7/16/2021

जनपद पंचायत के कार्य

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जनपद पंचायत 

विकास कार्यों को गति देने की दृष्टि से प्रत्येक जिला कुछ खण्डों मे विभाजित होता है। प्रत्येक खण्ड के लिए पंचायत का गठन किया जाता है जिसे जनपद पंचायत कहते है। 

जिला मण्डल को छोड़कर जनपद पंचायत का कार्यकाल सामान्यतः पाँच वर्ष होता है। प्रत्येक जनपद पंचायत का एक अध्यक्ष और  एक उपाध्यक्ष होता है।

विस्तरीय ढाँचे मे जनपद पंचायत का अध्यधिक महत्व है। क्षेत्रीय विकास से संबंधित विविध योजनाओं के निर्माण एवं क्रियान्वयन में जनपद पंचायत की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। विकास खण्ड स्तर पर ग्रामीण जीवन के विविध क्षेत्रों, जैसे कृषि, सहकारिता, पशुपालन, स्वास्थ्य एवं सफाई आदि मे विकास योजनाओं के प्रभावकारी संचालन के लिए कई विस्तार अधिकारी होते है। हालांकि इन अधिकारियों की सेवायें इनके विभागों के द्वारा नियन्त्रित होती है फिर भी ये अधिकारी जनपद पंचायत की देख-रेख मे कार्य करते है। नीति विषयक प्रश्नों मे पंचायत की भूमिका अहम होती है। 

जनपद पंचायत का अध्यक्ष शक्तिशाली व्यक्ति होता है। वह जनपद पंचायत के अधिवेशन की अध्यक्षता करता है। वह पंचायत के वित्तीय और सामान्य प्रशासन की देखभाल करता है तथा सामान्य पर्यवेक्षक एवं नियंत्रण रखता है। अध्यक्ष की प्रतिकूल टिप्पणी खण्ड स्तर पर कार्यरत किसी भी विकास अधिकारी की सेवा मे कठिनाई पैदा कर सकती है।

जनपद पंचायत के कार्य (janpad panchayat ke karya)

जनपद पंचायत के निम्न कार्य है-- 

1. सामुदायिक विकास 

सामुदायिक विकास के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों का ग्राम पंचायत, सहकारी संस्थाओं, स्वैच्छिक संगठनों तथा जनता के सहयोग से निष्पादन।

2. कृषि संबंधी कार्य 

कृषि उत्पादन मे वृद्धि के लिए कार्य करना, जैसे---

(A) सुधरे बीजों का वितरण।

(B) सुधरी खाद व उर्वरकों का वितरण एवं उन्हें लोकप्रिय बनाना।

(C) कृषि की उन्नत प्राविधियों, प्रणालियों एवं उपकरणों को लोकप्रिय बनाना। 

(D) फल और सब्जी की खेती को प्रोत्साहन।

(E) कृषि प्रयोजन के लिए ऋण की व्यवस्था।

(F) पौध-संरक्षण पद्धतियों का प्रचार।

(G) सिंचाई हेतु कुओं, तालाबों व छोटे नहरों का निर्माण एवं देखभाल। 

(H) भूमिगत जल साधनों के उपयोग मे वृद्धि।

(I) कृषि कार्य के लिए विद्युत के उपयोग को बढ़ावा।

(J) वृक्षारोपण को बढ़ावा।

(K) ग्राम वनों को उगाना।

3. पशुओं एवं मत्स्य कार्य 

(A) पशुओं के नस्ल की सुधार की व्यवस्था।

(B) भेड़, बकरी, कुक्कुट आदि के पालन को बढ़ावा।

(C) पशुओं के लिए सुधरे चारे और खाद्य का उपयोग आरंभ करना।

(D) कृत्रिम रेतन केन्द्रों, प्रथमैमोपचार केन्द्रों छोटे पशु चिकित्सा औषधालयों को आरंभ करना।

(E) दुग्ध व्यवसाय और दुग्ध प्रदाय।

(F) अंतर्देशीय मत्स्य-कार्य का विकास।

(G) दूध के लिए अच्छे पशुओं के महत्व के संबंध मे जनता को शिक्षा देना। 

4. स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधी कार्य

(A) चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवा को जनता के लिए सुलभ बनाना।

(B) प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्रसूति केन्द्रों की व्यवस्था।

