5/31/2022

जीव विज्ञान का महत्व, उपयोगिता

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प्रश्न; पाठ्यक्रम में जीव विज्ञान के महत्व का वर्णन कीजिए।

अथवा" जीव विज्ञान के महत्व का विवेचन कीजिए। 

अथवा" जीव विज्ञान की उपयोगिता बताइए। 

अथवा" जीव विज्ञान के अध्ययन की उपयोगिता बताइये। 

अथवा" जीव विज्ञान का व्यावहारिक महत्व बताइए। 

अथवा" जीव विज्ञान का बौद्धिक तथा सांस्कृतिक महत्व स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर-- 

जीव विज्ञान का महत्व 

jeev vigyan ki upyogita;जीव विज्ञान विज्ञान की प्रमुख शाखा हैं। विज्ञान के महत्व में जीव विज्ञान का महत्व भी अन्तर्भवित हैं।

आज विज्ञान ने पाठ्यक्रम में उपयुक्त व आदरपूर्ण गौरवमयी स्थान अर्जित कर लिया हैं। हमारे देश के अधिकांश राज्यों के माध्यमिक विद्यालयों में यह आवश्यक विषय हैं। कुछ प्रदेश की सरकारों ने तो जीव विज्ञान को हाईस्कूल कक्षाओं में अनिवार्य विषय के रूप में मान्यता दी है। 

जीव विज्ञान को क्यों पाठ्यक्रम में अनिवार्य कर दिया जाये। इस संदर्भ मे विज्ञान का मूल्‍यांकन करने के लिये, किसी विशिष्ट दृष्टिकोण से विवेचना की आवश्यकता नहीं हैं। अन्य विषयों के समान जीव विज्ञान भी छात्रों को एक बुद्धिमान नागरिक के रूप में विकसित करने में सहायता करता हैं। इसके द्वारा भी वह सब विकास संभव हैं, जो किसी भी अन्य विषय द्वारा हो सकते हैं। माईकल फैराडे ने इसके महत्व को प्रोसीडिंग्स ऑफ दी राॅयल इन्स्टीट्यूट लन्दन 1858 में निम्न शब्दों में स्वीकार किया था," ज्ञान के एक अंग के रूप में स्वमेव विशिष्ट स्थान प्राप्त करने के विज्ञान के हक को अब लोग मान्यता देने लगे हैं। अब विज्ञान में विश्वविद्यालयीन उपाधियों की समीचीनता की विचाराधीन हैं, और बहुत से लोगों का इसके बारें में बड़ा ऊँचा विचार हैं। इनके विचार से साहित्य से अलग इसी के लिये अर्थात् मस्तिष्क को सभी शक्तियों को क्रियान्वित और विकसित करने योग्य मानव बुद्धि के लिये समुचित साधन के रूप में इसका अध्ययन किया जा सकता हैं।" 

फिर भी किसी भी विषय को पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय के रूप में सम्मिनित करने से पहले उसके बौद्धिक, सांस्कृतिक, नैतिक, सौन्दर्यानुभूति एवं उपयोगिता के दृष्टिकोण से मूल्‍यांकन करना उचित हैं। जीव विज्ञान का भी उपरोक्त दृष्टिकोण से विश्लेषण करना समीचीन रहेगा। 

जीव विज्ञान के महत्व को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्‍तर्गत स्पष्ट किया जा सकता हैं-- 

1. व्यावहारिक जीवन में जीव विज्ञान की उपयोगिता 

व्यावहारिक जीवन में जीव विज्ञान की उपयोगिता निम्न विवरण से पूर्णतः स्पष्ट हो जायेगी-- 

(अ) जीव विज्ञान तथा भोजन 

भोजन के बिना कोई भी जीवधारी जीवित नहीं रह सकता। अच्छे स्वास्थ्य तथा विभिन्न जैव प्रक्रियाओं के संचालन हेतु उपयुक्त आहार की जरूरत होती हैं। जीव विज्ञान के अध्ययन द्वारा ही सन्तुलित आहार की जानकारी होती है। 

(ब) जीव विज्ञान तथा स्वास्थ्य 

जीव विज्ञान के अध्ययन से हमें अपने शरीर की संरचना तथा अंगों की कार्यविधि का ज्ञान प्राप्‍त होता हैं। इसके अध्ययन से हमें रोग के कारणों तथा उसके निदान की जानकारी होती हैं। 

