वायुमण्डलीय जीव-विज्ञान (Space Biology) सभी आते हैं। इस विषय का योगदान मानव मात्र की शांति तथा खुशहाली के रूप में होता हैं। 

जीव-विज्ञान का अध्ययन क्यों हैं? 

जीव-विज्ञान के अध्ययन के निम्नलिखित कारण हैं-- 

1. जीवित को समझना तथा उनमें आपस के संबंधों का अध्ययन करना। 

2. जीव-विज्ञान की भिन्न-भिन्न विधियों के प्रयोग हेतु प्रशिक्षण। 

3. जीव-विज्ञान संबंधी घटनाओं के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास। 

जीव विज्ञान की शाखाएँ (jeev vigyan ki shakhayen)

ज्ञान के आधार पर जीव-विज्ञान के अध्ययन को निम्नलिखित तीन बिन्दुओं के अन्तर्गत विभाजित किया गया हैं-- 

(अ) जन्तु विज्ञान 

जन्तु विज्ञान के अन्तर्गत जन्तुओं की जाति-प्रजातियों एवं कार्यिकी का अध्ययन किया जाता हैं। 

(ब) वनस्पति विज्ञान 

वनस्पति विज्ञान के अंतर्गत पेड़-पौधे, वनस्पतियों आदि का अध्ययन किया जाता हैं। 

(स) सूक्ष्म जीव विज्ञान 

सूक्ष्म जीव विज्ञान के अंतर्गत अति सूक्ष्म जीवों का अध्ययन किया जाता हैं। 

जन्तु विज्ञान की प्रमुख शाखाएँ 

जन्तु विज्ञान की निम्नलिखित शाखाएं हैं--

1. पारिस्थितिकी

सजीव तथा निर्जीव वातावरण से जीवों के विविध संबंधों का अध्ययन। 

2. आकारिकी 

आकारिकी एवं रचना का अध्ययन निम्नलिखित रूप में किया जा सकता हैं-- 

(अ) बाह्रा आकारिकी 

आकृति, माप, रंग एवं बाह्रा लक्षणों का अध्ययन। 

(ब) शारीरिकी 

शरीर एवं विभिन्न अंगों के विच्छेदन (Dissection) द्वारा प्रदर्शित रचना का अध्ययन। 

(स) सूक्ष्म शारीरिकी 

सूक्ष्मदर्शियों द्वारा शरीर की सूक्ष्म संरचना का अध्ययन। 

3. भ्रौणिकी 

भ्रूणीय परिवर्धन का अध्ययन। 

4. वर्गिकी 

जीव जातियों का नामकरण तथा वर्गीकरण का अध्ययन। 

5. कार्यिकी 

शरीर के विभिन्न भागों के कार्य तथा कार्य विधियों का अध्ययन। 

6. उद् विकास 

जीव जातियों के उद् भव तथा विभेदीकरण के इतिहास का अध्ययन। 

7. आनुवंशिकी 

जीवों के आनुवांशिक लक्षण तथा इनकी वंशागति का अध्ययन। 

8. जीव रसायन 

जीव शरीर की रासायनी। 

9. जीव भौतिकी विज्ञान 

भौतिक सिद्धांतों के सन्दर्भ में जैव-क्रियायें। 

10. प्रतिरक्षण विज्ञान 

संक्रमण के विरूद्ध जन्तु शरीर के प्रतिरोध का अध्ययन। 

11. प्रोटोजोआ विज्ञान 

प्रोटोजोआ का अध्ययन। 

12. हेलीमैन्थोलोजी 

परजीवी कृमियों का अध्ययन। 

13. कीटशास्त्र 

कीट पतंगों का अध्ययन। 

14. मत्स्य विज्ञान 

मछलियों तथा मछली पालन का अध्ययन। 

15. सरीसृप विज्ञान 

उभयचरों तथा सरीसृपों का अध्ययन। 

16. पक्षी विज्ञान 

पक्षियों का अध्ययन। 

