जिला पंचायत
प्रत्येक जिले में एक जिला पंचायत होती है। जिसमें उस जिले के समस्त जनपद पंचायतों के अध्यक्ष, संसद सदस्य, राज्यसभा सदस्य, राज्य विधान सभा सदस्य तथा लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं लोक स्वास्थ्य, कृषि, पशु चिकित्सालय, शिक्षा तथा अन्य विकास संबंधी विभागों का प्रतिनिधित्व करने वाले जिला पदाधिकारी सदस्य होते है। यदि जिला पंचायत में महिला तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा सहकारी संस्थाओं का प्रतिनिधित्व नही है तो जिला पंचायत, राज्य पंचायत अधिनियम के प्राधानानुसार इन वर्गों मे प्रत्येक से एक-एक प्रतिनिधि सहयोजित करेगी।
प्रत्येक जिला पंचायत का एक सभापति और एक उप-सभापित होता है। जिनका कार्यकाल पंचायत के कार्यकाल अर्थात 5 वर्ष होता है। जिला पंचायत के अधिवेशन की अध्यक्षता जिला पंचायत का सभापति करता है। सभापति की अनुपस्थिति मे उप सभापति अधिवेशन की अध्यक्षता करता है। प्रतिमाह एक सामान्य अधिवेशन के अतिरिक्त पंचायत के आधे से अधिक सदस्य यदि हस्ताक्षर सहित माँग करते है अथवा सभापति खुद ऐसा उचित समझता है तो विशेष अधिवेशन बुला सकता है।
जिला पंचायत की स्थायी समितियाँ
जिला पंचायत अपने सम्बद्ध विभिन्न विकास कार्यों के सुचारू पूर्वक संचालन की दृष्टि से अपने सदस्यों में से मुख्यतः निम्न स्थायी समितियाँ गठित करती है--
1. आयोजना तथा सामुदायिक विकास स्थायी समिति।
2. सहकारिता स्थायी समिति।
3. उपभोग स्थायी समिति।
4. शिक्षा और समाज कल्याण स्थायी समिति।
5. वित्त स्थायी समिति।
जिला पंचायत के कार्य (zila panchayat ke karya)
जिला पंचायत के मुख्य कार्य निम्नलिखित है--
1. जिले के अंतर्गत ग्राम पंचायतों को विकसित व मजबूत करें।
2. जिले में जनपद पंचायतों के बजट की जाँच कर अनुमोदन करें।
3. शासन द्वारा जिले को बटित विधियों का जिले की जनपद पंचायतों में वितरण करें।
4. विभिन्न जनपद पंचायत की योजनाओं में समन्वय स्थापित करना।
5. जनपद पंचायतों के कार्यों का सामान्य निरीक्षण।
6. जन पंचायतों का मार्ग दर्शन।
7. विशेष प्रयोजनों के लिये जनपद पंचायतों द्वारा भेजी गई अनुदान संबंधी माँगों का परीक्षण कर राज्य शासन को अग्रेषित करना।
8. अंतर-खण्डीय विकास कार्यों में समन्वय स्थापित करना।
9. ग्राम व जनपद पंचायतों को आसान शर्तों पर बोरिंग मशीन, बुलडोजर, ट्रैक्टर आदि प्रदान करने की व्यवस्था करना।
10. विकास कार्यों से संबंधित विविध विषयों में राज्य शासन को सलाह देना।
11. ग्राम व जनपद पंचायतों से सांख्यिकी एकत्र करना।
12. किसी भी स्थानीय प्राधिकारी से उसके कार्यकलापों के संबंध में जानकारी देने की अपेक्षा करना।
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