(स) जीव विज्ञान तथा प्राकृतिक संपत्ति

जन्तु एवं पौधे दोनों ही प्राकृतिक संपत्ति हैं। किसी भी देश की आर्थिक व्यवस्था का इनसे सीधा संबंध है। इसलिए इनकी रक्षा करना हमारा परम कर्त्तव्य हैं। 

(द) जीव विज्ञान तथा कृषि 

जीव विज्ञान के अध्ययन से हमें कृषि में काम आने वाले जन्तुओं की जानकारी होती है। ज्यादा उत्पादन हेतु नई विधियों, उत्तम बीज, खेती के नये तरीकों आदि की जानकारी होती हैं। 

(ई) जीव विज्ञान तथा वस्त्र 

जीव विज्ञान के अध्ययन से हमें ऐसे पौधों तथा जन्तुओं की जानकारी होती हैं जिनसे ऊन, रेशम, कपास तथा जूट प्राप्त होते हैं। 

(फ) जीव विज्ञान तथा उद्योग 

जीव विज्ञान के अध्ययन से हमें चमड़ा, शहद, रेशम, स्पंज, सीप, मोती इत्यादि प्राप्त होते हैं, इनसे उद्योग स्थापित करने में मदद मिलती हैं। 

(ज) जीव विज्ञान तथा आजीविका

कृषि विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, वन विज्ञान, पशु पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, रेशम कीट पालन आदि की शिक्षा जीव विज्ञान की प्रारंभिक शिक्षा पर ही आधारित हैं। उपरोक्त में से किसी को भी जीविका का साधन बनाया जा सकता हैं।

2. जीव विज्ञान सामाजिक महत्व  

विज्ञान शिक्षा का सामाजिक महत्व है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला नहीं रह सकता। समाज में रहकर वह दूसरे व्यक्तियों के साथ अंतःक्रिया करता है, समाज के नियमों का पालन करता है और समाज की उन्नति में अपना योगदान करता है। विज्ञान व्यक्ति को इस दिशा में उपयोगी ज्ञान प्रदान करता है। जैसे शरीर को स्वस्थ्य कैसे रखें? पर्यावरण की स्वच्छता क्यों और कैसे? रोगों से बचाव के लिए क्या उपाय करने चाहिए? आदि सभी बातों की जानकारी विज्ञान की शिक्षा द्वारा ही संभव है। यदि हम सभ्यता के विकास के क्रम का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तो हमें यह ज्ञात होता हैं कि जब से मुनष्य के मस्तिष्क में विज्ञान का अंकुर फूटा तब से उसमें सामाजिक भावना का जन्म हुआ। आदि मानव द्वारा घटनावश की गई आग की खोज पहली वैज्ञानकि खोज कही जा सकती है। इसके पश्चात औजारों के निर्माण खेती की खोज और काम के बंटवारे की भावना ने सामाजिक जीवन के विकास पर बल दिया। आधुनिक काल में हुई वैज्ञानिक उन्नति ने दूरियों को कम किया है और हम केवल भारत को ही नहीं पूरे विश्व को एक समाज के रूप में देखते हैं। विज्ञान शिक्षा व्यक्ति को विज्ञान के नई अविष्कारों एवं नई तकनीकों से संबंधित सैद्धान्तिक जानकारी प्रदान करती है और व्यवहारिक रूप में उसे प्रयोग करना भी सिखाती है। विज्ञान शिक्षा व्यक्तियों को विश्व के किसी भी भाग में होने वाले घटनाक्रमों से परिचित करवाती है और उन्हें स्वस्थ सामाजिक जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करती है। विज्ञान शिक्षा व्यक्ति एवं समाज की उन्नति के लिए भी आवश्यक है। 