17. स्तनी विज्ञान 

स्तनधारियों का अध्ययन। 

18. मानव शास्त्र 

मानव जाति के सांस्कृतिक विकास का अध्ययन। 

19. कपाल विज्ञान 

करोटी का अध्ययन। 

20. तन्त्रिका विज्ञान 

तन्त्रिका तन्त्र का अध्ययन। 

21. पेशी विज्ञान 

पेशियों का अध्ययन। 

22. रूधिर विज्ञान 

रूधिर एवं रूधिर रोगों का अध्ययन। 

23. अस्थि विज्ञान 

कंकाल तन्त्र का अध्ययन। 

24. अंग विज्ञान 

अंगों का अध्ययन। 

25. दन्त विज्ञान 

दाँतों का अध्ययन। 

26. केन्द्रक विज्ञान 

केन्द्रक का अध्ययन। 

27. अन्तःस्त्राव विज्ञान 

अन्त:स्त्रावी तंत्र का अध्ययन। 

28. आचार शास्त्र 

जन्तुओं के व्यवहार का अध्ययन। 

29. प्राणि भूगोल 

पृथ्वी पर जन्तुओं के वितरण का अध्ययन। 

30. सुजनन विज्ञान या सुजननिकी 

आनुवंशिकी के सिद्धांतों द्वारा मानव जाति की उन्नति का अध्ययन।

31. विकिकरण जैविकी 

जीवों पर विकिरण के प्रभाव का अध्ययन। 

32. परजीवी विज्ञान 

परजीवी जीवों का अध्ययन। 

33. विकृति विज्ञान या रोग विज्ञान 

रोगों की प्रकृति, लक्षणों एवं कारणों का अध्ययन। 

34. पोषण विज्ञान 

जन्तुओं की पोषण विधियों का अध्ययन। 

35. विष विज्ञान 

जन्तुओं के विषैले पदार्थों और शरीर पर इनके प्रभावों का अध्ययन। 

36. वायु जैविकी 

उड़ने वाले जन्तुओं का अध्ययन। 

37. कृमि विज्ञान 

चपटे कृमियों का अध्ययन। 

38. कीट विज्ञान 

कीट-पतंगों का अध्ययन। 

39. पक्षी विज्ञान 

पक्षियों का अध्ययन। 

40. सीरम विज्ञान 

रूधिर सीरम का अध्ययन। 

41. प्रतिरक्षण विज्ञान

संक्रमण के विरूद्ध जन्तु शरीर के प्रतिरोध का अध्ययन।

वनस्पति विज्ञान की प्रमुख शाखाएँ 

वनस्पति विज्ञान की मुख्य शाखाएं निम्नलिखित हैं-- 

1. वर्गिकी 

पौधों का अभिनिर्धारण, नामकरण एवं वर्गीकरण का अध्ययन।

2. बाह्रा आकारिकी 

इसके अन्तर्गत पौधों की बाह्रा रचना का अध्ययन करते हैं। 

3. शारीरिकी 

पौधों की आन्तरिक संरचना अध्ययन शारिरिकी कहलाता हैं। 

4. पादप शरीर क्रिया विज्ञान 

पौधों की सभी जैविक क्रियाओं का अध्ययन। 

5. कोशिका विज्ञान 

इसके अन्तर्गत कोशिका, उसकी आन्तरिक संरचना, कार्य एवं गुणन का का अध्ययन किया जाता हैं। 

6. आनुवंशिकी 

आनुवांशिक तथा विभिन्नता का अध्ययन। 

7. पारिस्थितिकी 

जीवधारी एवं उसके वातावरण के बीच पारस्परिक संबंधों का अध्ययन। 

8. आकारिकी 

पौधों एवं उनके विभिन्न अंगों के बाह्रा आकार तथा रचना का अध्ययन। 

9. भ्रूण विज्ञान 

पौधों की जनन क्रिया में युग्मकों का बनना एवं संलयन, युग्मनज का निर्माण और युग्मनज से नवोदभिद का बनना, इत्यादि प्रक्रियाओं का अध्ययन।