(C) टीका की सुविधा।

(D) महामारियों पर नियंत्रण करना।

(E) पीने के पानी की सुविधा तथा गंदे जलों के विकास की व्यवस्था करना।

(F) धुआँ रहित चुल्हों के उपयोग को बढ़ावा।

(G) शासकीय औषधालयों तथा चिकित्सालयों के काम-काज मे सुधार एवं विकास के लिए कार्य करना।

5. शिक्षा एवं समाज संबंधी कार्य 

जनपद पंचायत के शिक्षा एवं समाज संबंधी निम्न कार्य है--

(A) प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना, देखरेख एवं विस्तार।

(B) प्रौढ़ शिक्षा केंद्र तथा प्रौढ़ साक्षता केन्द्रों की स्थापना।

(C) 6 से 14 वर्ष के बालकों में शिक्षा को बढ़ावा देना।

(D) महिला मण्डल, युवा संगठन तथा कृषक वलब जैसे संगठनों की स्थापना करना।

(E) पुस्तकालयों की व्यवस्था करना।

(F) स्वच्छता दलों का गठन।

(G) ग्राम सहायकों के लिए प्रशिक्षण एवं उनकी सेवाओं के बेहतर उपयोग के लिए कार्य करना।

(H) ग्राम सहायकों के लिए प्रशिक्षण एवं उनकी सेवाओं के बेहतर उपयोग के लिए कार्य करना।।

6. संचार एवं लोक निर्माण कार्य 

जनपद पंचायत के मुख्य लोक निर्माण कार्य निम्न है-- 

(A) ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत क्षेत्र के भीतर मार्गों का निर्माण, मरम्मत एवं देखभाल।

(B) सहायक सड़कों का निर्माण व देखरेख।

(C) जनपद पंचायत भवनों की मरम्मत और चल-अचल संपत्ति की रक्षा।

7. सहकारिता 

आर्थिक विकास को गति देने की दृष्टि से लोकतांत्रिक आधार पर सहकारिता को बढ़ावा देना। सहकारी ऋण समिति, उपभोक्ता, गृह निर्माण, उत्पादक, औद्योगिक कृषि, विपणन तथा बहुउद्देशीय समितियों की स्थापना के माध्यम से अधिक से अधिक परिवारों को लाभ पहुंचाने के लिए कार्य करना। मितव्ययिता व अल्प  बचत को बढ़ावा देना आदि सहकारिता के क्षेत्र में जनपद पंचायत के मुख्य कार्य है।

8. कुटीर उद्योग 

कुटीर ग्राम लघु उद्योगों को बढ़ावा देना जनपद पंचायत का एक महत्वपूर्ण कार्य है। इससे ग्रामीण लोगों को सहायक रोजगार उपलब्ध हो सकेगा और उनका जीवन स्तर उन्नत होगा।

(A) लघु एवं कुटीर उद्योग संबंधी उत्पादन, सहित प्रशिक्षण केंद्रों की व्यवस्था।

(B) कारीगरों एवं शिल्पकारों के कौशल में सुधार करना।

(C) लघु एवं कुटीर उद्योग संबंधित सुधरे उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देना।

9. महिला एवं शिशु कल्याण कार्य 

महिला एवं शिशु कल्याण केन्द्रों, शिल्प, बुनाई एवं सिलाई तथा बने हुए वस्त्रों के निर्माण केन्द्रों की स्थापना करना।

10. समाज कल्याण कार्य 

मुख्य समाज कल्याण कार्य निम्नलिखित है-- 

(A) ग्रामीण गृह-निर्माण योजना का क्रियान्वयन।

(B) अपंग भिखारियों के भरण-पोषण का कार्य तथा आवारागर्दी पर नियंत्रण करना।

(C) स्वैच्छिक समाज कल्याण संगठनों को मजबूत करना।

(D) मद्यपान व अन्य नशीले पदार्थों के सेवन के निषेध का प्रचार करना।

11. सामान्य कार्य 

उक्त कार्यों के अतिरिक्त जनपद पंचायत निम्न सामान्य कार्यों को  सम्पादित करती है-- 

(A) त्यौहारों एवं स्थानीय तीर्थ यात्राओं की प्रबंध व्यवस्था।

(B) मेलों तथा पदर्शनों युक्त मेलों का आयोजन।

(C) कांजी हाउसों की स्थापना एवं प्रबंध।

(D) पिछड़े वर्गों के कल्याण संबंधी कार्य।

यह भी पढ़ें; जिला पंचायत के कार्य

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