विज्ञान शिक्षण के क्षेत्र में बहुत लम्बी अवधि तक समन्वित दष्टिकोण को मान्यता मिलती रही है। इसीलिए विज्ञान विषय को साधारण विज्ञान के रूप में पढ़ाया जाता रहा है। विज्ञान के विभिन्न उपविषयों से सामग्री लेकर साधारण विज्ञान विषय का संगठन किया जाता रहा है। परन्तु पिछले कुछ दशकों में हुई वैज्ञानिक प्रगति और ज्ञान के विस्तत भण्डार की खोज से इस बात को बल मिला है कि समन्वित दष्टिकोण के स्थान पर विज्ञान विषय की शाखाओं का विशिष्ट ज्ञान करवाया जाए। इसी आधार पर आज विद्यालयों में विज्ञान से सम्बन्धित उपविषयों को अलग-अलग बाँटकर पढ़ाने के प्रयत्न किए जा रहे हैं। उच्च माध्यमिक स्तर पर भौतिक विज्ञान एवं जीव विज्ञान को अनिवार्य विषय के रूप में एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर पर वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है। इस प्रकार पाठ्यक्रम में जीव विज्ञान को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

3. जीव विज्ञान का सांस्कृतिक महत्व 

जीव विज्ञान का हमारे जीवन में सांस्कृतिक महत्व भी हैं। किसी देश के रहन-सहन, खान-पान और आचार-विचार पर विज्ञान का प्रभाव पड़े बिना नहीं रह सकता हैं। गत वर्षों में भारत की संस्कृति एवं जीवन पद्धित में जो परिवर्तन देखने को हमे मिलते हैं उनके मूल में विज्ञान की बढ़ती हुई शिक्षा ही हैं। जीव विज्ञान ने मानव के अनेक अन्धविश्वाओं को समूल नष्ट कर दिया हैं-- जैसे पहले चेचक को दैवीय प्रकोप माना जाता था। सांस्कृतिक के निर्माण, उसमें अभिवृद्धि सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा एवं लुप्त सामाजिक वैभव की खोज में विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान हैं क्योंकि विज्ञान हमारे चिन्तन को प्रभावित करता हैं परिणामतः हमारा जीवन दर्शन प्रभावित होता हैं। उसका प्रत्यक्ष प्रभाव सांस्कृतिक निर्माण पर पड़ता हैं। उसी के फलस्वरूप समाज के रीति-रिवाज एवं रूढ़ियाँ विज्ञान की नवीन खोजों से प्रभावित होती रही हैं। कल तक जिन अज्ञात रहस्यों से मानव भयभीत होता था, जिन प्राकृतिक शक्तियों एवं विपदाओं पर नियंत्रण न कर पाने के फलस्वरूप भयभीत होकर जिन्हें देवी-देवता मानकर प्रसन्न करने की चेष्टा में रत था, उन्हीं के रहस्यों का विज्ञान द्वारा ज्ञान प्राप्‍त कर उसके चिन्तन में परिवर्तन एवं परिलक्षित हो रहा है। यह विज्ञान की ही देन हैं। जीव विज्ञान ने रूढ़िवादी परम्पराओं को जो देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न करती थी नष्ट किया हैं। जीव विज्ञान की शिक्षा ने आधुनिक संस्कृति और सभ्यता को विकसित किया हैं और पुरानी निरर्थक परम्पराओं को मानव से अलग किया हैं। जीव विज्ञान के ज्ञान ने हमारे अंदर नयी चेतना और तथ्यों को समझने के लिये नया दृष्टिकोण पैदा किया हैं। अब हम प्रत्येक वस्तु के बारें में वैज्ञानिक दृष्टि से देखते और सोचते हैं। 

4. जीव विज्ञान का बौद्धिक महत्व 

विज्ञान के द्वारा सोचने तथा तर्क करने की विधियों का ज्ञान होता हैं। बचपन से बड़े होने तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण चेतनता प्रदान करता रहता हैं तथा हम अपनी सामान्य बुद्धि का विवेकसंगत उपयोग करते हैं। जीव विज्ञान के द्वारा हम अपनी आन्तरिक तथा बाह्य स्थितियों का भली-भाँति निरीक्षण करते हैं एवं निष्पक्ष भाव से युक्ति और तर्क से ठीक-ठीक निष्कर्ष निकालते हैं। इससे हमारे विचार अनुशासित होते हैं तथा हमारी बुद्धि का सदुपयोग होता हैं।