10. पादप रोग विज्ञान 

पौधों के रोग के लक्षण, रोग कारक जीव एवं रोगों के नियंत्रण का अध्ययन। 

11. पुरावनस्पति विज्ञान 

पौधों के जीवाश्मों का बनना, उनकी बाह्रा एवं आन्तरिक संरचना का अध्ययन। 

12. वनस्पति भूगोल 

पृथ्वी पर पौधों का वितरण एवं संबंधित कारणों का अध्ययन। 

13. आर्थिक वनस्पति 

पौधों से प्राप्त विभिन्न उपयोगी वस्तुयें तथा पदार्थ एवं इस तरह के पौधों का वितरण, उन्हें उगाने की क्रियाओं आदि का अध्ययन। 

14. भेषजगुण विज्ञान 

औषधियों के संबंध में अध्ययन एवं औषधियाँ बनाने की क्रियाओं का अध्ययन। 

15. आण्विक जीव विज्ञान 

इस शाखा के अन्तर्गत जैव रसायन का आण्विक आधार पर अध्ययन किया जाता हैं। 

16. परागाणु विज्ञान 

इस शाखा के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के परागकणों का अध्ययन किया जाता हैं।

17. जैव प्रौद्योगिकी 

इसके अन्तर्गत जीवितों का तथा उनके उत्पादों (Products) का औद्योगिक प्रक्रियाओं (Industrial processes) से संबंधित अध्ययन किया जाता हैं। 

18. जैवीय ऊर्जा विज्ञान 

इसके अन्तर्गत जीवों में ऊर्जा प्रवाह तथा ऊर्जा रूपांतरण का अध्ययन किया जाता हैं। 

19. मानव जाति वनस्पति विज्ञान 

इसके अन्तर्गत प्रारम्भिक मानव तथा पौधों के संबंधों का अध्ययन करते हैं। 

20. खाद्य प्रौद्योगिकी 

इसके अन्तर्गत भोज्य पदार्थों का वैज्ञानिक विधि से संरक्षण, भण्डारण तथा स्थानांतरण किया जाता हैं। 

21. जीन पारिस्थितिकी 

इसके अन्तर्गत किसी आबादी या समष्टि (Population) के जीनी संगठन (Genetic composition) का वास स्थान या वातावरण के संबंध में अध्ययन किया जाता हैं।

जीव विज्ञान कहाँ-कहाँ 

जीव विज्ञान का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है, क्योंकि जहाँ जीवन है, वहाँ इसका अध्ययन है। संसार में सूक्ष्म जीवो से लेकर विशालकाय जीव हैं। ये जीव गहरे समुद्र, गर्म पानी की झील, पहाड़, पत्थरों, चट्टानों, मिट्टी, हवा हर जगह व्याप्त है। संसार में लगभग 8.7 मिलियन जातियाँ अनुमानित हैं। इतनी अधिक जीवों की संख्या तथा उनमें उपलब्ध विविधता के कारण इनके अध्ययन की सुविधा के लिए इन्हें शाखाओं में बांटा गया है। जन्तुओं और पौधों के विषय में उनके प्राकृतिक लक्षणों से संबंधित ज्ञान मौलिक विज्ञान कहलाता है तथा इस ज्ञान को मानव जाति के विकास कल्याणकारी तथा दैनिक जीवन में उपयोग हेतु बनाने के लिए व्यवहारिक विज्ञान कहलाता है। जीवो का संबंध अजैविक कारकों से भी होता है, अतः उनके पर्यावरणीय संबंधों का अध्ययन किया जाता है।

यह भी पढ़े; जीव विज्ञान का महत्व, उपयोगिता

कोई टिप्पणी नहीं:
Write comment

आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।