6/05/2021

भूगोल की प्रकृति

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भूगोल की प्रकृति (स्वरूप) 

भूगोल पृथ्वी के प्राकृतिक स्वरूप और मानवीय क्रियाओं से उत्पन्न पारस्परिक प्रतिक्रियाओं का अध्ययन है।

1. प्राकृतिक वातावरण और परिस्थिकी (Physical Environment and Ecology) 

पृथ्वी पर विभिन्न प्रदेशों मे अक्षांशी स्थिति, जलवायु, समुद्र से दूरी, प्राकृतिक वनस्पति आदि की भिन्नता के अनुसार प्रदेशों मे अक्षांशी स्थिति, जलवायु, समुद्र से दूरी, प्राकृतिक वनस्पति आदि की भिन्नता के अनुसार भिन्न-भिन्न तरह के वातावरण है। समुद्र-तल की ऊँचाई, पर्वत-पठारों, नदियों, तालाबों, भूमिगत जल आदि की भिन्नताएँ भी इसे प्रभावित करती है। इनसे क्षेत्र-विशेष मे भिन्न-भिन्न प्रकार की परिस्थिति पैदा होती है। इनका प्रभाव मानव के रहन-सहन व क्रिया-कलापों पर पड़ता है।

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2. मानवीय क्रियायें (Human Activities) 

मनुष्य स्वयं इस भूपृष्ठ का अभिन्न अंग है। वह प्रारंभ से ही भूतल पर प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करता आया है। इसलिए मनुष्य ने प्राकृतिक वातावरण मे कई परिवर्तन किये है। उसने वनों को काट कर कृषि-भूमि व आवासीय भूमि उपलब्ध की है। उसने नदियों, तालाबों व भूमिगत जल संसाधनों का उपयोग किया है। उसने कोयला, खनिज तेल व बहुमूल्य धातुओं को अपने काम मे लिया है। इन्ही मानवीय क्रियाओं से परिस्थिकी प्रभावित हुई है।

3. पारस्परिक प्रतिक्रियाएं (Interactions) 

एक ओर प्राकृतिक वातावरण मानवीय जीवन को प्रभावित करता है तो दूसरी और मनुष्य भी प्राकृतिक वातावरण को प्रभावित करता है। इन दोनों महत्वपूर्ण कारकों से पारस्परिक प्रतिक्रियाएं पैदा होती है। मनुष्य एक विशिष्ट प्रकार के वातावरण मे रहने के लिए अनुकूलन (Adaptation) करता है। जैसे शीत प्रदेशों में रहने वाले एस्किमो लोग उसी प्रकार के वातावरण से अपने खाने-पीने की वस्तुएं, कपड़े, आवासीय सामग्री आदि प्राप्त करते है। मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुसार वातावरण मे रूपान्तरण (Modification) भी करता है। उसने वनों को काट कर जलवायु को प्रभावित किया है। 

इसलिए भूगोल की प्रकृति मे प्राकृतिक भूतल का ' मानवीय संसार ' के रूप मे वैज्ञानिक अध्ययन करना मुख्य उद्देश्य है। इस विज्ञान मे भूतल की समस्त क्षेत्रीय भिन्नताओं, वितरण (Distribution), परिस्थिकी एवं स्थानीक अन्तर्सम्बन्धों (Local Inter-Relationships) के द्वारा उत्पन्न भौगोलिक वातावरण के जटिल स्वरूप का अध्ययन होता है।

4. प्रादेशिक विशिष्टता (Regional Specialities) 

भूगोल मे आधार-भूत अध्ययन किसी क्षेत्र या प्रदेश (Region) की विशिष्टताओं का अध्ययन शामिल है। हैटनर ने प्रादेशिक अध्ययनों पर विशेष बल दिया है। उसके अनुसार प्रत्येक प्रदेश मे प्रकृति प्रदत्त विशेषताएं होती हैं। उनमें विशिष्ट संसाधन होते है तथा मनुष्य उन्हीं विशेषताओं के अनुरूप अपना व्यवहार करता है। उन्ही संसाधनों का उपयोग करके अपना जीवन-यापन करता है। उसी क्षेत्र के अनुकूल मानव कार्यकलाप तथा अन्तक्रियायें होती है। जैसे पर्वतीय क्षेत्र मे यातायात मार्ग दुर्गम होते है। इसलिए उन्हीं धरातली स्वरूप के अनुकूल वहाँ खेती, उद्योग, कुटीर उद्योग, वन उद्योग, वन उद्योग आदि पैदा होते है। इसलिए प्रत्येक प्रदेश की विशेषताओं का अध्ययन करना भूगोल की सहज प्रकृति है।

5. संश्लेषण (Synthesis) 

भौगोलिक अध्ययनों मे पहले विभिन्न कारकों का विश्लेषण (analysis) किया जाता है। परन्तु कोई भी कारक स्वतंत्र रूप से क्रियाशील नही होता। प्रायः यह देखा गया है कि एक से ज्यादा कारक समग्र से क्रियाशील होते है। किसी भी प्रदेश में विभिन्न कारकों का समूह सामूहिक रूप से उस प्रदेश की विशिष्टता बनाता है। इसलिए इन कारकों तथा इनके प्रभावों को पूर्ण रूप मे (holistic) अध्ययन करना चाहिए। यह संश्लेषणात्मक विधि है और इसीलिए भूगोल को संश्लेषणात्मक विज्ञान कहा गया है। जैसे ठण्डे प्रदेशों मे जहां पर नौ महीने बर्फ जमी रहती है, लोगों का रहन-सहन अन्य लोगों से अलग है। अत्यधिक शीत के कारण वहां वनस्पति नही होती। जंगल नही है इसलिए वन-उद्योग नही हो सकता। शीत के कारण कृषि भी नही की जा सकती। इसलिए शीत के साथ-साथ अन्य कारक भी वहां के लोगों के जीवन से जुड़े हुए है। इनका सामूहिक अध्ययन करना भूगोल की प्रकृति है।

6. व्यावहारिक समस्याओं को समझना एवं निराकरण (Integration and Solution of Practical Problems) 

भूगोल का महत्वपूर्ण पक्ष मनुष्य की व्यावहारिक समस्याओं को समझना और उनका निराकरण करना भी है। भूगोल ऐसा विज्ञान है जो व्यावहारिक धरातल पर अवस्थित है। किसी भी प्रदेश मे जहां मनुष्य रहता है, उसका व्यवहार उस प्रदेश के प्राकृतिक संसाधन और उनके उपयोग पर निर्भर करता है। उस प्रदेश के मनुष्य उसकी समस्याओं से अवगत होते रहते है। उनमें क्षेत्रीय समस्याओं को समझने के लिए जागरूकता उत्पन्न होती है। ये लोग उन समस्याओं के समाधान करने के उपाय ढूंढते है। इसलिए वहां के लोगों का सम्पूर्ण व्यवहार उस प्रदेश की भौगोलिक विशेषता पर निर्भर करता है।

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