5. जीव विज्ञान का नैतिक महत्व 

सत्यं शिवं सुन्दरम हमारे जीवन में विशेष सुखद अनुभूति को जन्म देते हैं। वैज्ञानिक तटस्थ भाव से सत्य का समर्थक होता हैं। यद्यपि दैनिक व्यवहार में लोग सत्य के उपासक बहुत कम होते हैं; लेकिन वैज्ञानिक का काम सत्य के बिना नहीं चल पाता हैं। निष्ठापूर्वक अपने प्रयोगों को करने, निरीक्षण में सावधानी बरतने, परिणाम की सत्यता का निश्चय करने में ही वैज्ञानिक अपने कर्तव्य की सफलता समझता हैं। वकीलों, व्यापारियों तथा तस्करों के लिए असत्य और धोखाधड़ी एक सामान्य बात हैं, लेकिन वैज्ञानिक इस बुराई की तरफ देखता भी नही हैं, उसके कर्त्तव्य की चरम परिणति तो अन्वेषण की निर्लिप्त सत्यता ही हैं। इस दृष्टि से जीव विज्ञान का नैतिक महत्व भी हैं।

6. सौन्दर्यात्मक महत्व 

जीव विज्ञान छात्रों में सौन्दर्यनुभूति का विकास भी करता हैं। पहले यह धारणा सौन्दर्य के प्रत्यय का सही ज्ञान न होने के कारण नहीं थी। वास्तव में सौन्दर्यानुभूति एक बहुत ही व्यक्तिगत विषय हैं। जो वास्तव में वस्तुनिष्ठ न होकर व्यक्तिनिष्ठ होता हैं। इसी कारण यह अनुभूति व्यक्ति-व्यक्ति में भिन्न हो सकी हैं। यह मुख्य रूप से व्यक्ति की भावना से संबंधित होती हैं जिसके आधार पर वह किसी चीज में निहित विभिन्न तत्वों के आपसी तालमेल व सन्तुलन की प्रशंसा करता हैं। इस दृष्टिकोण से देखा जाये तो विज्ञान पर आरोपित यह गलत धारणा स्वयं ही समाप्त हो जाती हैं। प्रकृति में निहित अनेक रहस्यों को जब वैज्ञानिक देखता है तो उनमें निहित तालमेल और सन्तुलन को देखकर उसे जो अनुभूति होती है वह किसी कलाकर की उस अनुभूति से कम नहीं होती हैं जो उसे किसी उच्च कलाकृति को देखकर होती है और जैसा कि माना जाता हैं कि 'सत्य ही सौन्दर्य हैं और सौन्दर्य ही सत्य हैं।' तो विज्ञान सौन्दर्य के सबसे निकट आ जाता हैं। प्राकृतिक सौंदर्य के दो प्रमुख तत्व जन्तु व पादपों की रक्षा के लिये किये गये प्रयास, किसी भी जीव वैज्ञानिक की सौन्दर्यानुभूति की निर्विवाद साथी हैं। 

7. मनोवैज्ञानिक महत्व 

जीव विज्ञान शिक्षण का एक सुदृढ़ मनोवैज्ञानिक आधार हैं। विज्ञान, क्योंकि क्रियाओं पर अधिक बल देता हैं, इस कारण वैज्ञानिक अधिगम अधिक स्थायी होती हैं। वैज्ञानिक सिद्धांतों के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग से भी अधिगम स्थानांतरण अधिक होता हैं। करके सीखने की विधि प्रेरणा की एक सफलतम विधि हैं। आविष्कारों के माध्यम से आत्म-प्रकाश की मूल प्रवृत्ति को प्रकाशन का अवसर मिलता हैं। 

8. अनुशासनिक महत्व 

जीव विज्ञान का अनुशासनिक महत्व भी अत्यधिक हैं क्योंकि जीव विज्ञान निरीक्षण एवं तर्क में छात्रों को प्रशिक्षित करता है। छात्र में विकसित मानसिक शक्तियों के विकास के फलस्वरूप निश्चित तथ्यों के आधार पर निरीक्षण एवं परीक्षण द्वारा निष्कर्ष निकालने की आदत पड़ती हैं, जिसके फलस्वरूप छात्र पूर्वाग्रहों को अपने चिन्तन में स्थान नहीं देता। इस कारण उसके निष्कर्षों में सत्यता एवं शुद्धता का अंश अधिक रहता हैं। प्रारंभ में इस प्रकार की आदत का निर्माण छात्रों में अनुशासन के साथ प्रयोगशाला में किया जाता हैं, इसके उपरांत स्वाभाविक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यह आदत कार्यान्वित हो जाती हैं।

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